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Akshaya Tritiya 2023: इस बार अक्षय तृतीया को नहीं बजेगी शहनाई, बाजारों से भी रौनक गायब

हिंदू धर्म में पंचांग मुहूर्त का महत्व है. किसी भी मांगलिक कार्य को करने और विवाह पाणिग्रहण संस्कार के लिए मुहूर्त देखा जाता है. शास्त्रों में भी कुछ दिन और तिथियों को विशेष महत्व दिया जाता है. उन दिनों को अबूझ यानी कि यानि शुभ कार्य करने के लिए मुहूर्त पूछने की जरूरत नहीं होती. ऐसा ही एक अबूझ मुहूर्त अक्षय तृतीया को भी माना जाता है.

akshaya tritiya 2023
इस बार अक्षय तृतीया को नहीं बजेगी शहनाई
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Published : Apr 20, 2023, 3:26 PM IST

बीकानेर. अक्षय तृतीया का हिंदू धर्म शास्त्रों में बड़ा महत्व बताया गया है. इस दिन किया गया दान पुण्य मांगलिक कार्य कई गुना फल देता है. इसी के चलते विवाह संस्कार यानी कि कन्यादान के लिए भी अक्षय तृतीया का मुहूर्त सर्वश्रेष्ठ मुहूर्त में शामिल है. वैसे तो किसी भी मांगलिक कार्य को करने के लिए मुहूर्त निकाला जाता है, लेकिन अक्षय तृतिया के दिन किए गए काम को लेकर किसी मुहूर्त की जरूरत नहीं होती और वह दिन श्रेष्ठ माना जाता है. इस बार अक्षय तृतीया के दिन भी पाणिग्रहण संस्कार और मांगलिक कार्यों के लिए धर्म शास्त्रों के अनुसार मनाही है. इस बार अक्षय तृतीया 22 अप्रैल दिन शनिवार को पड़ रही है.

ये भी पढ़ेंः Akshay Tritiya 2022 : अक्षय तृतीया पर अबूझ सावा, प्रदेश में 30 हजार से ज्यादा शादियां, मनाया जा रहा परशुराम जन्मोत्सव

ये हैं कारणः पञ्चांगकर्ता पंडित राजेंद्र किराडू कहते हैं कि इस बार 13 मार्च के बाद गुरु अस्त होने से अप्रैल तक विवाह मुहूर्त नहीं हैं. जिसके चलते अक्षय तृतीया का अबूझ मुहूर्त भी विवाह के लिए नहीं है. इस बार अक्षय़ तृतीया पर गुरु का तारा अस्त है. इसलिए इस बार अक्षय तृतीया पर विवाह आदि के योग नहीं बन रहे हैं. दरअसल मार्च में गुरु का तारा अस्त हुआ था और अब 28 अप्रैल को गुरु उदय होंगे, तब तक विवाह मुहूर्त नहीं हैं. अब विवाह का सिलसिला मई से शुरू होगा और जून के अंत तक चलेगा. इस साल दिसंबर तक विवाह के करीब 50 मुहूर्त हैं.

ये भी पढ़ेंः अक्षय तृतीया और भगवान परशुराम जयंती पर निकाली गई भव्य शोभा यात्रा...

बड़ी संख्या में होती है शादियांः साल में अक्षय तृतीया का दिन विवाह के लिए सबसे बड़ा मनाता है और इस दिन बड़ी संख्या में गांव, शहर में शादियां होती हैं, लेकिन इस बार अक्षय तृतीया के दिन विवाह का मुहूर्त नहीं होने से शादियों की शहनाई नहीं बज रही है. जिसके चलते बैंड बाजा, घोड़ी, मैरिज पैलेस पूरी तरह से इस दिन खाली हैं. हर बार अक्षय तृतीया के दिन को लेकर माथा-पच्ची देखने को मिलती है और साल भर पहले ही इन सब की बुकिंग हो जाती थी.

ज्वेलरी कारोबार में भी सुस्तीः अक्षय तृतीया के दिन विवाह समारोह का मुहूर्त होने के चलते ज्वेलरी कारोबार में भी तेजी देखने को मिलती है और बड़ी संख्या में लोग सोने-चांदी आभूषणों की खरीद करते हैं. इस बार अक्षय तृतीया के दिन मुहूर्त नहीं होने से बाजार में भी रौनक नहीं है और विवाह समारोह में काम आने वाले सामान और इस सेक्टर से जुड़े अन्य उद्योग भी काफी प्रभावित हैं.

बीकानेर. अक्षय तृतीया का हिंदू धर्म शास्त्रों में बड़ा महत्व बताया गया है. इस दिन किया गया दान पुण्य मांगलिक कार्य कई गुना फल देता है. इसी के चलते विवाह संस्कार यानी कि कन्यादान के लिए भी अक्षय तृतीया का मुहूर्त सर्वश्रेष्ठ मुहूर्त में शामिल है. वैसे तो किसी भी मांगलिक कार्य को करने के लिए मुहूर्त निकाला जाता है, लेकिन अक्षय तृतिया के दिन किए गए काम को लेकर किसी मुहूर्त की जरूरत नहीं होती और वह दिन श्रेष्ठ माना जाता है. इस बार अक्षय तृतीया के दिन भी पाणिग्रहण संस्कार और मांगलिक कार्यों के लिए धर्म शास्त्रों के अनुसार मनाही है. इस बार अक्षय तृतीया 22 अप्रैल दिन शनिवार को पड़ रही है.

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ये हैं कारणः पञ्चांगकर्ता पंडित राजेंद्र किराडू कहते हैं कि इस बार 13 मार्च के बाद गुरु अस्त होने से अप्रैल तक विवाह मुहूर्त नहीं हैं. जिसके चलते अक्षय तृतीया का अबूझ मुहूर्त भी विवाह के लिए नहीं है. इस बार अक्षय़ तृतीया पर गुरु का तारा अस्त है. इसलिए इस बार अक्षय तृतीया पर विवाह आदि के योग नहीं बन रहे हैं. दरअसल मार्च में गुरु का तारा अस्त हुआ था और अब 28 अप्रैल को गुरु उदय होंगे, तब तक विवाह मुहूर्त नहीं हैं. अब विवाह का सिलसिला मई से शुरू होगा और जून के अंत तक चलेगा. इस साल दिसंबर तक विवाह के करीब 50 मुहूर्त हैं.

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बड़ी संख्या में होती है शादियांः साल में अक्षय तृतीया का दिन विवाह के लिए सबसे बड़ा मनाता है और इस दिन बड़ी संख्या में गांव, शहर में शादियां होती हैं, लेकिन इस बार अक्षय तृतीया के दिन विवाह का मुहूर्त नहीं होने से शादियों की शहनाई नहीं बज रही है. जिसके चलते बैंड बाजा, घोड़ी, मैरिज पैलेस पूरी तरह से इस दिन खाली हैं. हर बार अक्षय तृतीया के दिन को लेकर माथा-पच्ची देखने को मिलती है और साल भर पहले ही इन सब की बुकिंग हो जाती थी.

ज्वेलरी कारोबार में भी सुस्तीः अक्षय तृतीया के दिन विवाह समारोह का मुहूर्त होने के चलते ज्वेलरी कारोबार में भी तेजी देखने को मिलती है और बड़ी संख्या में लोग सोने-चांदी आभूषणों की खरीद करते हैं. इस बार अक्षय तृतीया के दिन मुहूर्त नहीं होने से बाजार में भी रौनक नहीं है और विवाह समारोह में काम आने वाले सामान और इस सेक्टर से जुड़े अन्य उद्योग भी काफी प्रभावित हैं.

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