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बूंदी में नगर परिषद ने नालों की सफाई तो करवाई लेकिन बारिश में बिगड़ जाते हैं हालात

मानसून सक्रिय हो गया है और नगर परिषद द्वारा शहर के विभिन्न नालों की सफाई का कार्य भी पूर्ण कर लिया गया है. लेकिन, जहां पर नगर परिषद के सफाई के संसाधन नहीं पहुंच पाते वहां नगर परिषद सफाई नहीं करवा पाती है. ऐसे में बरसात में नाले उफान पर आ जाते हैं तो पानी सड़कों पर बहने लगता है. जिसकी वजह से शहर की सड़कें दरिया बन जाती हैं. जिससे आमजन को परेशानी का सामना करना पड़ता है.

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Published : Jul 2, 2019, 7:46 PM IST

Updated : Jul 2, 2019, 8:15 PM IST

नालों के बिगड़े हालात

बूंदी. मानसून आने के 20 से 25 दिन पहले नगर परिषद ने बड़े नालों की सफाई कराना शुरू कर दिया है. पिछले दिनों कलेक्टर ने शहर का जायजा लेने के दौरान नगर परिषद के अधिकारियों को नाले की सफाई जल्द करवाने के निर्देश दिए थे. साथ ही यह भी कहा था कि नालों की सफाई के बाद कचरे को सड़क पर नहीं छोड़ा जाए और समय रहते साफ कर लिया जाए.

ऐसे में शहर में बड़े नालों में जे सागर का नाला आता है, मीरा गेट का नाला आता है, महावीर कॉलोनी का नाला आता है, साथ ही छत्रपुरा गुरु नानक कॉलोनी के नाले हैं. जहां पर नगर परिषद के कर्मचारी द्वारा सफाई करवाई गई है. सबसे ज्यादा पानी का उफान जैतसागर झील से निकलने वाले नाले में आता है जो मीरा गेट, महावीर कॉलोनी होता हुआ पुलिस लाइन रोड से भी आगे जाता है. किसी समय पर नाला चौड़ा था, लेकिन अतिक्रमण के चलते यह आकार अब छोटा सा हो गया है. कई जगह तो ऐसी हैं कि नाला खत्म हो जाता है और जेसीबी से कचरा तक नहीं निकाला जा सकता. ऐसी स्थिति में नाले की सफाई सही से नहीं हो पाती और मानसून में नालों में उफान आ जाने से शहर में महावीर कॉलोनी और मीरा गेट में पानी का स्तर बढ़ जाता है और सड़कें जाम हो जाती हैं.

नगर परिषद ने करवाई नालों की सफाई

यहां तक की कई बार तो घरों में पानी भी चला जाता है. यही नहीं लंका गेट का नाला, पुरानी मंडी के पास का नाला, कुंभा स्टेडियम नाला में उफान रहता है. इन प्रमुख नालों की प्रमुख शक्ल पॉलिथीन से आती है. कई बार तो गंदा पानी ओवरफ्लो हो जाता है और सड़कों पर आ जाता है. इस बार भी मानसून से पहले ही इन नालों की सफाई करवा ली गई है. कई बार तो शहर में नगर परिषद की सफाई व्यवस्था की पोल खुल जाती है.

हर बार नगर परिषद के कर्मचारियों द्वारा एक बार मानसून से पहले शहर के बड़े नालों की सफाई करवाई जाती है. लेकिन, तेज बरसात से आने वाला कचरा इन नालों को ओवरफ्लो कर देता है और मानसून में सभी नाले ओवरफ्लो हो जाते हैं. जिससे आमजन को परेशानी का सामना करना पड़ता है. पिछले वर्ष की बात की जाए तो जैतसागर के नाले में उफान तेज आने से ही महावीर कॉलोनी की इलाकों में घरों में पानी भर गया था. जिससे 2 से 3 दिनों तक इस इलाके में परेशानी का सामना उठाना पड़ा था. इसी तरह खोजा गेट और लंका गेट के नाले में सफाई सही से नहीं होने के चलते सड़कों का पानी आ जाने से कई बार गड्ढों में आमजन को गिरकर परेशानी का सामना करना पड़ा. अब देखना होगा कि इस वर्ष के मानसून में नगर परिषद द्वारा करवाई गई सफाई व्यवस्था किस तरीके से सही साबित हो पाती है या फिर हर वर्ष की तरह शहर में कचरा सड़कों पर पानी के रूप में नजर आएगा.

