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भरतपुर में इस गांव के लोगों ने दी मतदान बहिष्कार की चेतावनी, बोले- पानी नहीं तो वोट नहीं

भरतपुर के बरसो गांव के लोगों ने कलेक्ट्रेट के बाहर प्रदर्शन कर मतदान बहिष्कार की चेतावनी दी है. गांव में पाइप लाइन बिछाई गई है, लेकिन कई सालों से पानी नहीं आया है. इससे ग्रामीणों में आक्रोश है.

barso Village people boycotted voting
ग्रामीणों ने दी मतदान बहिष्कार की चेतावनी
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By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : Nov 7, 2023, 2:15 PM IST

ग्रामीणों ने दी मतदान बहिष्कार की चेतावनी

भरतपुर. 'जब से हम शादी कर के गांव में आईं हैं, तब से ही पानी की समस्या से जूझ रहे हैं. सिर पर मटका रख के दूर कुआं और बोरवेल से पानी लाना पड़ता है. हर 5 साल में चुनाव होते हैं, नेता आते हैं, वादा करते हैं लेकिन पानी नहीं मिलता.' ये कहना है भरतपुर शहर विधानसभा सीट के बरसो गांव के महिलाओं का. यह गांव भरतपुर मुख्यालय से महज 5 किमी दूर स्थित है. अब ग्रामीणों ने जिला निर्वाचन अधिकारी को ज्ञापन सौंपकर मतदान बहिष्कार की चेतावनी दी है. ग्रामीणों का कहना है कि जब तक पानी की स्थाई व्यवस्था नहीं की जाएगी, तब तक मतदान नहीं किया जाएगा.

ग्रामीण लोकेंद्र ने बताया कि बरसो गांव में करीब 600 घरों की आबादी है. पूरे गांव में चंबल के पानी की पाइपलाइन बिछाई गई है, लेकिन अभी तक गांव के सभी घरों को चंबल का पानी मिलना शुरू नहीं हुआ है. ग्रामीण महिलाएं सिर पर मटका रखकर गांव से काफी दूर कुआं और बोरवेल से पानी भरकर लाती हैं. वर्षों से गांव में पानी के यही हालात रहे हैं, लेकिन ना तो कोई नेता सुनता है ना ही प्रशासन. ऐसे में गांव के लोगों ने समस्या का समाधान होने तक मतदान का बहिष्कार कर दिया है.

पैसे देकर टैंकर से भरवा रहे पानी : गांव की महिला शारदा ने बताया कि वो 30 साल पहले शादी कर के गांव आई. तभी से गांव में पानी की समस्या बनी हुई है. पीने का पानी गांव के बाहर से मटकों में भरकर लाते हैं. घर के अन्य कार्यों के लिए हर दिन 500 रुपए प्रति टैंकर के हिसाब से पानी खरीदना पड़ता है.

पढ़ें : 'मेरे हाथों में शादी नहीं सेंट्रल जेल की लकीरें थीं', जानिए दिव्या मदेरणा ने ऐसा क्यों कहा ?

टंकी है, लेकिन पानी नहीं : महिला शारदा ने बताया कि गांव में चंबल योजना के तहत कई साल पहले पानी की टंकी बनाई गई थी. कनेक्शन के नाम पर सरपंच ने प्रति घर से 1500 रुपए लिए थे, लेकिन अभी तक पानी नहीं आया है. गांव के लोग पानी के लिए परेशान हैं. ग्रामीणों ने बताया कि गांव में नाली की व्यवस्था भी नहीं है. सड़कें उखड़ी पड़ी हैं. घरों से निकलने वाले गंदे पानी की निकासी के लिए पक्की नालियों का निर्माण नहीं कराया गया है, जिसकी वजह से गंदा पानी रास्तों में भरा रहता है और मच्छर पनपते हैं.

