बीकानेर. सनातन धर्म में प्रत्येक महीने की कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को शिवभक्त शिवरात्रि का व्रत करते हैं. फाल्गुन मास की कृष्ण पक्ष चतुर्दशी की शिवरात्रि को महाशिवरात्रि के नाम से जाना जाता है. भगवान शिव की पूजा-आराधना करने के लिए महाशिवरात्रि का व्रत और पूजन श्रेष्ठ बतलाया गया है. इस दिन शिव की पूजा करने से शिव की कृपा प्राप्त होती है और जीवन में सभी संकटों से मुक्ति मिलती है. भगवान शिव की पूजा आराधना करने के लिए कई विधान बताए गए हैं. पूजा की एक प्रक्रिया होती है. जिसमें कुछ खास बातों का ध्यान रखना जरूरी है, ताकि भगवान शिव की अनुकंपा जल्दी प्राप्त हो सके.
ऐसे करें भगवान शिव की पूजा-आराधना: भगवान शिव की पूजा-आराधना की एक खास प्रक्रिया है. महाशिवरात्रि को भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए चार प्रहर में पूजा की जाती है. पूजा के प्रत्येक प्रहर में दूध, दही, मधु, चीनी से भगवान शिव का अलग-अलग अभिषेक किया जाना चाहिए. महाशिवरात्रि के दिन भगवान शिव और शिव परिवार का रात्रि पर्यंत अभिषेक करना चाहिए. रात्रि के समय जागरण करके व्रत रखना चाहिए. इस दिन नमः शिवाय मंत्र का जाप करना चाहिए. चार प्रहर की पूजा में प्रत्येक प्रसाद में खीर, मालपुआ, गुलाब जामुन, रेवड़ी, ऋतु फल चढ़ाकर शिव परिवार को प्रसन्न करना चाहिए. इस दिन भगवान विशेष श्रृंगार किया जाता है.
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पूजा विधान: महाशिवरात्रि के दिन भगवान शिव की चारों पूजा में भगवान की षोडशोपचार पूजा करके महाआरती की जाती है. शिवपुराण के मुताबिक भगवान शिव का 1008 बिल्वपत्र, कमल, गुलाब और शमी पत्र से विशेष अर्चन करना चाहिए. शिव पुराण के मुताबिक भगवान शिव का रुद्राभिषेक करते समय और बाद में शिव स्त्रोत, शिव महिमन स्त्रोत, शिव पंचाक्षर स्त्रोत, लिंगाष्टक स्त्रोत, रुद्राष्टक स्त्रोत, शिव तांडव स्त्रोत, द्वादश ज्योतिर्लिंग स्त्रोत का पाठ कर रात्रि जागरण करने, शिवरात्रि व्रत कथा का श्रवण करना चाहिए. इसका अत्यधिक पुण्य बताया गया है.