बूंदी. मानसून आने के 20 से 25 दिन पहले नगर परिषद ने बड़े नालों की सफाई कराना शुरू कर दिया है. पिछले दिनों कलेक्टर ने शहर का जायजा लेने के दौरान नगर परिषद के अधिकारियों को नाले की सफाई जल्द करवाने के निर्देश दिए थे. साथ ही यह भी कहा था कि नालों की सफाई के बाद कचरे को सड़क पर नहीं छोड़ा जाए और समय रहते साफ कर लिया जाए.

ऐसे में शहर में बड़े नालों में जे सागर का नाला आता है, मीरा गेट का नाला आता है, महावीर कॉलोनी का नाला आता है, साथ ही छत्रपुरा गुरु नानक कॉलोनी के नाले हैं. जहां पर नगर परिषद के कर्मचारी द्वारा सफाई करवाई गई है. सबसे ज्यादा पानी का उफान जैतसागर झील से निकलने वाले नाले में आता है जो मीरा गेट, महावीर कॉलोनी होता हुआ पुलिस लाइन रोड से भी आगे जाता है. किसी समय पर नाला चौड़ा था, लेकिन अतिक्रमण के चलते यह आकार अब छोटा सा हो गया है. कई जगह तो ऐसी हैं कि नाला खत्म हो जाता है और जेसीबी से कचरा तक नहीं निकाला जा सकता. ऐसी स्थिति में नाले की सफाई सही से नहीं हो पाती और मानसून में नालों में उफान आ जाने से शहर में महावीर कॉलोनी और मीरा गेट में पानी का स्तर बढ़ जाता है और सड़कें जाम हो जाती हैं.

नगर परिषद ने करवाई नालों की सफाई

यहां तक की कई बार तो घरों में पानी भी चला जाता है. यही नहीं लंका गेट का नाला, पुरानी मंडी के पास का नाला, कुंभा स्टेडियम नाला में उफान रहता है. इन प्रमुख नालों की प्रमुख शक्ल पॉलिथीन से आती है. कई बार तो गंदा पानी ओवरफ्लो हो जाता है और सड़कों पर आ जाता है. इस बार भी मानसून से पहले ही इन नालों की सफाई करवा ली गई है. कई बार तो शहर में नगर परिषद की सफाई व्यवस्था की पोल खुल जाती है.

हर बार नगर परिषद के कर्मचारियों द्वारा एक बार मानसून से पहले शहर के बड़े नालों की सफाई करवाई जाती है. लेकिन, तेज बरसात से आने वाला कचरा इन नालों को ओवरफ्लो कर देता है और मानसून में सभी नाले ओवरफ्लो हो जाते हैं. जिससे आमजन को परेशानी का सामना करना पड़ता है. पिछले वर्ष की बात की जाए तो जैतसागर के नाले में उफान तेज आने से ही महावीर कॉलोनी की इलाकों में घरों में पानी भर गया था. जिससे 2 से 3 दिनों तक इस इलाके में परेशानी का सामना उठाना पड़ा था. इसी तरह खोजा गेट और लंका गेट के नाले में सफाई सही से नहीं होने के चलते सड़कों का पानी आ जाने से कई बार गड्ढों में आमजन को गिरकर परेशानी का सामना करना पड़ा. अब देखना होगा कि इस वर्ष के मानसून में नगर परिषद द्वारा करवाई गई सफाई व्यवस्था किस तरीके से सही साबित हो पाती है या फिर हर वर्ष की तरह शहर में कचरा सड़कों पर पानी के रूप में नजर आएगा.

