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भरतपुर में चीकू की बागवानी से 6 गुना मुनाफा कमा रहे जगदीश, दूसरे राज्यों से गुर सिखने आ रहे किसान

भरतपुर के किसान जगदीश मीणा प्रगतिशील तरीके से खेती कर कई गुना मुनाफा कमा रहे हैं. 4 साल पहले उन्होंने चीकू की बागवानी शुरू की थी, जिससे उन्हें 6 गुना ज्यादा कमाई हो रही है. पढ़िए कैसे परंपरागत से अलग और मुनाफे वाली है ये खेती...

Chiku Cultivation in Bharatpur
चीकू की बागवानी
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Published : Jun 7, 2023, 7:44 PM IST

भरतपुर. भारतीय कृषि को अब तक मानसून का 'जुआ' कहा जाता रहा है, लेकिन प्रगतिशील तरीके से खेती कर रहे किसानों ने इस कहावत को झुठला दिया है. किसान यहां हर वर्ष लाखों रुपए का मुनाफा कमा रहा है. साथ ही मानसूनी आपदाओं से होने वाले नुकसान से भी सुरक्षित है. भरतपुर जिले के भुसावर निवासी एक किसान जगदीश मीणा चीकू की बागवानी से हर वर्ष परंपरागत खेती की तुलना में 6 गुना ज्यादा मुनाफा कमा रहे हैं. इतना ही नहीं अब दूर-दूर से किसान भाई इनसे चीकू की बागवानी के गुर भी सीखने आ रहे हैं.

4 साल पहले की शुरुआत : भुसावर के बोराज गांव निवासी किसान जगदीश मीणा ने बताया कि वो वर्षों तक परंपरागत तरीके से खेती करते आ रहे थे, लेकिन कोई खास मुनाफा नहीं होता था. एक बार सवाई माधोपुर में चीकू का बाग देखने का मौका मिला, तब खुद भी चीकू की बागवानी करने की इच्छा हुई. करीब 4 साल पहले सवाई माधोपुर से चीकू के 300 पौधे मंगाए और अपनी 3 बीघा जमीन में ये पौधे लगा दिए.

पढ़ें. Special : कृषक दंपती का अनूठा जैविक फार्म हाउस, बाजार कीमत से तीन गुना महंगा बिक रहा गाय का घी और अनाज

6 गुना ज्यादा मुनाफा : किसान जगदीश मीणा ने बताया कि 2 साल बाद पौधों ने फल देना शुरू कर दिया. पौधों पर अच्छी मात्रा और अच्छी साइज का फल आना शुरू हुआ. पहले ही साल 3 बीघा बाग में चीकू की करीब 20 टन से अधिक पैदावार हुई. मंडी में भाव भी अच्छा मिला. उन्होंने बताया कि उसी 3 बीघा खेत में जहां परंपरागत तरीके से खेती करके मुश्किल से 1 से डेढ़ लाख रुपए सालाना की आय होती थी, अब करीब 8 लाख रुपए सालाना की आय हो रही है.

जैविक की वजह से अधिक दाम : किसान जगदीश मीणा ने बताया कि बागवानी में वो पूरी तरह से गोबर से बने हुए खाद का इस्तेमाल करते हैं. न ही कोई कीटनाशक, न ही रासायनिक खाद का इस्तेमाल किया जाता है. इसका नतीजा यह हुआ कि पेड़ पर करीब 200- 200 ग्राम के आकार के चीकू के फल लगते हैं. इतना ही नहीं जैविक फल होने की वजह से दो से तीन गुना भाव मिलता है.

खेत पर आ रहे व्यापारी व किसान : जगदीश मीणा ने बताया कि दो साल के अंदर ही उनकी चीकू की अच्छी डिमांड हो गई है. सीजन में कई व्यापारी तो खेत में ही फल खरीदने पहुंच जाते हैं. उन्होंने बताया कि अब आसपास के किसानों के साथ ही आगरा, दिल्ली, हरियाणा तक के किसान चीकू की बागवानी की जानकारी लेने के लिए आते हैं. जगदीश मीणा का कहना है कि किसान को अपनी कुल जमीन के कुछ भाग में प्रगतिशील तरीके से खेती जरूर करनी चाहिए, जिससे कि वो अच्छा मुनाफा कमा सके.

