ETV Bharat / state

भीलवाड़ा के न्यायालय में राष्ट्रीय लोक अदालत का आयोजन

भीलवाड़ा में शनिवार को जिला विधिक सेवा प्राधिकरण की ओर से साल 2020 की पहली राष्ट्रीय लोक अदालत का आयोजन किया गया. जिसमें 9 हजार प्रकरणों को चुना गया है. इन प्रकरणों में पारिवारिक, चेक अनादण, श्रम विवाद, बकाया बिल और भूमि अधिग्रहण के मामले शामिल हैं.

जिला विधिक सेवा प्राधिकरण, bhilwara latest news
भीलवाड़ा में पहली राष्ट्रीय लोक अदालत आयोजित हुई
author img

By

Published : Feb 8, 2020, 5:06 PM IST

भीलवाड़ा. जिला विधिक सेवा प्राधिकरण की ओर से शनिवार को भीलवाड़ा में जिला एवं सेशन न्यायालय में साल 2020 की पहली राष्ट्रीय लोक अदालत का आयोजन किया गया. जिसमें आपसी समझाइश से मामलों को सुलझाने के लिए 9 हजार प्रकरणों का चयन किया गया है. इनमें पारिवारिक, चेक अनादण, श्रम विवाद, बकाया बिल और भूमि अधिग्रहण के मामलों को निपटाने के लिए 22 बेंच से लगाई गई है. जिसमें जिला मुख्यालय पर 10 बेंच और तालुका क्षेत्र के लिए 12 बेंच का गठन किया गया है.

भीलवाड़ा में पहली राष्ट्रीय लोक अदालत आयोजित हुई

पारिवारिक न्यायालय के न्यायाधीश मुकेश भार्गव ने कहा कि लोक अदालत की प्रक्रिया बहुत सरल होती है. इसमें दोनों पक्ष खुलकर अपनी बात रख कर गलतफहमियां दूर कर सकते हैं. लोक अदालत में कोई भी पक्ष हारता नहीं है. जिसके चलते उनमें आपसी मतभेद खत्म हो जाते हैं. इसमें सभी प्रकार के छोटे-मोटे मुकदमों को शांतिपूर्वक और समझौते से सुलझाया जाता है.

पढ़ें- भीलवाड़ा : नुक्कड़ नाटक के जरिए टीकाकरण अभियान का प्रचार-प्रसार

बता दें कि राष्ट्रीय लोक अदालत में दोनों पक्षों को साथ-साथ बैठाकर आपसी बातचीत और राजीनामे के आधार पर विवाद के निस्तारण का प्रयास किया जाता है. राष्ट्रीय लोक अदालत का माहौल न्यायालय जैसा नहीं होकर औपचारिक और बहुत ही सहज होता है. लोक अदालत के समक्ष दोनों पक्ष अपनी-अपनी बात खुलकर कह सकते हैं. राजीनामा किसी पर भी थोप कर नहीं किया जाता है बल्कि दोनों पक्षों की स्वैच्छिक सहमति होने पर ही आदेश पारित किया जाता है.

भीलवाड़ा. जिला विधिक सेवा प्राधिकरण की ओर से शनिवार को भीलवाड़ा में जिला एवं सेशन न्यायालय में साल 2020 की पहली राष्ट्रीय लोक अदालत का आयोजन किया गया. जिसमें आपसी समझाइश से मामलों को सुलझाने के लिए 9 हजार प्रकरणों का चयन किया गया है. इनमें पारिवारिक, चेक अनादण, श्रम विवाद, बकाया बिल और भूमि अधिग्रहण के मामलों को निपटाने के लिए 22 बेंच से लगाई गई है. जिसमें जिला मुख्यालय पर 10 बेंच और तालुका क्षेत्र के लिए 12 बेंच का गठन किया गया है.

