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भरतपुर: कामां में कोरोना से बचाव के लिए आर्य समाज का 7 दिवसीय यज्ञ का शुभारंभ

भरतपुर के कामां में कोरोना वायरस से बचाव के लिए आर्य समाज की ओर से सात दिवसीय यज्ञ का शुभारंभ मंगलवार को किया गया. जो सुबह 7 बजे रिक्शा में हवन कुंड रखकर ईश्वर स्तुति प्रार्थना उपासना के बाद कपूर अग्नि प्रज्वालित कर हवन शुरू किया गया.

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कोरोना वायरस से बचाव के लिए आर्य समाज का सात दिवसीय यज्ञ का हुआ शुभारंभ
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Published : May 25, 2021, 4:24 PM IST

कामां (भरतपुर). कामां में आर्य समाज की ओर से कोरोना वायरस संक्रमण के चलते इसके बचाव के लिए सात दिवसीय यज्ञ का शुभारंभ मंगलवार को कस्बा के अंबेडकर चौराहे स्थित आर्य समाज मंदिर में विधि-विधान के साथ प्रारंभ किया गया. जो सुबह 7 बजे रिक्शा में हवन कुंड रखकर ईश्वर स्तुति प्रार्थना उपासना के बाद कपूर अग्नि प्रज्वालित कर हवन शुरू किया गया.

कोरोना वायरस से बचाव के लिए आर्य समाज का सात दिवसीय यज्ञ का हुआ शुभारंभ

वहीं, आर्य समाज मंदिर से प्रारंभ होकर चल रहे यज्ञ हवन सूरज बाग से निकल कर बस अड्डा से नगर पालिका होते हुए लाल दरवाजा पहुंचा. जहां लाल दरवाजा से जैन धर्मशाला से देहली गेट होते हुए अदालत के पास होते हुए आर्य समाज मंदिर पहुंचा. जहां वेद मंत्रों के साथ आहुतियां दी गई. वहीं, रास्ते में जगह-जगह लोगों ने बड़ी खुशी से आहुतियां दी. इसके साथ ही महिला और पुरुषों ने बड़े उत्साह और प्रसंता के साथ औषधि युक्त सामिग्रि और घी की आहुतियां दी.

यह भी पढ़ें: नृसिंह जयंती विशेष: बीकानेर के 500 साल पुराने मंदिर में मुल्तान से आई भगवान की मूर्ति स्थापित, होती है विशेष पूजा-अर्चना

वहीं, आर्य समाज के डॉ. हजारी लाल आर्य पार्षद ने बताया कि, वेद सब सत्य विध्ध्याओं का भंडार है. यज्ञ हवन से हमारा पर्यावरण शुद्ध होता है. यज्ञ को वेद में 'अयं यज्ञों भुवनस्या नाभि' कहा गया है. जिस प्रकार से मानव शरीर के बीच में नाभि चक्र होता है. वहीं, जब यह नाभि चक्र बिगड़ जाता है तब सारा शरीर रोग ग्रस्त हो जाता है, इसलिए शरीर को स्वस्थ रखने के लिए नाभि चक्र ठीक रखना पड़ता है, उसी प्रकार से पर्यावरण को संतुलन के लिए यज्ञ को ठीक रखना जरूरी है.

उन्होंने कहा कि यज्ञ के बिगड़ जाने के कारण ही बहुत सारे देशों के ऊपर से आकाशीय ओजोन तह टूट रही है. जिससे विश्व के वैज्ञानिक चिंतित हैं, साथ ही सूर्य की किरणें भूमंडल पर दुष्प्रभाव भी छोड़ रही हैं, क्योंकि आज देश और दुनिया के लोग यज्ञ (हवन) को भूल गए हैं. अत: इन भयानक बीमारी से बचाने के लिए हमको पूर्व कालीन यज्ञ विज्ञान को समझना होगा.