भरतपुर. भारतीय कृषि को अब तक मानसून का 'जुआ' कहा जाता रहा है, लेकिन प्रगतिशील तरीके से खेती कर रहे किसानों ने इस कहावत को झुठला दिया है. किसान यहां हर वर्ष लाखों रुपए का मुनाफा कमा रहा है. साथ ही मानसूनी आपदाओं से होने वाले नुकसान से भी सुरक्षित है. भरतपुर जिले के भुसावर निवासी एक किसान जगदीश मीणा चीकू की बागवानी से हर वर्ष परंपरागत खेती की तुलना में 6 गुना ज्यादा मुनाफा कमा रहे हैं. इतना ही नहीं अब दूर-दूर से किसान भाई इनसे चीकू की बागवानी के गुर भी सीखने आ रहे हैं.

4 साल पहले की शुरुआत : भुसावर के बोराज गांव निवासी किसान जगदीश मीणा ने बताया कि वो वर्षों तक परंपरागत तरीके से खेती करते आ रहे थे, लेकिन कोई खास मुनाफा नहीं होता था. एक बार सवाई माधोपुर में चीकू का बाग देखने का मौका मिला, तब खुद भी चीकू की बागवानी करने की इच्छा हुई. करीब 4 साल पहले सवाई माधोपुर से चीकू के 300 पौधे मंगाए और अपनी 3 बीघा जमीन में ये पौधे लगा दिए.

पढ़ें. Special : कृषक दंपती का अनूठा जैविक फार्म हाउस, बाजार कीमत से तीन गुना महंगा बिक रहा गाय का घी और अनाज

6 गुना ज्यादा मुनाफा : किसान जगदीश मीणा ने बताया कि 2 साल बाद पौधों ने फल देना शुरू कर दिया. पौधों पर अच्छी मात्रा और अच्छी साइज का फल आना शुरू हुआ. पहले ही साल 3 बीघा बाग में चीकू की करीब 20 टन से अधिक पैदावार हुई. मंडी में भाव भी अच्छा मिला. उन्होंने बताया कि उसी 3 बीघा खेत में जहां परंपरागत तरीके से खेती करके मुश्किल से 1 से डेढ़ लाख रुपए सालाना की आय होती थी, अब करीब 8 लाख रुपए सालाना की आय हो रही है.

जैविक की वजह से अधिक दाम : किसान जगदीश मीणा ने बताया कि बागवानी में वो पूरी तरह से गोबर से बने हुए खाद का इस्तेमाल करते हैं. न ही कोई कीटनाशक, न ही रासायनिक खाद का इस्तेमाल किया जाता है. इसका नतीजा यह हुआ कि पेड़ पर करीब 200- 200 ग्राम के आकार के चीकू के फल लगते हैं. इतना ही नहीं जैविक फल होने की वजह से दो से तीन गुना भाव मिलता है.

खेत पर आ रहे व्यापारी व किसान : जगदीश मीणा ने बताया कि दो साल के अंदर ही उनकी चीकू की अच्छी डिमांड हो गई है. सीजन में कई व्यापारी तो खेत में ही फल खरीदने पहुंच जाते हैं. उन्होंने बताया कि अब आसपास के किसानों के साथ ही आगरा, दिल्ली, हरियाणा तक के किसान चीकू की बागवानी की जानकारी लेने के लिए आते हैं. जगदीश मीणा का कहना है कि किसान को अपनी कुल जमीन के कुछ भाग में प्रगतिशील तरीके से खेती जरूर करनी चाहिए, जिससे कि वो अच्छा मुनाफा कमा सके.

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