पानी नहीं तो वोट नहीं : ग्रामीणों ने मंगलवार सुबह जिला निर्वाचन अधिकारी को ज्ञापन सौंप कर चेतावनी दी है कि यदि हमें समय रहते पानी की स्थाई व्यवस्था नहीं कराई गई, तो आने वाले 25 नवंबर को पूरा गांव मतदान नहीं करेगा. ग्रामीणों में मतदान बहिष्कार की चेतावनी देते हुए कलेक्ट्रेट परिसर के बाहर विरोध-प्रदर्शन भी किया.

ग्रामीणों ने दी मतदान बहिष्कार की चेतावनी

भरतपुर. 'जब से हम शादी कर के गांव में आईं हैं, तब से ही पानी की समस्या से जूझ रहे हैं. सिर पर मटका रख के दूर कुआं और बोरवेल से पानी लाना पड़ता है. हर 5 साल में चुनाव होते हैं, नेता आते हैं, वादा करते हैं लेकिन पानी नहीं मिलता.' ये कहना है भरतपुर शहर विधानसभा सीट के बरसो गांव के महिलाओं का. यह गांव भरतपुर मुख्यालय से महज 5 किमी दूर स्थित है. अब ग्रामीणों ने जिला निर्वाचन अधिकारी को ज्ञापन सौंपकर मतदान बहिष्कार की चेतावनी दी है. ग्रामीणों का कहना है कि जब तक पानी की स्थाई व्यवस्था नहीं की जाएगी, तब तक मतदान नहीं किया जाएगा.

ग्रामीण लोकेंद्र ने बताया कि बरसो गांव में करीब 600 घरों की आबादी है. पूरे गांव में चंबल के पानी की पाइपलाइन बिछाई गई है, लेकिन अभी तक गांव के सभी घरों को चंबल का पानी मिलना शुरू नहीं हुआ है. ग्रामीण महिलाएं सिर पर मटका रखकर गांव से काफी दूर कुआं और बोरवेल से पानी भरकर लाती हैं. वर्षों से गांव में पानी के यही हालात रहे हैं, लेकिन ना तो कोई नेता सुनता है ना ही प्रशासन. ऐसे में गांव के लोगों ने समस्या का समाधान होने तक मतदान का बहिष्कार कर दिया है.

पैसे देकर टैंकर से भरवा रहे पानी : गांव की महिला शारदा ने बताया कि वो 30 साल पहले शादी कर के गांव आई. तभी से गांव में पानी की समस्या बनी हुई है. पीने का पानी गांव के बाहर से मटकों में भरकर लाते हैं. घर के अन्य कार्यों के लिए हर दिन 500 रुपए प्रति टैंकर के हिसाब से पानी खरीदना पड़ता है.

पढ़ें : 'मेरे हाथों में शादी नहीं सेंट्रल जेल की लकीरें थीं', जानिए दिव्या मदेरणा ने ऐसा क्यों कहा ?

टंकी है, लेकिन पानी नहीं : महिला शारदा ने बताया कि गांव में चंबल योजना के तहत कई साल पहले पानी की टंकी बनाई गई थी. कनेक्शन के नाम पर सरपंच ने प्रति घर से 1500 रुपए लिए थे, लेकिन अभी तक पानी नहीं आया है. गांव के लोग पानी के लिए परेशान हैं. ग्रामीणों ने बताया कि गांव में नाली की व्यवस्था भी नहीं है. सड़कें उखड़ी पड़ी हैं. घरों से निकलने वाले गंदे पानी की निकासी के लिए पक्की नालियों का निर्माण नहीं कराया गया है, जिसकी वजह से गंदा पानी रास्तों में भरा रहता है और मच्छर पनपते हैं.

पानी नहीं तो वोट नहीं : ग्रामीणों ने मंगलवार सुबह जिला निर्वाचन अधिकारी को ज्ञापन सौंप कर चेतावनी दी है कि यदि हमें समय रहते पानी की स्थाई व्यवस्था नहीं कराई गई, तो आने वाले 25 नवंबर को पूरा गांव मतदान नहीं करेगा. ग्रामीणों में मतदान बहिष्कार की चेतावनी देते हुए कलेक्ट्रेट परिसर के बाहर विरोध-प्रदर्शन भी किया.

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