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पेयजल की समस्या से जूझ रही ग्रामीण महिलाओं का साथी बना Water Wheel...बच्चे भी आसानी से 50 लीटर पानी भरकर ले जाते हैं घर - Water Wheel

भरतपुर (Bharatpur) और धौलपुर (Dholpur) में पानी की समस्या (water problem in Bharatpur) थी. महिलाओं को दूर से मटके और बर्तनों में कई बार पानी भरना पड़ता था लेकिन अब उन्हें पानी भरकर लाने के लिए परेशान नहीं होना पड़ता है. अब बच्चे भी आसानी से 50 लीटर पानी भरकर घर ले आते हैं.

water problem in Bharatpur,
भरतपुर में वाटर व्हील
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Published : Nov 22, 2021, 7:55 PM IST

भरतपुर. संभाग मुख्यालय से महज 5 किलोमीटर दूर स्थित कई गांवों के हजारों लोगों को आज भी चंबल (Chambal River) के मीठे पानी का इंतजार है. गांव की महिलाएं प्यास बुझाने के लिए कई किलोमीटर दूर से सिर पर मटकी रख कर लाती थीं. ऐसे में एक सामाजिक संस्था की मदद से हजारों ग्रामीणों के लिए वाटर व्हील मददगार बना. अब ना केवल भरतपुर बल्कि धौलपुर जिले के 34 गांव के महिला, पुरुष और बच्चे खेल-खेल में कई किलोमीटर दूर से वाटर व्हील (Water Wheel) में 50-50 लीटर पानी भरकर आसानी से अपने घरों तक ले जाते हैं. ईटीवी भारत ने ग्रामीणों की समस्या और संस्था की पहल को नजदीक से देखा.

भरतपुर में वाटर व्हील

इसलिए ली वाटर व्हील की मदद

राजपूताना सोसाइटी ऑफ नेचुरल हिस्ट्री (आरएसएनएच) (Rajputana Society of Natural History) के संस्थापक सदस्य डॉक्टर सत्य प्रकाश मेहरा ने बताया कि भरतपुर संभाग से महज 5 से 10 किलोमीटर दूरी पर स्थित करें आधा दर्जन से अधिक गांव में पीने के पानी की समस्या (Water Scarcity Rajasthan) थी. चंबल का पानी भी पहुंचा लेकिन वो व्यवस्था भी गांव से करीब डेढ़ से 2 किलोमीटर दूर थी. ऐसे में ग्रामीण महिलाओं को अपने काम-धंधे छोड़कर पीने का पानी भरने के लिए दिन में कई कई बार पैदल ही लंबी दूरी तय करनी पड़ती. ऐसे में साल 2017 में हैबिटेट फॉर ह्यूमैनिटी संस्था ने मदद का हाथ बढ़ाया और ग्रामीणों के लिए वाटर व्हील सुविधा की जानकारी दी.

यह भी पढ़ें. Keoladeo National Park: साइबेरियन सारस के बाद राजहंस ने भी मोड़ा मुंह, प्रदूषित पानी बड़ी वजह

34 गांवों में 3 हजार परिवारों को दिए

डॉक्टर सत्य प्रकाश मेहरा ने बताया कि हैबिटेट फॉर ह्यूमैनिटी की मदद से साल 2017 में शुरुआत में 100 परिवारों को 1-1 वाटर व्हील निशुल्क वितरित किया गया. इसके बाद एक बहुत ही सामान्य शुल्क निर्धारित करके भरतपुर और धौलपुर के 34 गांव में 3000 परिवारों को वाटर व्हील की सुविधा उपलब्ध कराई गई. इससे अब बच्चे और महिलाएं आसानी से एक वाटर व्हील में 50 लीटर तक पानी भरकर घरों तक ले जाती हैं.

यह भी पढ़ें. Special : 294 साल से जयपुर में बरकरार विरासत, वास्तु और धर्म नगरी का संगम

संस्था की ओर से भरतपुर के चरामनगर, रामनगर, खंडेरा, खोखर, चक ऐक्टा, ऐक्टा, बंजी, बंजारा नगला समेत 26 गांव और धौलपुर के मदारी का पूरा पंचायत के गांवों समेत सरमथुरा क्षेत्र के 8 गांवों में करीब 3 हजार वाटर व्हील वितरित किए गए.

पीने के पानी का संकट, कहीं सुनवाई नहीं

चकरामनगर की बेबी और साधना ने बताया कि उनके गांव में पीने के लिए मीठा पानी उपलब्ध (drinking water problem) नहीं है. ऐसे में मजबूरी में उन्हें गांव से करीब डेढ़ किलोमीटर दूर बंध के पास से एक हैंडपंप से मीठा पानी भरकर ले जाना पड़ता है. एक जगह पर चंबल के मीठे पानी का पॉइंट भी है लेकिन वह भी गांव से काफी दूर है. ऐसे भी मजबूरी में पूरा गांव वाटर व्हील में भरकर दिन में दो बार पानी लेकर जाता है.