यह भी पढ़ें: Special: स्कूल-कॉलेज बंद तो पेट्रोलपंपों पर लगा दी शिक्षिकाओं की ड्यूटी, पेट्रोल भराने आने वालों की रख रहीं हिसाब-किताब

कहा कि हमे वेदों के रास्ते पर आना होगा अत: दोबारा यज्ञ की परंपरा प्रारम्भ करनी होगी. इसके साथ ही उन्होंने कहा कि यज्ञों वै श्रेष्ठ तम कर्म: यज्ञ अर्थात अग्नि होत्र का कार्य जगत कल्याण का श्रेष्ठ तम कार्य है. वहीं, इस अवसर पर चल यज्ञ में बूटाराम आर्य, डॉ. रविंद्र तर्गोत्रा, पंडित निरंजन शर्मा, रामगोपाल फौजी, किशन चंद वशिष्ठ, और जोगेंद्र आर्य, ओपी सरपंच सहित अन्य लोग मौजूद रहे.

कामां (भरतपुर). कामां में आर्य समाज की ओर से कोरोना वायरस संक्रमण के चलते इसके बचाव के लिए सात दिवसीय यज्ञ का शुभारंभ मंगलवार को कस्बा के अंबेडकर चौराहे स्थित आर्य समाज मंदिर में विधि-विधान के साथ प्रारंभ किया गया. जो सुबह 7 बजे रिक्शा में हवन कुंड रखकर ईश्वर स्तुति प्रार्थना उपासना के बाद कपूर अग्नि प्रज्वालित कर हवन शुरू किया गया.

कोरोना वायरस से बचाव के लिए आर्य समाज का सात दिवसीय यज्ञ का हुआ शुभारंभ

वहीं, आर्य समाज मंदिर से प्रारंभ होकर चल रहे यज्ञ हवन सूरज बाग से निकल कर बस अड्डा से नगर पालिका होते हुए लाल दरवाजा पहुंचा. जहां लाल दरवाजा से जैन धर्मशाला से देहली गेट होते हुए अदालत के पास होते हुए आर्य समाज मंदिर पहुंचा. जहां वेद मंत्रों के साथ आहुतियां दी गई. वहीं, रास्ते में जगह-जगह लोगों ने बड़ी खुशी से आहुतियां दी. इसके साथ ही महिला और पुरुषों ने बड़े उत्साह और प्रसंता के साथ औषधि युक्त सामिग्रि और घी की आहुतियां दी.

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वहीं, आर्य समाज के डॉ. हजारी लाल आर्य पार्षद ने बताया कि, वेद सब सत्य विध्ध्याओं का भंडार है. यज्ञ हवन से हमारा पर्यावरण शुद्ध होता है. यज्ञ को वेद में 'अयं यज्ञों भुवनस्या नाभि' कहा गया है. जिस प्रकार से मानव शरीर के बीच में नाभि चक्र होता है. वहीं, जब यह नाभि चक्र बिगड़ जाता है तब सारा शरीर रोग ग्रस्त हो जाता है, इसलिए शरीर को स्वस्थ रखने के लिए नाभि चक्र ठीक रखना पड़ता है, उसी प्रकार से पर्यावरण को संतुलन के लिए यज्ञ को ठीक रखना जरूरी है.

उन्होंने कहा कि यज्ञ के बिगड़ जाने के कारण ही बहुत सारे देशों के ऊपर से आकाशीय ओजोन तह टूट रही है. जिससे विश्व के वैज्ञानिक चिंतित हैं, साथ ही सूर्य की किरणें भूमंडल पर दुष्प्रभाव भी छोड़ रही हैं, क्योंकि आज देश और दुनिया के लोग यज्ञ (हवन) को भूल गए हैं. अत: इन भयानक बीमारी से बचाने के लिए हमको पूर्व कालीन यज्ञ विज्ञान को समझना होगा.

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कहा कि हमे वेदों के रास्ते पर आना होगा अत: दोबारा यज्ञ की परंपरा प्रारम्भ करनी होगी. इसके साथ ही उन्होंने कहा कि यज्ञों वै श्रेष्ठ तम कर्म: यज्ञ अर्थात अग्नि होत्र का कार्य जगत कल्याण का श्रेष्ठ तम कार्य है. वहीं, इस अवसर पर चल यज्ञ में बूटाराम आर्य, डॉ. रविंद्र तर्गोत्रा, पंडित निरंजन शर्मा, रामगोपाल फौजी, किशन चंद वशिष्ठ, और जोगेंद्र आर्य, ओपी सरपंच सहित अन्य लोग मौजूद रहे.

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