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केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान को ऑटर का इंतजार, केंद्र की अनुमति नहीं मिलने से अभी तक नहीं हो पाई शिफ्टिंग

Keoladeo National Park awaits otter, भरतपुर के केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान में आने वाले पर्यटकों को अभी तक ऑटर का इंतजार है. असल में केंद्र सरकार की अनुमति नहीं मिलने की वजह से फिलहाल तक उद्यान में ऑटर की शिफ्टिंग नहीं हो सकी है. वहीं, इसमें कितना वक्त लगेगा, इस पर भी फिलहाल कुछ नहीं कहा जा रहा है.

Keoladeo National Park awaits otter
Keoladeo National Park awaits otter
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By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : Dec 8, 2023, 4:28 PM IST

भरतपुर. केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान में आने वाले पर्यटकों को इस बार भी नए मेहमान का दीदार नहीं हो सकेगा. आधा पर्यटन सीजन निकालने के बाद भी उद्यान और पर्यटकों को अभी तक ऑटर का इंतजार है. असल में केंद्र सरकार की अनुमति नहीं मिलने की वजह से अभी तक उद्यान में ऑटर की शिफ्टिंग नहीं हो सकी है. वहीं, काले हिरण भी चार ही शिफ्ट किए जा सके हैं. ऐसे में इस बार भी पर्यटकों को नए जीव ऑटर देखने को नहीं मिल सकेगा.

डीएफओ मानस सिंह ने बताया कि री-इंट्रोडक्शन प्रोग्राम के तहत केवलादेव उद्यान में ऑटर शिफ्ट किए जाने हैं. इसके लिए हमने कई माह पूर्व ही केंद्र सरकार को प्रस्ताव भेज दिया था. लेकिन अभी तक अनुमति नहीं मिलने की वजह से शिफ्टिंग की प्रक्रिया शुरू नहीं हो सकी है. जैसे ही केंद्र सरकार से अनुमति मिलेगी हम धौलपुर से ऑटर शिफ्टिंग की प्रक्रिया शुरू कर देंगे.

इसे भी पढ़ें - Keoladeo National Park: पर्यटकों के स्वागत के लिए तैयार घना, इस बार सस्ते में कर सकेंगे नौकायन

उद्यान को मिले सिर्फ चार काले हिरण : डीएफओ मानस सिंह ने बताया कि करौली से कई चार काले हिरण तो काफी समय पहले ही शिफ्ट कर दिए गए. लेकिन अभी करौली से और भी काले हिरण लाए जाने हैं. करौली में काले हिरण रेस्क्यू करने का कार्य चल रहा है लेकिन अभी तक रेस्क्यू नहीं हो पाए हैं. करौली से करीब 100 काले हिरण यहां लाए जाने हैं.

ये है री-इंट्रोडक्शन प्रोग्राम : डीएफओ मानस सिंह ने बताया कि करीब 1980 के दशक में घना में काले हिरण, फिशिंग कैट और ऑटर भी मौजूद थे. लेकिन मौसम और पारिस्थितिकी तंत्र में हुए बदलाव के चलते ये यहां से विलुप्त हो गए. इसी प्रोग्राम के तहत यहां 4 काले हिरण शिफ्ट किए जा चुके हैं. जबकि ऑटर की शिफ्टिंग के लिए केंद्र की अनुमति का इंतजार है.

इसे भी पढ़ें - Keoladeo National Park : पक्षियों के स्वर्ग में 'मांगुर' का खतरा! पक्षियों और छोटी मछलियों को भी बना लेती है शिकार

क्या है ऑटर : असल में ऑटर, जिसे ऊदबिलाव भी कहा जाता है. यह करीब ढाई तीन फीट लंबा मांसाहारी स्तनधारी जीव है. यह पानी और जमीन दोनों जगह आसानी से तैर व चल लेता है. इनके पैरों की उंगलियां बतखों की तरह जालपाद होती है, जिससे उसे तैरने में आसानी होती है. पैर के नाखून तेज होते हैं. इसका शरीर लंबा, टांगें छोटी और मुंह/थूथन चौड़ी होती है. शरीर का ऊपरी भाग भूरा होता है.

भरतपुर. केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान में आने वाले पर्यटकों को इस बार भी नए मेहमान का दीदार नहीं हो सकेगा. आधा पर्यटन सीजन निकालने के बाद भी उद्यान और पर्यटकों को अभी तक ऑटर का इंतजार है. असल में केंद्र सरकार की अनुमति नहीं मिलने की वजह से अभी तक उद्यान में ऑटर की शिफ्टिंग नहीं हो सकी है. वहीं, काले हिरण भी चार ही शिफ्ट किए जा सके हैं. ऐसे में इस बार भी पर्यटकों को नए जीव ऑटर देखने को नहीं मिल सकेगा.

डीएफओ मानस सिंह ने बताया कि री-इंट्रोडक्शन प्रोग्राम के तहत केवलादेव उद्यान में ऑटर शिफ्ट किए जाने हैं. इसके लिए हमने कई माह पूर्व ही केंद्र सरकार को प्रस्ताव भेज दिया था. लेकिन अभी तक अनुमति नहीं मिलने की वजह से शिफ्टिंग की प्रक्रिया शुरू नहीं हो सकी है. जैसे ही केंद्र सरकार से अनुमति मिलेगी हम धौलपुर से ऑटर शिफ्टिंग की प्रक्रिया शुरू कर देंगे.

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उद्यान को मिले सिर्फ चार काले हिरण : डीएफओ मानस सिंह ने बताया कि करौली से कई चार काले हिरण तो काफी समय पहले ही शिफ्ट कर दिए गए. लेकिन अभी करौली से और भी काले हिरण लाए जाने हैं. करौली में काले हिरण रेस्क्यू करने का कार्य चल रहा है लेकिन अभी तक रेस्क्यू नहीं हो पाए हैं. करौली से करीब 100 काले हिरण यहां लाए जाने हैं.

ये है री-इंट्रोडक्शन प्रोग्राम : डीएफओ मानस सिंह ने बताया कि करीब 1980 के दशक में घना में काले हिरण, फिशिंग कैट और ऑटर भी मौजूद थे. लेकिन मौसम और पारिस्थितिकी तंत्र में हुए बदलाव के चलते ये यहां से विलुप्त हो गए. इसी प्रोग्राम के तहत यहां 4 काले हिरण शिफ्ट किए जा चुके हैं. जबकि ऑटर की शिफ्टिंग के लिए केंद्र की अनुमति का इंतजार है.

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क्या है ऑटर : असल में ऑटर, जिसे ऊदबिलाव भी कहा जाता है. यह करीब ढाई तीन फीट लंबा मांसाहारी स्तनधारी जीव है. यह पानी और जमीन दोनों जगह आसानी से तैर व चल लेता है. इनके पैरों की उंगलियां बतखों की तरह जालपाद होती है, जिससे उसे तैरने में आसानी होती है. पैर के नाखून तेज होते हैं. इसका शरीर लंबा, टांगें छोटी और मुंह/थूथन चौड़ी होती है. शरीर का ऊपरी भाग भूरा होता है.

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