भरतपुर. जिले के बयाना तहसील के खेरली गड़ासिया गांव निवासी 80 वर्षीय केसो पत्नी सूरजमल अपने परिवार के साथ खुशहाल जीवन जी रही है, लेकिन सरकारी तंत्र है कि उसे जिंदा मानने को ही तैयार नहीं है. सरकारी तंत्र के कर्मचारियों ने केसो को अगस्त 2019 में ही मृत मान लिया है. अब केसो का बेटा बीते 4 माह से अपनी मां को जिंदा साबित करने के लिए सरकारी विभागों के चक्कर काट रहा है. वहीं, विभाग के अधिकारी हैं कि उसे कागजी कार्रवाई के नाम पर इधर से उधर घुमा रहे हैं. ईटीवी भारत ने जब पीड़ित के घर जाकर देखा तो केसो जीवित और स्वस्थ मिलीं.
दरअसल, खेरली गड़ासिया निवासी भीम सिंह ने बताया कि उसकी मां केसो की वृद्धावस्था की पेंशन बैंक खाते में आती थी, लेकिन अगस्त 2019 से अचानक से उनकी पेंशन बंद हो गई. इस संबंध में जब बैंक में जाकर के पता किया तो वहां के अधिकारियों ने बताया कि केसो नामक महिला तो मर चुकी है, इसलिए उनकी पेंशन बंद कर दी गई है. इसके बाद जब ट्रेजरी में जाकर मिले तो वहां के अधिकारियों ने भी यही जानकारी दी. जानकारी करने पर पता चला कि ग्राम पंचायत और पंचायत समिति के स्तर पर यह गलत जानकारी प्रसारित की गई, जिसके बाद जीवित केसो को मृत बता दिया.
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बिना जांच के भेज दी मृतकों की सूची...
भीम सिंह ने बताया कि ग्राम पंचायत खेरली गड़ासिया के राजीव गांधी सेवा केंद्र पर जानकारी की तो पता चला कि पूरी पंचायत के करीब 15 मृतकों की सूची बनाकर पंचायत समिति भेजी गई थी, जिनमें जीवित केसो का नाम भी था. लेकिन, राजीव गांधी सेवा केंद्र पर कार्यरत सचिव और अन्य जिम्मेदार कर्मचारियों की ओर से इन मृतकों की सूची का क्रॉस वेरिफिकेशन नहीं किया गया. ऐसे में गलत जानकारी ऊपर भेज दी गई.
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जीवित साबित करने को काट रहे चक्कर...
भीम सिंह ने बताया, कि अब वह अपनी मां को जीवित साबित करने के लिए राजीव गांधी सेवा केंद्र से लेकर पंचायत समिति तक चक्कर काट रहा है. सचिव का कहना है कि 80 वर्षीय केसो का आधार कार्ड बनवा कर लाया जाए, लेकिन हकीकत यह है कि उम्र अधिक होने की वजह से आधार कार्ड बनवाने के लिए उनके फिंगरप्रिंट स्कैन नहीं हो पा रहे. ऐसे में आधार कार्ड नहीं बन पा रहा है. इसी के चलते जिम्मेदार रिकॉर्ड में केसो को फिर से जीवित दर्ज नहीं कर रहे.