Intro:मानसून सक्रिय हो गया है और नगर परिषद द्वारा शहर के विभिन्न नालों की सफाई का कार्य भी पूर्ण कर लिया गया है लेकिन बरसात आने के बाद सफाई व्यवस्था की नगर परिषद यह पोल खोल देता है। यहां हर वर्ष नगर परिषद द्वारा सभी नालों की सफाई करा दी जाती है । लेकिन जहां पर नगर परिषद के सफाई के संसाधन नहीं पहुंच पाते वहां नगर परिषद सफाई नहीं करवा पाती ऐसे में जब बूंदी में मानसून सक्रिय हो जाता है और दो-तीन दिन की बरसात में नाले उफान पर आ जाते हैं तो पानी सड़कों पर बहने लगता है और शहर की सड़कें दरिया बन जाती है। जिससे आमजन को परेशानी का सामना करना पड़ता है।


Body:बूंदी में मानसून आने के 20 से 25 दिन पहले नगर परिषद ने बड़े नालों की सफाई कराना शुरू कर दिया है। पिछले दिनों कलेक्टर ने शहर का जायजा लेने के दौरान नगर परिषद के अधिकारियों को नाले की सफाई जल्द करवाने के निर्देश दिए थे । साथ ही यह भी कहा था कि नालों की सफाई के बाद कचरे को सड़क पर नहीं छोड़ा जाए और समय रहते साफ कर लिया जाए। शहर में बड़े नालों में जे सागर का नाला आता है मीरा गेट का नाला आता है महावीर कॉलोनी का नाला आता है साथ ही छत्रपुरा गुरु नानक कॉलोनी में यह नाले हैं । जहां पर नगर परिषद के कर्मचारी द्वारा सफाई करवाई गई है सबसे ज्यादा पानी का उफान जैतसागर झील से निकलने वाले नाले में आता है जो मीरा गेट, महावीर कॉलोनी होता हुआ पुलिस लाइन रोड से भी आगे जाता है। किसी समय पर नाला छोड़ा था लेकिन अतिक्रमण के चलते यह आकार अब छोटा सा हो गया है उसका हो गया है। कोई जगह तो ऐसी है कि नाला खत्म हो जाता है और जेसीबी से कचरा तक नहीं निकाला जा सकता । ऐसी स्थिति में नाली की सफाई से नहीं हो पाती और मानसून में नालों में उफान आ जाने से शहर में महावीर कॉलोनी और मीरा गेट में पानी का स्तर बढ़ जाता है और सड़कें जाम हो जाती है । यहां पर कई बार तो घरो में पानी भी चला जाता है । यही नहीं लंका गेट का नाला , पुरानी मंडी के पास का नाला , कुंभा स्टेडियम नाला में उफान रहता है इन प्रमुख नालो की प्रमुख शक्ल पॉलिथीन से आती है । कई बार तो गंदा पानी ओवरफ्लो हो जाता है और सड़कों पर आ जाता है । इस बार भी मानसून से पहले ही इन नालों की सफाई करवा ली गई है कई बार तो शहर में नगर परिषद की सफाई व्यवस्था की पोल खोली जाती है ।


Conclusion:हर बार नगर परिषद के कर्मचारियों द्वारा एक बार मानसून से पहले शहर के बड़े नालों की सफाई करवाई जाती है लेकिन तेज बरसात से आने वाला कचरा इन नालों को ओवरफ्लो कर देता है और मानसून में सभी नाले ओवरफ्लो हो जाते हैं । जिससे आमजन को परेशानी का सामना करना पड़ता है । पिछले वर्ष की बात की जाए तो पिछले वर्ष जैतसागर के नाले में उफान तेज आने से ही महावीर कॉलोनी की इलाकों में घरों में पानी भर गया था ।जिससे 2 से 3 दिनों तक इस इलाके में परेशानी का सामना उठाना पड़ा था । इसी तरह खोजा गेट और लंका गेट के नाले में सफाई सही से नहीं होने के चलते सड़कों का पानी आ जाने से कई बार गड्ढों में आमजन को गिरकर परेशानी का सामना करना पड़ा । अब देखना होगा कि इस वर्ष के मानसून में नगर परिषद द्वारा करवाई गई सफाई व्यवस्था किस तरीके से सही साबित हो पाती है या फिर हर वर्ष की तरह शहर में कचरा सड़कों पर पानी के रूप में नजर आएगा ।

बाईट-मुकेश माधवानी , शहरवासी
बाईट - बृजेश राय , आयुक्त ,नगर परिषद ,बूंदी
Last Updated : Jul 2, 2019, 8:15 PM IST
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