ग्रामीणों ने बताया कि इस समस्या को लेकर कई बार अधिकारियों को भी लिखित में शिकायत दी लेकिन कहीं पर कोई सुनवाई नहीं होती है. आसपास के करीब आधा दर्जन से अधिक गांव के लोग मीठे पानी के लिए परेशान हैं.

भरतपुर. संभाग मुख्यालय से महज 5 किलोमीटर दूर स्थित कई गांवों के हजारों लोगों को आज भी चंबल (Chambal River) के मीठे पानी का इंतजार है. गांव की महिलाएं प्यास बुझाने के लिए कई किलोमीटर दूर से सिर पर मटकी रख कर लाती थीं. ऐसे में एक सामाजिक संस्था की मदद से हजारों ग्रामीणों के लिए वाटर व्हील मददगार बना. अब ना केवल भरतपुर बल्कि धौलपुर जिले के 34 गांव के महिला, पुरुष और बच्चे खेल-खेल में कई किलोमीटर दूर से वाटर व्हील (Water Wheel) में 50-50 लीटर पानी भरकर आसानी से अपने घरों तक ले जाते हैं. ईटीवी भारत ने ग्रामीणों की समस्या और संस्था की पहल को नजदीक से देखा.

भरतपुर में वाटर व्हील

इसलिए ली वाटर व्हील की मदद

राजपूताना सोसाइटी ऑफ नेचुरल हिस्ट्री (आरएसएनएच) (Rajputana Society of Natural History) के संस्थापक सदस्य डॉक्टर सत्य प्रकाश मेहरा ने बताया कि भरतपुर संभाग से महज 5 से 10 किलोमीटर दूरी पर स्थित करें आधा दर्जन से अधिक गांव में पीने के पानी की समस्या (Water Scarcity Rajasthan) थी. चंबल का पानी भी पहुंचा लेकिन वो व्यवस्था भी गांव से करीब डेढ़ से 2 किलोमीटर दूर थी. ऐसे में ग्रामीण महिलाओं को अपने काम-धंधे छोड़कर पीने का पानी भरने के लिए दिन में कई कई बार पैदल ही लंबी दूरी तय करनी पड़ती. ऐसे में साल 2017 में हैबिटेट फॉर ह्यूमैनिटी संस्था ने मदद का हाथ बढ़ाया और ग्रामीणों के लिए वाटर व्हील सुविधा की जानकारी दी.

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34 गांवों में 3 हजार परिवारों को दिए

डॉक्टर सत्य प्रकाश मेहरा ने बताया कि हैबिटेट फॉर ह्यूमैनिटी की मदद से साल 2017 में शुरुआत में 100 परिवारों को 1-1 वाटर व्हील निशुल्क वितरित किया गया. इसके बाद एक बहुत ही सामान्य शुल्क निर्धारित करके भरतपुर और धौलपुर के 34 गांव में 3000 परिवारों को वाटर व्हील की सुविधा उपलब्ध कराई गई. इससे अब बच्चे और महिलाएं आसानी से एक वाटर व्हील में 50 लीटर तक पानी भरकर घरों तक ले जाती हैं.

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संस्था की ओर से भरतपुर के चरामनगर, रामनगर, खंडेरा, खोखर, चक ऐक्टा, ऐक्टा, बंजी, बंजारा नगला समेत 26 गांव और धौलपुर के मदारी का पूरा पंचायत के गांवों समेत सरमथुरा क्षेत्र के 8 गांवों में करीब 3 हजार वाटर व्हील वितरित किए गए.

पीने के पानी का संकट, कहीं सुनवाई नहीं

चकरामनगर की बेबी और साधना ने बताया कि उनके गांव में पीने के लिए मीठा पानी उपलब्ध (drinking water problem) नहीं है. ऐसे में मजबूरी में उन्हें गांव से करीब डेढ़ किलोमीटर दूर बंध के पास से एक हैंडपंप से मीठा पानी भरकर ले जाना पड़ता है. एक जगह पर चंबल के मीठे पानी का पॉइंट भी है लेकिन वह भी गांव से काफी दूर है. ऐसे भी मजबूरी में पूरा गांव वाटर व्हील में भरकर दिन में दो बार पानी लेकर जाता है.

ग्रामीणों ने बताया कि इस समस्या को लेकर कई बार अधिकारियों को भी लिखित में शिकायत दी लेकिन कहीं पर कोई सुनवाई नहीं होती है. आसपास के करीब आधा दर्जन से अधिक गांव के लोग मीठे पानी के लिए परेशान हैं.

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