भरतपुर: पहले भरतपुर की क्रिकेट प्रतिभाएं प्रैक्टिस के लिए दूसरे शहरों का रूख करती थी. कई प्रतिभाएं सुविधाओं के अभाव में मुकाम हासिल करने से पहले ही दम तोड़ देती थी. लेकिन बीते 5 साल में बदलाव की बयार बही है. भरतपुर के क्रिकेट खिलाड़ी भारत की टीम में भी खेल चुके हैं. दर्जनों खिलाड़ी राष्ट्रीय स्तर की क्रिकेट प्रतियोगिताओं में अपनी प्रतिभा दिखा चुके हैं. आज की तारीख में भरतपुर क्रिकेट संघ क्रिकेट खिलाड़ियों की 'नर्सरी' बना हुआ है.
साल 2016 से पहले जिला क्रिकेट संघ के नाम पर नाम मात्र की क्रिकेट सुविधाएं उपलब्ध कराई जा रही थी. भरतपुर के क्रिकेट खिलाड़ियों के लिए सीमेंट विकेट भी उपलब्ध नहीं था. ऐसे में कुछ खिलाड़ी दूसरे शहरों का रुख कर जाते थे. आर्थिक रूप से कमजोर प्रतिभाएं गांव और जिले के अंदर ही दम तोड़ देती थीं.
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साल 2016 में शत्रुघ्न निर्विरोध जिला क्रिकेट संघ के सचिव बनाए गए. उसके बाद जिले के खिलाड़ियों के लिए सुविधाएं जुटाने का काम शुरू किया गया. सबसे पहले जिले में दो राष्ट्रीय स्तर के क्रिकेट ग्राउंड तैयार कराए गए. अब ग्रास टर्फ विकेट, ग्रास नेट विकेट, सीमेंट विकेट, बॉलिंग मशीन और आरसीए के सर्टिफाइड कोच की भी व्यवस्था है. खिलाड़ियों को नियमित अभ्यास कराना और कोचिंग देना भी शुरू किया गया. इसका असर भी दिखा और जिले की प्रतिभाएं निखर कर सामने आने लगीं.
बीते 5 साल के दौरान जुटाई गई खेल सुविधाओं, कठिन परिश्रम और अभ्यास का ही परिणाम है कि अबतक भरतपुर के दो खिलाड़ी भारत की टीम में और 54 खिलाड़ी चैलेंजर ट्रॉफी में खेल चुके हैं. दो खिलाड़ी आईपीएल भी खेलचुके हैं. राहुल चाहर मुंबई इंडियंस की तरफ से और आकाश सिंह राजस्थान रॉयल्स की तरफ से खेल चुके हैं.
जिला क्रिकेट संघ के ग्राउंड पर हर दिन सुबह-शाम 100 से ज्यादा खिलाड़ी क्रिकेट का अभ्यास करते हैं. इनमें से कई खिलाड़ियों का प्रदर्शन बेहतर है. भविष्य में रात में भी खिलाड़ियों की प्रैक्टिस के लिए फ्लड लाइट्स के इंतजाम का ब्लू प्रिंट तैयार हो चुका है. क्रिकेट खिलाड़ी भी कठिन परिश्रम कर अपना मुकाम हासिल कर रहे हैं. लिहाजा भरतपुर क्रिकेट संघ क्रिकेट खिलाड़ियों की 'नर्सरी' बना हुआ है.