बीकानेर. गुरुवार के दिन भगवान श्रीहरि विष्णु और देव गुरु बृहस्पति को समर्पित होता है. मान्यता है कि इस दिन की गई पूजा जीवन में सकारात्मकता का संचार करती है और कई परेशानियों से निजात दिलाती है. भगवान विष्णु सृष्टि के पालनहार हैं और गुरुवार को उनकी पूजा करना विशेष फलदायी होता है. पारिवारिक शांति व्यवस्था बनी रहती है. साथ ही विवाह में आ रही अड़चनें दूर होती हैं.
श्री हरिविष्णु की पूजा : हिंदू धर्म के अनुसार गुरुवार को भगवान श्रीहरि विष्णु की देवी महालक्ष्मी के साथ पूजा-अर्चना करनी चाहिए. मां महालक्ष्मी धनसंपदा वैभव की देवी हैं. ऐसे में भगवान विष्णु और मां महालक्ष्मी की पूजा-अर्चना करने से कभी भी घर में धन संपदा की कमी नहीं होती. भगवान को रोली, अक्षत, चंदन, धूप, गंध, दीप, पीले फूल, पीले फल और मिठाई का भोग लगाएं. भगवान को चने की दाल और गुड़ के साथ ही तुलसी भी जरूर चढ़ाएं. तुलसी के बिना भगवान विष्णु की पूजा अधूरी मानी जाती है.
पढ़ें. Friday Remedies: शुक्रवार को मां लक्ष्मी की करें पूजा, दूर होंगे सारे संकट
आम के पेड़ की पूजा : गुरुवार के दिन देवगुरु बृहस्पति के प्रतीक स्वरूप आम के पेड़ की पूजा करें. एक लोटा जल लेकर उसमें चने की दाल, कुमकुम, गुड़, हल्दी और चावल डालकर आम के पेड़ की जड़ में चढ़ाएं. इस दौरान ॐ ऐं क्लीं बृहस्पतये नमः मंत्र का उच्चारण करते हुए आम के वृक्ष की पांच परिक्रमा करें. साथ ही गुरुप्रीति और गुरुभक्ति बढ़े ऐसी प्रार्थना करें. थोड़ा सा गुड़ या बेसन की मिठाई चींटियों को भी डाल दें. हर गुरुवार को तुलसी के पौधे में थोड़ा-सा गाय का शुद्ध कच्चा दूध डालने से उस घर में लक्ष्मी स्थायी होती है.
न करें ये काम : मान्यता है कि गुरुवार को बाल कटवाने से लक्ष्मी और मान की हानि होती है. इस दिन तेल-मालिश करना भी निषेध है. यदि निषिद्ध दिनों में मालिश करनी ही है तो ऋषियों ने उसकी भी व्यवस्था दी है, तेल में दूर्वा के साथ मालिश करें तो दोष नहीं लगता.