बीकानेर. शिक्षा जीवन में वह प्रकाश है जिससे तमाम तरह के अंधेरे को दूर कर आगे बढ़ा जा सकता है. लेकिन कई बार चाह कर भी परिस्थितियों के चलते व्यक्ति पढ़ नहीं पाता है. दरअसल मेडिकल और इंजीनियरिंग की पढ़ाई के लिए देश के हर शहर में बड़े-बड़े कोचिंग इंस्टिट्यूट हैं, हालांकि इनमें लाखों रुपए की फीस देनी होती है. ऐसे ही अभावों से जूझ रहे बच्चों के लिए 74 साल के प्रोफेसर केडी शर्मा ने कक्षा 11 व 12 के साथ मेडिकल व इंजीनियरिंग की फाउंडेशन की तैयारी निशुल्क देने के लिए कोचिंग संस्थान चला रखा (Retd Prof giving free coaching in Bikaner) है.
84 साल के एक रिटायर्ड प्रोफेसर ने कुछ खास करने की ठानी और शिक्षा के प्रसार के साथ ही बालिका शिक्षा को लेकर नवाचार किया. दरअसल आज से 10 साल पहले 74 साल की उम्र में राजकीय डूंगर कॉलेज के प्रोफेसर केडी शर्मा ने अपने जीवन में आए एकाकीपन को दूर करने के साथ ही कुछ ऐसा करने की ठानी जो समाज में एक नजीर बने. अपनी पत्नी और खुद के नाम से सुशीला केशव सेवा संस्थान बनाते हुए प्रोफेसर शर्मा ने बालिका शिक्षा को लेकर मुहिम शुरू की.
इस दौरान महिला स्वालंबन और रोजगारमुखी विषय को ध्यान में रखते हुए उन्होंने सेवा के प्रकल्प शुरू किए और धीरे धीरे इस बात का ख्याल आया कि सेवा के इस प्रकल्प में बालिका शिक्षा को लेकर काम होना चाहिए और अपनी इस पहल में उन्हें साथ भी मिला. वे कहते हैं कि एक शिक्षिका ने उन्हें बालिका शिक्षा को लेकर प्रोत्साहित किया और निशुल्क शिक्षा के लिए जब उन्होंने शुरुआत की तो उनके साथ ही डूंगर कॉलेज के ही प्रोफेसर रविंद्र मंगल व अन्य शिक्षक भी जुड़े. वे खुद गणित विषय के प्रोफेसर थे, ऐसे में उन्होंने बच्चों को गणित की पढ़ाई शुरू करवाई. अब उनके संस्थान में लड़के भी निशुल्क शिक्षा पाते हैं.
मेडिकल और इंजीनियरिंग की फाउंडेशन की तैयारी: प्रोफेसर केडी शर्मा कहते हैं कि फिलहाल कक्षा 11 व 12 की कक्षाएं लगा रहे हैं और बच्चों को निशुल्क पढ़ा रहे (Professor KD Sharma free coaching in Bikaner) हैं. साथ ही मेडिकल व इंजीनियरिंग की फाउंडेशन की तैयारी भी करवा रहे हैं और इस काम में अब उनके साथ एक कोचिंग इंस्टीट्यूट सिंथेसिस भी सेवा के इस काम सहयोगी बनकर जुड़ गया है. वह भी फैकल्टी निशुल्क उपलब्ध करा रहा है. साथ ही स्टडी मैटेरियल भी उपलब्ध करवा रहा है.
बच्चों का भविष्य संवर जाए: नोखा सरकारी कॉलेज से रिटायर्ड प्रिंसिपल और फिजिक्स के प्रोफेसर डॉ रविंद्र मंगल कहते हैं कि सारी जिंदगी बच्चों को पढ़ाया है और बच्चों से बहुत कुछ सीखा है. तय है कि रिटायरमेंट के बाद कई कोचिंग इंस्टिट्यूट से फिजिक्स पढ़ाने के लिए लाखों रुपए के ऑफर आए, लेकिन 40 साल के अनुभव से जो कुछ सीखा और सिखाया है, उसको अब फिर से बच्चों के साथ बांटने और उन्हें अपनी तरफ से हर संभव सहयोग करने की इच्छा है. वे कहते हैं किसी भी कोचिंग इंस्टिट्यूट में लाखों रुपए लेकर पढ़ाने से अच्छा है, इन बच्चों को निशुल्क पढ़ाकर इन बच्चों के भविष्य को संवारने में मदद की जाए.
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सपना साकार होने जैसा: प्रज्ञानम नाम से शुरू की गई इस निशुल्क कोचिंग में पढ़ रहे बच्चों का कहना है कि वाकई उनके लिए यह एक सपना साकार होने जैसा है. क्योंकि उनकी आर्थिक स्थिति इस तरह की नहीं है कि वे महंगे कोचिंग में जाकर पढ़ाई कर सकें लेकिन अब उन्हें लगता है कि उनका भविष्य उज्जवल है और वह भी भविष्य में कुछ कर सकते हैं.
चयन का तरीका भी पारदर्शी: प्रोफेसर केडी शर्मा के इस नवाचार को उस वक्त पंख लग गए जब बीकानेर के कोचिंग इंस्टीट्यूट सिंथेसिस ने उनके इस कदम से कदम मिलाते हुए इसे व्यवस्थित रूप दे दिया और 9वीं, 11वीं और 12वीं की नियमित कक्षाएं लगती हैं. इसकी पूरी अकादमी की व्यवस्था संभाल रही एकता गोस्वामी कहती हैं कि हमारे यहां प्रज्ञान में बच्चों के चयन का तरीका भी पूरी तरह से पारदर्शी है. मेरिट के आधार पर हम कक्षा 11 और 12 के लिए 50-50 बच्चों का चयन करते हैं. साथ ही उन्हें पूरी तरह की सामग्री उपलब्ध कराते हैं. साथ ही मेडिकल और इंजीनियरिंग के प्रवेश कोर्स से जुड़े नोट्स भी दिए जाते हैं.
करोड़ों की बिल्डिंग समाजसेवा का जरिया: प्रोफेसर केडी शर्मा ने बीकानेर के पॉश खतुरिया कॉलोनी स्थित अपने करोड़ों की लागत वाले मकान को पूरी तरह से प्रज्ञानम के जरिए समाज सेवा के लिए समर्पित कर दिया है. उनका कहना है कि वे पहले अपनी दूसरे मकान में रहते थे, लेकिन अब इसी जगह पर एक कमरे में रहते हैं. उनका कहना है कि मेरा लगाया पौधा वटवृक्ष बनकर इसी जगह फूलता रहे. सुशीला केशव संस्थान के जरिए महिलाओं को रोजगारमुखी बनाने के लिए सिलाई प्रशिक्षण केंद्र, सिलाई मशीन का वितरण और अन्य कार्यक्रम जहां वर्ष पर आयोजित किए जाते हैं. पिछले कुछ सालों से जरूरतमंद बच्चों को निशुल्क शिक्षा देने का यह केंद्र वाकई सरस्वती का मंदिर बन गया है.
पूर्व आईएएस के पिता हैं शर्मा: शर्मा के तीन बेटियां हैं. बेटा राजस्थान कैडर के पूर्व आईएएस मनोज कुमार शर्मा हैं. फिलहाल एशियन डेवलपमेंट बोर्ड में उच्च पद पर हैं और विदेश में हैं. वह कहते हैं कि उनके इस कदम की उनके बच्चों ने भी सराहना की और बच्चे भी उनका पूरा साथ दे रहे हैं.