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बूंदी: लाइट कटने से बंद होती रही मशीनें, बच्चों की चीख से सहमता रहा SNCU यूनिट - Maternal and child hospital

ईटीवी भारत की टीम ने शनिवार को बूंदी के मातृ एंव शिशु अस्पताल के SNCU यूनिट का जायजा लिया. जहां यूनिट में बार-बार लाइट आती जाती रही और यह सिलसिला लगातार 2 घंटे तक चला. ऐसे में जनरेटर की व्यवस्था नहीं होने पर बच्चों को तुरंत इलाज देने वाली मशीने बंद होती रही और इसके चलते बच्चों की चीख से SNCU यूनिट सहमता रहा.

मातृ एंव शिशु अस्पताल, Maternal and child hospital
मातृ एंव शिशु अस्पताल
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Published : Jan 4, 2020, 6:34 PM IST

बूंदी. जिले के मातृ एंव शिशु अस्पताल के SNCU में 1 महीने में 10 बच्चों की मौत के बाद चिकित्सा विभाग में हड़कंप मचा हुआ है. ईटीवी भारत की टीम ने शनिवार को जब यूनिट का दौरा किया तो यूनिट में बार-बार लाइट आती जाती रही. वहीं, यह सिलसिला लगातार 2 घंटे तक चला. बता दें कि इस यूनिट में गंभीर स्थिति के बच्चों को इलाज दिया जाता है.

SNCU यूनिट में बदहाल है विद्युत व्यवस्था

लेकिन विद्युत के बार-बार आने जाने के चलते बच्चों को तुरंत इलाज देने वाली मशीनें भी बंद हो जा रही थी. जिससे यूनिट में बच्चों की चीख ही सुनाई दे रही थी. ऐसे में ये एक बड़ा सवाल है अस्पताल प्रशासन के लिए कि आखिर यहां बच्चे कैसे सुरक्षित रहेंगे.

बूंदी के इतने बड़े मातृ एंव शिशु अस्पताल में लाइट जाने के बाद जनरेटर की व्यवस्था भी नहीं है. वर्ष 2019 में 1 जनवरी से 31 दिसंबर तक SNCU वार्ड में 1416 नवजात भर्ती हुए थे. इनमें से 83 बच्चों की मौत हो गई और अकेले दिसंबर में 116 बच्चे भर्ती हुए थे, जिनमें 10 बच्चों की मौत हो गई है.

पढ़ें- राजस्थान : पायलट का गहलोत पर 'निशाना', 'हम जिम्मेदारी से नहीं बच सकते'

अस्पताल प्रशासन का कहना है कि इसमें हमारी कोई लापरवाही नहीं है. कुछ बच्चों की मौत वजन कम होने से तो कुछ की उल्टी होने से हुई है. अस्पताल प्रशासन के अनुसार कुछ मौत संक्रमण से भी हुई है. वहीं, इस मामले में अस्पताल प्रशासन का कहना है कि कई बार बच्चे को अस्पताल में छुट्टी दिलाने के बाद घर वाले बकरी या भैंस का दूध पिला देते हैं. जिससे बच्चे में संक्रमण फैल जाता है और फिर वह दोबारा बच्चे को यहां लेकर आते हैं, लेकिन उसकी मौत हो जाती है.

वहीं, शुक्रवार को अतिरिक्त जिला कलेक्टर एयू खान ने मातृ एंव शिशु अस्पताल का दौरा कर यूनिट के हालात का जायजा लिया, लेकिन यहां उन्हें सब सही मिला. लेकिन ईटीवी भारत ने जब अस्पताल का दौरा किया तो सच्चाई कुछ और ही रही. वहीं, इस मामले में अस्पताल अधीक्षक कुछ भी बोलने से बचते हुए नजर आ रहे हैं. उन्होंने कहा कि लाइटें बंद होना सामान्य है.

पढ़ें- कोटा: बच्चों के घर जाकर पड़ताल करेगी केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय की टीम, निजी अस्पताल से भी लेगी उपचार की जानकारी

SDM एयू खान ने बताया कि दिसंबर में 10 बच्चों की मौत हुई है, यह ऐसे बच्चे थे जिनका वजन कम था या उल्टी निगल ली और एक बच्चे की मौत संक्रमण से भी हुई है. PMO के मुताबिक 1 महीने में 10 बच्चों की मौत सामान्य आंकड़ा है. अस्पताल में हर माह 5 से 7 बच्चों की मौत हो जाती है, क्योंकि कुछ बच्चे जन्मजात कमजोर होते हैं.

