बूंदी. देश में कोरोना वायरस का संक्रमण लगातार बढ़ता जा रहा है, जिसके चलते देश में लॉकडाउन जारी है. इस लॉकडाउन के चलते पूरी तरह से जनजीवन अस्त-व्यस्त हो गया है. सबसे ज्यादा नुकसान किसानों को उठाना पड़ा है. सब्जी उत्पादक किसानों का नुकसान तो हुआ ही है, साथ में फूलों की खेती करने वाले किसानों को भी भारी नुकसान उठाना पड़ा है.
बूंदी जिले के अधिकतर इलाकों में किसानों ने गुलदाउदी और गेंदे फूल की खेती की थी और कई सालों से इसी तरह किसान फूलों की खेती करते आते थे. फूलों को तोड़कर कोटा और उसके आसपास व्यापारियों को बेचते थे. लेकिन लॉकडाउन लागू होने के बाद इन फूलों को लेने के लिए किसानों के पास कोई भी व्यापारी नहीं पहुंचा और न ही किसान उन फूलों को तोड़कर किसी व्यापारी को बेचने के लिए पहुंचे. ऐसे में राह देखते-देखते खेतों में ही फूल खराब होने लगे और कुछ जगहों पर तो फूलों में रोग भी लग गया.
![bundi news phoolon ki kheti farmer farming wasted flower cultivation in bundi on floriculture hail of corona](https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/prod-images/rj-bnd-pkg-phool-farmar-in-badhal-7204057_28042020132303_2804f_1588060383_1029.jpg)
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एक महीने से अधिक लगे लॉकडाउन के बीच बूंदी के कई गांव में खड़ी फूलों की फसलें पूरी तरह से बर्बाद होने की कगार पर पहुंचना शुरू हो गईं. देखते-देखते जो फूल महक दिया करते थे, वह फूल महक तो नहीं अब सडान मारने लगे. जिन क्षेत्रों में फूलों से हरियाली नजर आती थी और जिन किसानों को उम्मीद थी कि इन फूलों से अच्छी आय उन्हें मिलेगी. आज उन्हीं खेतों में खराब हुई फसल खड़ी हुई देख किसान चिंतित हो रहे हैं और नुकसान का आकलन करने में लगे हुए हैं. आखिरकार इस नुकसान की भरपाई कौन करेगा, यह सवाल उनके सामने खड़ा सा हो गया है.
10 से लेकर 30 रुपए की बाजारों में बिकती थी माला...
बूंदी जिले में अधिकतर जगहों पर हर साल जिले के फूल खेती वाले किसान अपने खेतों में गुलाब, गुलदाउदी, गेंदे के फूल की खेती किया करते थे. इन खेतों से व्यापारी सीधा हर साल की तरह इन किसानों से खरीद लिया करते थे और फूल माला बेचने वाले व्यापारियों को यह किसान देते थे. फूल बेचने वाले व्यापारी बाजार में 10 से लेकर 30 रुपए की माला फूलों की बनाकर बेचते थे. लेकिन ना व्यापारी इनके पास पहुंचे ना कोई खरीददार. ऐसे में किसान पूरी तरह से बर्बाद हो गया और खेतों में खड़ी फसलें पूरी तरह से नष्ट हो गईं.
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कुछ किसानों ने तो फूलों की खेती खराब होने के बाद उस खेत को पूरी तरह से हांका भी दिया है. एक बीघा फसल में किसान को 20 से 25 हजार का नुकसान उठाना पड़ा है. सबसे ज्यादा परेशानी तो उन किसानों को आई है, जो काफी लंबे समय से फूलों की खेती किया करते थे और उस खेती से ही अपने जीवन का लालन पोषण किया करते थे. लेकिन उनकी इस साल की मेहनत तो लॉकडाउन के आसरे बर्बाद हो गई और उन्हें ना मुनाफा हुआ ना उस फसल की लागत उन्हें मिल पाई. ऐसे में उनका जीना दूभर हो गया है और खाने के लाले किसानों के पड़ गए हैं.
बूंदी जिले में इन जगहों पर होती है, फूलों की सबसे ज्यादा खेती...
बूंदी जिले में कई जगहों पर फूलों की खेती होती है, सबसे ज्यादा बूंदी में गुलदाउदी, गेंदे के फूलों की खेती होती है. कुछ जगहों पर गुलाब की खेती भी होती है. बूंदी के बड़ा नया गांव, सथूर, नमाना, बोरखंडी, दलेलपुरा, पेज की बावड़ी और मयाजा तालेड़ा सहित कई इलाके ऐसे हैं जहां पर सबसे ज्यादा किसान फूलों की खेती किया करते हैं. इन सब जगह पर खेतों में खड़ी फूल की फसल पूरी तरह से बर्बाद हो गई है. बोरखंडी गांव में तो एक खेत में खड़ी फूलों की फसल पूरी तरह से सूख चुकी है, जो फूल पूरे खेतों को महकाता था, आज सूखी पड़ी फसल खेत की सूरत तक बदल कर रख दी है. किसानों ने इन फसल को जैसा था, वैसा ही रखकर छोड़ दिया है.
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बूंदी के किसानों ने मांग की है कि सरकार अन्य फसलों के किसानों के लिए कुछ ना कुछ मुआवजे का ऐलान कर रही है, तो फूलों के किसानों के लिए भी कुछ ना कुछ ऐलान करे. ताकि फूल किसानों को भी ठगा सा महसूस न हो. लेकिन इस लॉकडाउन के चलते कोई सा भी ऐसा व्यक्ति नहीं बचा, जिसको इसकी चोट नहीं लगी हो. किसान वर्ग सबसे ज्यादा इस लॉकडाउन के चलते प्रभावित हुआ है और सबसे ज्यादा नुकसान में रहा है. बूंदी का फूल इन दिनों लॉकडाउन के चलते मुरझा गया है.