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राजस्थान में बीएड के 70 प्रतिशत विद्यार्थी छात्रवृत्ति से वंचित, कमजोर आय वर्ग के छात्रों में मायूसी

राजस्थान में बीएड के कई छात्र छात्रवृति से वंचित हो रहे हैं. वहीं सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग ने बजट कम होने की बात कही है.

राजस्थान में बीएड के 70 प्रतिशत विद्यार्थी छात्रवृत्ति से वंचित
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Published : Jun 8, 2019, 9:22 PM IST

जयपुर. राजस्थान में बीएड छात्रों को छात्रवृत्ति नहीं मिल पा रही है. वहीं समाज कल्याण विभाग के अधिकारियों ने इसका कारण बजट का कम होना बताया है. जिसके चलते छात्रवृत्ति के भरोसे अपने भविष्य संजोए निम्न आय वर्ग के परिवारों के बीएड छात्रों को निराशा हाथ लग रही है.

राजस्थान में बीएड के 70 प्रतिशत विद्यार्थी छात्रवृत्ति से वंचित

बीते दिनों सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्री भंवरलाल मेघवाल ने छात्रवृत्ति से जुड़े हुए तमाम पेंडिंग कामों को निपटाने के आदेश दिए, लेकिन शायद विभागीय अधिकारियों ने पेंडेंसी खत्म करने का मतलब कुछ और ही समझ गए. यही वजह है कि वो छात्रवृत्ति के मामलों को बजट खत्म होने बात कहकर टाला जा रहा है.

मामला बीएड छात्रों के स्कॉलरशिप का है, जिसके लिए एसटी/एससी और ओबीसी वर्ग के छात्रों ने जनवरी में आवेदन किया था. कई छात्रों को 27800 रुपए की छात्रवृत्ति मिल भी गई है, लेकिन एक बहुत बड़ी संख्या उन छात्रों की है जो जून तक भी अपनी छात्रवृत्ति के लिए समाज कल्याण विभाग के चक्कर काट रहे हैं. यही नहीं ओबीसी वर्ग के कुछ छात्रों ने इसकी शिकायत जब शिकायत पोर्टल पर की. उन्हें ये कहा जा रहा है कि ओबीसी छात्रों के लिए बजट समाप्त हो गया है. 30 फीसदी छात्रों को छात्रवृत्ति बांट दी गई है.

फिलहाल बजट कम होने बात कहकर सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता जवाबदेही से बचा सकता है, लेकिन उन गरीब परिवारों के छात्रों का क्या, जो इसी छात्रवृत्ति के भरोसे बीएड की तैयारी कर रहे हैं.

जयपुर. राजस्थान में बीएड छात्रों को छात्रवृत्ति नहीं मिल पा रही है. वहीं समाज कल्याण विभाग के अधिकारियों ने इसका कारण बजट का कम होना बताया है. जिसके चलते छात्रवृत्ति के भरोसे अपने भविष्य संजोए निम्न आय वर्ग के परिवारों के बीएड छात्रों को निराशा हाथ लग रही है.

राजस्थान में बीएड के 70 प्रतिशत विद्यार्थी छात्रवृत्ति से वंचित

बीते दिनों सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्री भंवरलाल मेघवाल ने छात्रवृत्ति से जुड़े हुए तमाम पेंडिंग कामों को निपटाने के आदेश दिए, लेकिन शायद विभागीय अधिकारियों ने पेंडेंसी खत्म करने का मतलब कुछ और ही समझ गए. यही वजह है कि वो छात्रवृत्ति के मामलों को बजट खत्म होने बात कहकर टाला जा रहा है.

मामला बीएड छात्रों के स्कॉलरशिप का है, जिसके लिए एसटी/एससी और ओबीसी वर्ग के छात्रों ने जनवरी में आवेदन किया था. कई छात्रों को 27800 रुपए की छात्रवृत्ति मिल भी गई है, लेकिन एक बहुत बड़ी संख्या उन छात्रों की है जो जून तक भी अपनी छात्रवृत्ति के लिए समाज कल्याण विभाग के चक्कर काट रहे हैं. यही नहीं ओबीसी वर्ग के कुछ छात्रों ने इसकी शिकायत जब शिकायत पोर्टल पर की. उन्हें ये कहा जा रहा है कि ओबीसी छात्रों के लिए बजट समाप्त हो गया है. 30 फीसदी छात्रों को छात्रवृत्ति बांट दी गई है.

फिलहाल बजट कम होने बात कहकर सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता जवाबदेही से बचा सकता है, लेकिन उन गरीब परिवारों के छात्रों का क्या, जो इसी छात्रवृत्ति के भरोसे बीएड की तैयारी कर रहे हैं.

Intro:समाज कल्याण विभाग छात्रों को उनकी शिक्षा के लिए छात्रवृत्ति उपलब्ध कराता है। लेकिन इसी विभाग के अधिकारी बजट कम होने का हवाला देकर ऐसे गरीब छात्रों को निराश लौट आ रहे हैं, जो इसी छात्रवृत्ति के भरोसे अपना भविष्य संजोए हुए हैं।


Body:बाईट - भंवरलाल मेघवाल, मंत्री
बीते दिनों सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्री भंवरलाल मेघवाल ने छात्रवृत्ति से जुड़े हुए तमाम पेंडिंग कामों को निपटाने के आदेश दिये। लेकिन शायद विभागीय अधिकारियों ने पेंडेंसी खत्म करने का मतलब कुछ और ही समझ गए। यही वजह है कि वो छात्रवृत्ति के मामलों को ये कहकर टाल रहे हैं कि बजट खत्म हो गया है। मामला B.Ed स्कॉलरशिप का है। जिसके लिए एसटी/एससी और ओबीसी वर्ग के छात्रों ने जनवरी में अप्लाई किया था। कई छात्रों को ₹27800 की छात्रवृत्ति मिल भी गई है
लेकिन एक बहुत बड़ी संख्या उन छात्रों की है जो जून तक भी अपनी छात्रवृत्ति के लिए समाज कल्याण विभाग के चक्कर काट रहे हैं। यही नहीं ओबीसी वर्ग के कुछ छात्रों ने इसकी शिकायत जब शिकायत पोर्टल पर की। तो उन्हें ये कहा जा रहा है कि ओबीसी छात्रों के लिए बजट कम है, और 30 फ़ीसदी छात्रों को छात्रवृत्ति बांट दी गई है। अब बजट खत्म हो गया है, तो उन्हें छात्रवृत्ति की उम्मीद नहीं करनी चाहिए।
बाईट - महेश सैन, छात्र
बाईट - नरेंद्र सिंह, छात्र


Conclusion:विभाग का ये जवाब शायद उन्हें तो जवाबदेही से बचा सकता है। लेकिन उन गरीब परिवारों के छात्रों का क्या, जो इसी छात्रवृत्ति के भरोसे B.Ed की तैयारी कर रहे हैं।
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