SDM एयू खान ने कहा कि महीने में 31 दिन होते हैं दिसंबर में जरूर मौत का आंकड़ा बड़ा है पर हमारा प्रयास आखिरी हद तक बच्चों को बचाने का होता है. SNCU में निरीक्षण में सभी व्यवस्थाएं सही मिली है. वार्मर चालू थे और ऑक्सीजन सहित स्टाफ की कोई दिक्कत नहीं थी.

बूंदी. जिले के मातृ एंव शिशु अस्पताल के SNCU में 1 महीने में 10 बच्चों की मौत के बाद चिकित्सा विभाग में हड़कंप मचा हुआ है. ईटीवी भारत की टीम ने शनिवार को जब यूनिट का दौरा किया तो यूनिट में बार-बार लाइट आती जाती रही. वहीं, यह सिलसिला लगातार 2 घंटे तक चला. बता दें कि इस यूनिट में गंभीर स्थिति के बच्चों को इलाज दिया जाता है.

SNCU यूनिट में बदहाल है विद्युत व्यवस्था

लेकिन विद्युत के बार-बार आने जाने के चलते बच्चों को तुरंत इलाज देने वाली मशीनें भी बंद हो जा रही थी. जिससे यूनिट में बच्चों की चीख ही सुनाई दे रही थी. ऐसे में ये एक बड़ा सवाल है अस्पताल प्रशासन के लिए कि आखिर यहां बच्चे कैसे सुरक्षित रहेंगे.

बूंदी के इतने बड़े मातृ एंव शिशु अस्पताल में लाइट जाने के बाद जनरेटर की व्यवस्था भी नहीं है. वर्ष 2019 में 1 जनवरी से 31 दिसंबर तक SNCU वार्ड में 1416 नवजात भर्ती हुए थे. इनमें से 83 बच्चों की मौत हो गई और अकेले दिसंबर में 116 बच्चे भर्ती हुए थे, जिनमें 10 बच्चों की मौत हो गई है.

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अस्पताल प्रशासन का कहना है कि इसमें हमारी कोई लापरवाही नहीं है. कुछ बच्चों की मौत वजन कम होने से तो कुछ की उल्टी होने से हुई है. अस्पताल प्रशासन के अनुसार कुछ मौत संक्रमण से भी हुई है. वहीं, इस मामले में अस्पताल प्रशासन का कहना है कि कई बार बच्चे को अस्पताल में छुट्टी दिलाने के बाद घर वाले बकरी या भैंस का दूध पिला देते हैं. जिससे बच्चे में संक्रमण फैल जाता है और फिर वह दोबारा बच्चे को यहां लेकर आते हैं, लेकिन उसकी मौत हो जाती है.

वहीं, शुक्रवार को अतिरिक्त जिला कलेक्टर एयू खान ने मातृ एंव शिशु अस्पताल का दौरा कर यूनिट के हालात का जायजा लिया, लेकिन यहां उन्हें सब सही मिला. लेकिन ईटीवी भारत ने जब अस्पताल का दौरा किया तो सच्चाई कुछ और ही रही. वहीं, इस मामले में अस्पताल अधीक्षक कुछ भी बोलने से बचते हुए नजर आ रहे हैं. उन्होंने कहा कि लाइटें बंद होना सामान्य है.

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SDM एयू खान ने बताया कि दिसंबर में 10 बच्चों की मौत हुई है, यह ऐसे बच्चे थे जिनका वजन कम था या उल्टी निगल ली और एक बच्चे की मौत संक्रमण से भी हुई है. PMO के मुताबिक 1 महीने में 10 बच्चों की मौत सामान्य आंकड़ा है. अस्पताल में हर माह 5 से 7 बच्चों की मौत हो जाती है, क्योंकि कुछ बच्चे जन्मजात कमजोर होते हैं.

SDM एयू खान ने कहा कि महीने में 31 दिन होते हैं दिसंबर में जरूर मौत का आंकड़ा बड़ा है पर हमारा प्रयास आखिरी हद तक बच्चों को बचाने का होता है. SNCU में निरीक्षण में सभी व्यवस्थाएं सही मिली है. वार्मर चालू थे और ऑक्सीजन सहित स्टाफ की कोई दिक्कत नहीं थी.

