भरतपुर. केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान में दो दशक बाद खुशखबरी आई है. कुछ माह पूर्व करौली जिले से यहां शिफ्ट किए गए दो काले हिरणों ने घना में शुक्रवार को दो बच्चों को जन्म दिया है. काले हिरणों के दोनों बच्चे पूरी तरह स्वस्थ हैं. केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान से विलुप्त हुए काले हिरणों को फिर से यहां पर बसाए जाने का यह सफल प्रयास साबित हुआ है. अब जल्द ही उद्यान में करीब 100 काले हिरण और शिफ्ट किए जाएंगे.
घना के डीएफओ मानस सिंह ने बताया कि कुछ माह पूर्व केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान में करौली जिले से लाकर चार काले हिरण छोड़े गए थे. ये काले हिरण उद्यान के एल ब्लॉक और अन्य ब्लॉक में सुरक्षित विचरण कर रहे थे. शुक्रवार को 20 साल बाद केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान में एक बार फिर काले हिरणों का कुनबा बढ़ गया. यहां दो मादा काले हिरणों ने दो बच्चों को जन्म दिया है.
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दो दशक पूर्व हो गए थे विलुप्त: डीएफओ मानस सिंह ने बताया केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान में करीब 20 साल पहले तक काले हिरणों की मौजूदगी थी. लेकिन मौसम और पारिस्थितिकी तंत्र में हुए बदलाव के चलते घना से काले हिरण पूरी तरह से विलुप्त हो गए. ऐसे में कुछ माह पूर्व करौली जिले से री-इंट्रोडक्शन प्रोग्राम के तहत चार काले हिरण को केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान में शिफ्ट किया गया. मादा काले हिरणों द्वारा दो बच्चों को जन्म देने से यह साबित हो गया है कि काले हिरण यहां के माहौल और प्राकृतिक आवास में आसानी से आवासित हो सकते हैं. अब जल्द ही करीब 100 काले हिरण और शिफ्ट किए जाएंगे.
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ये है री-इंट्रोडक्शन प्रोग्राम: डीएफओ मानस सिंह ने बताया कि करीब 1980 के दशक में घना में काले हिरण, फिशिंग कैट और ऑटर भी मौजूद थे. लेकिन मौसम और पारिस्थितिकी तंत्र में हुए बदलाव के चलते ये यहां से विलुप्त हो गए. अब री-इंट्रोडक्शन प्रोग्राम के तहत केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान की जैव विविधता को समृद्ध बनाने के लिए फिर से काले हिरण और ऑटर की शिफ्टिंग का कार्यक्रम चलाया जा रहा है. केंद्र की अनुमति मिलते ही जल्द ही ऑटर की भी धौलपुर से शिफ्टिंग की जाएगी.