भीलवाड़ा में पहली राष्ट्रीय लोक अदालत आयोजित हुई

पारिवारिक न्यायालय के न्यायाधीश मुकेश भार्गव ने कहा कि लोक अदालत की प्रक्रिया बहुत सरल होती है. इसमें दोनों पक्ष खुलकर अपनी बात रख कर गलतफहमियां दूर कर सकते हैं. लोक अदालत में कोई भी पक्ष हारता नहीं है. जिसके चलते उनमें आपसी मतभेद खत्म हो जाते हैं. इसमें सभी प्रकार के छोटे-मोटे मुकदमों को शांतिपूर्वक और समझौते से सुलझाया जाता है.

पढ़ें- भीलवाड़ा : नुक्कड़ नाटक के जरिए टीकाकरण अभियान का प्रचार-प्रसार

बता दें कि राष्ट्रीय लोक अदालत में दोनों पक्षों को साथ-साथ बैठाकर आपसी बातचीत और राजीनामे के आधार पर विवाद के निस्तारण का प्रयास किया जाता है. राष्ट्रीय लोक अदालत का माहौल न्यायालय जैसा नहीं होकर औपचारिक और बहुत ही सहज होता है. लोक अदालत के समक्ष दोनों पक्ष अपनी-अपनी बात खुलकर कह सकते हैं. राजीनामा किसी पर भी थोप कर नहीं किया जाता है बल्कि दोनों पक्षों की स्वैच्छिक सहमति होने पर ही आदेश पारित किया जाता है.

Intro:


भीलवाड़ा - जिला विधिक सेवा प्राधिकरण द्वारा आज शनिवार को भीलवाड़ा में जिला एवं सेशन न्यायालय में वर्ष 2020 की पहली राष्ट्रीय लोक अदालत का आयोजन किया गया है। जिसमें आपसी समझाइए से मामलों को सुलझाने के लिए 9 हजार प्रकरणों का चयन किया गया है । इनमें पारिवारिक , चेक अनादण , श्रम विवाद , बकाया बिलों और भूमि अधिग्रहण के मामलों को निपटाने के लिए 22 बैंक से लगाई गई है। जिसमें जिला मुख्यालय पर 10 बेंच और तालुका क्षेत्र के लिए 12 बेंच का गठन किया गया है ।




Body:


पारिवारिक न्यायालय के न्यायाधीश मुकेश भार्गव ने कहा कि लोक अदालत की प्रक्रिया बहुत सरल होती है इसमें दोनों पक्ष खुलकर अपनी बात रख कर गलतफहमियां दूर कर सकते हैं लोक अदालत में कोई भी पक्ष आता नहीं है बल्कि जीते हैं जिसके कारण उनमें आपसी मतभेद खत्म हो जाते हैं इसमें सभी प्रकार के छोटे-मोटे मुकदमों को शांतिपूर्वक और समझौते से सुलजाएगी । सत्र 2020 की पहली राष्ट्रीय लोक अदालत में 9 हजार प्रकरणों का चयन किया गया है इनमें पारिवारिक चेक अनादर श्रम विभाग बकाया बिलों और भूमि अधिग्रहण के मामले को निपटाने के लिए 22 बेंचे लगाई गई है जिसमें जिला मुख्यालय पर 10 भैंस और तालुका क्षेत्र के लिए 12 बैंजो का गठन किया गया है ।



बता दें कि राष्ट्रीय लोक अदालत में दोनों पक्षों को साथ साथ बैठाकर आपसी बातचीत और राजीनामे के आधार पर विवाद को निस्तारण का प्रयास किया जाता है । राष्ट्रीय लोक अदालत का माहौल न्यायालय जैसा नहीं होकर औपचारिक और बहुत ही सहज होता है । लोक अदालत के समक्ष दोनों पक्ष अपनी-अपनी बात खुलकर कह सकते हैं राजीनामा किसी भी पर थोप कर नहीं किया जाता है बल्कि दोनों पक्षों की स्वैच्छिक सहमति होने पर ही आदेश पारित किया जाता है




Conclusion:



बाइट - मुकेश भार्गव , पारिवारिक न्यायालय के न्यायाधीश
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.