Intro:बूंदी अस्पताल में 10 बच्चों की मौत के बाद अस्पताल प्रशासन में हड़कंप मचा हुआ है । आखिरकार 10 बच्चों की 1 महीने के अंदर कैसे मौत हो गई है सब में संशय का विषय बना हुआ है । प्रशासन द्वारा अस्पताल की कमियां जरूर छुपाई गई है यह तो सामने आ चुका है। आज जैसे ही हड़कम्प मचा तो चिकित्सकों का लवाजमा अस्पताल में तत्पर रहा तो बार-बार अस्पताल की यूनिट की विद्युत लाइट बार-बार बंद होती रही और तत्काल मशीनें भी इस दौरान बंद होने से सवालिया निशान खड़ा हो गया कि आखिरकार बार-बार बंद हो रही लाइट से कैसे बच्चे सुरक्षित रहे यह बड़ा सवाल बना हुआ है ।


Body:बूंदी के मातृ शिशु अस्पताल की एसएनसीयू में 1 महीने में 10 बच्चों की मौत के बाद चिकित्सा विभाग में हड़कंप मचा हुआ है । यहां ईटीवी भारत की टीम ने यूनिट का दौरा किया तो बार-बार यूनिट की लाइट बंद हो रही थी और यह दौर करीब 2 घंटे तक चला। इस यूनिट में गंभीर स्थिति के बच्चों को इलाज दिया जाता है लेकिन ऐसे में विधुत बार-बार में बंद होने से बच्चे कैसे सुरक्षित रहेंगे यह बड़ा सवाल खड़ा होता है कि इतने बड़े अस्पताल में विद्युत बंद होने के बाद जनरेटर की व्यवस्था नहीं है और विद्युत बंद हो रही है तो तत्काल इलाज देने वाली इमरजेंसी मशीनें भी बंद होने से बच्चों की चीखें नजर आ रही है। लाइट बंद होना अस्पताल प्रशासन की बड़ी लापरवाही देखी जा सकती है ।

वर्ष 2019 में 1 जनवरी से 31 दिसंबर तक एसएनसीयू वार्ड में 1416 नवजात भर्ती हुए थे इनमें 83 बच्चों की मौत हो गई ।इसमें अकेले दिसंबर में 116 बच्चे भर्ती हुए थे जिनमें 10 बच्चों की मौत हो गई । अस्पताल प्रशासन का कहना है कि इसमें हमारी कोई लापरवाही नहीं है कुछ बच्चों की मौत वजन कम होने से तो कुछ की उल्टी निकल जाने से हुई है संक्रमण से भी मौत हुई है । कई बार बच्चे को अस्पताल में छुट्टी दिलाने के बाद घर वाले बकरी या भैंस का दूध पिला देते हैं इसमें बच्चे में संक्रमण फैल जाता है फिर वह बच्चों को दोबारा यहां लेकर आते हैं तो उनकी मौत हो जाती है ।

जब शुक्रवार को अतिरिक्त जिला कलेक्टर एयू खान मातृ शिशु अस्पताल यूनिट के हालात का जायजा लेने पहुंचे हालांकि उन्हें सबकुछ ओके मिला या कहे की खामियां या कमियां छिपाई गई वह इस फील्ड से जुड़े नहीं थे ऐसे में ज्यादा गहराई तक नहीं जा सके। हकीकत में यह सब कुछ ओके नहीं था इससे अस्पताल की शिशु गहन चिकित्सा इकाई में व्यवस्थाएं चाक-चौबंद करने की जरूरत है। खबर का मकसद सनसनी पैदा करना नहीं है पर व्यवस्था चुस्त करना जरूर है अगर इनकी खामियां थी तो आज 2 घंटे तक इस यूनिट में बार-बार विधुत सफ्लाई क्यों बन्द हो रही थी और मशीनें क्यों बंद होती हुई नजर आई और लापरवाही का नतीजा इस तरह से रहा कि बच्चों की चीखें सुनाई दे रही थी और अस्पताल अधीक्षक है कि अपने चेंबर में कुछ बोलने से बचते हुए नजर आए और लाइटें बंद होने की बात को भी सामान्य कहते हुए दिखे ।





Conclusion:एडीएम सीलिंग एयू खान ने बताया कि दिसंबर में 10 बच्चों की मौत हुई है यह ऐसे बच्चे थे जिनका वजन कम था या उल्टी निगल ली एक बच्चे की मौत संक्रमण से भी हुई है। पीएमओ के मुताबिक 1 महीने में 10 बच्चों की मौत सामान्य आंकड़ा है अस्पताल में हर माह 5 से 7 बच्चों की मौत हो जाती है क्योंकि कुछ बच्चे जन्मजात कमजोर होते हैं। महीने में 31 दिन होते हैं दिसंबर में जरूर मौत का आंकड़ा बड़ा है पर हमारा प्रयास आखिरी हद तक बच्चों को बचाने में का होता है । एसएनसीयू में निरीक्षण में सभी व्यवस्थाएं सही मिली है वार्मंर चालू थे ऑक्सीजन सहित स्टाफ की कोई दिक्कत नहीं थी।

बाईट - एयू खान , अतिरिक्त जिला कलेक्टर ,सिलिग
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