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आदिबद्री धाम में अवैध खनन को लेकर धरने का 12वां दिन, तीन दिवसीय परिक्रमा का जगह-जगह हुआ स्वागत

आदिबद्री क्षेत्र में हो रहे विनाशकारी खनन के विरोध में ग्राम पसोपा में अनिश्चतकालीन धरने के 12वें दिन ब्रज के धार्मिक पर्वत आदिबद्री की तिन दिवसीय परिक्रमा प्रारम्भ हुई, जिसमें हजारों ग्रामीण और साधू संतों ने हिस्सा लिया. राधाकांत शाष्त्री और पूर्व विधायक गोपी गुर्जर ने कहा कि प्रशासन और राज्य सरकार की अनदेखी और हठ धर्मिता से त्रस्त हो कर साधू संतो, नगर तहसील में पड़ रहे गावों के हिन्दू-मुस्लिम ब्रजवासियों को ब्रज के धार्मिक पर्वत, आदिबद्री और कंकाचल पर हो रहे खनन के खिलाफ अनिश्चितकालीन धरना और आन्दोलन प्रारम्भ करने के लिए विवश होना पड़ा है.

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Published : Jan 29, 2021, 9:41 AM IST

आदिबद्री धाम परिक्रमा, Adibadri Dham
आदिबद्री धाम की परिक्रमा

भरतपुर. आदिबद्री क्षेत्र में हो रहे विनाशकारी खनन के विरोध में ग्राम पसोपा में अनिश्चतकालीन धरने के 12वें दिन ब्रज के धार्मिक पर्वत आदिबद्री की तिन दिवसीय परिक्रमा प्रारम्भ हुई, जिसमें हजारों ग्रामीण और साधू संतों ने हिस्सा लिया.

बता दें, आदिबद्री पर्वत की परिक्रमा का इतिहास कई हजारों साल पुराना है. धार्मिक ग्रंथों और पुराणों के अनुसार परिक्रमा की यह परम्परा ध्रुव महाराज जी के समय से चली आ रही, जिसको कलियुग में लगभग 600 वर्ष पूर्व चैतन्य महाप्रभु, नारायण भट्ट स्वामी जी, सूरदास जी, चाचा वृन्दावनदास जी, हित हरिवंश जी जैसे कई महापुरुषों ने भी आगे बढ़ा और वह लोग अपने परिक्रमा के साथ इस दिव्य पर्वत की परिक्रमा की है.

आदिबद्री धाम परिक्रमा

ब्रज में स्थित आदिबद्री का महत्व ब्रजवासियों और कृष्णभक्तों के लिए उत्तराखंड में हिमालय श्रृंखला में स्थित बद्रीनाथ धाम से भी अधिक है. गुरुवार से शुरू हुई परिक्रमा में हजारों की संख्या में हिन्दू-मुस्लिम समुदाय के ग्रामीणों और साधू संतों ने भाग लिया. परिक्रमा के दौरान जगह जगह यात्रियों का भव्य स्वागत किया गया और आदिबद्री पर्वत को खनन से मुक्त कराने के लिए सभाएं आयोजित की गईं.

यह भी पढ़ेंः राजस्थान का ऐसा मंदिर...जहां जन्माष्टमी पर दी जाती है 21 तोपों की सलामी

वहीं, अखंड हरिनाम की धुन के बीच शुरू हुई यात्रा में हमारी भारतीय संस्कृति के कई अनुपम रंग देखनों को मिले. इसके साथ ही गंगा जमुनी तहजीब यानी हिन्दू-मुस्लिम एकता की अनूठी तस्वीर भी नजर आई. 12 किलोमीटर की यात्रा तय कर परिक्रमा गुरुवार को अपने पड़ाव जठेरी पहुंची, जहां बड़ी सभा का आयोजन कर ब्रज के पर्वतों को खनन की विभीषिका से बचाने के लिए आंदोलन को उग्र करने का निर्णय लिया गया.

राधाकांत शाष्त्री और पूर्व विधायक गोपी गुर्जर ने कहा कि प्रशासन और राज्य सरकार की अनदेखी और हठ धर्मिता से त्रस्त हो कर साधू संतो, नगर तहसील में पड़ रहे गावों के हिन्दू-मुस्लिम ब्रजवासियों को ब्रज के धार्मिक पर्वत, आदिबद्री और कंकाचल पर हो रहे खनन के खिलाफ अनिश्चितकालीन धरना और आन्दोलन प्रारम्भ करने के लिए विवश होना पड़ा है. परिक्रमा में हिन्दू-मुस्लिम ग्रामीण एक साथ अपने पर्वतों को बचाने के लिए साथ में सर्घष करते नजर आए. साथ ही सैकड़ों साधू संत परिक्रमा यात्रा में कीर्तन धुनी में दिखाई दिए.

यह भी पढ़ेंः मंदिर में जैसे ही प्रभु श्रीनाथजी ने लगाया छप्पन भोग, दौड़ते हुए आए आदिवासी युवा और लूट ले गए प्रसाद

परिक्रमा यात्रा शुक्रवार को जठेरी से डाबक के लिए प्रस्थान करेगी. यात्रा में मुख्य रूप से आदिबद्री मंदिर के महंतश्री शिवराम दास जी महाराज, फौजी जलाल खान, सरपंच ककराला, विजयसिंह सरपंच पसोपा, सुलतान सिंह, सरपंच अलीपुर, चाँव खान, उमर खिचन, फजरू मियां, सौदान खान, आला, मजीत खान, कुलदीप बंसल, रमजान, इसरद, हरिबोल दास, भूरा बाबा, विजय दास, बी एस पुजारी, सुशील कृष्णदास बाबा, नितिन कृष्णदास, नारायण चैतन्य बाबा, ब्रजराज दास बाबा, निवृति दास, गौर दास बाबा, गोपाल दास बाबा, दीनदयाल, लक्ष्मण चैतन्य बाबा, श्याम लाल उपस्थित रहे.

भरतपुर. आदिबद्री क्षेत्र में हो रहे विनाशकारी खनन के विरोध में ग्राम पसोपा में अनिश्चतकालीन धरने के 12वें दिन ब्रज के धार्मिक पर्वत आदिबद्री की तिन दिवसीय परिक्रमा प्रारम्भ हुई, जिसमें हजारों ग्रामीण और साधू संतों ने हिस्सा लिया.

बता दें, आदिबद्री पर्वत की परिक्रमा का इतिहास कई हजारों साल पुराना है. धार्मिक ग्रंथों और पुराणों के अनुसार परिक्रमा की यह परम्परा ध्रुव महाराज जी के समय से चली आ रही, जिसको कलियुग में लगभग 600 वर्ष पूर्व चैतन्य महाप्रभु, नारायण भट्ट स्वामी जी, सूरदास जी, चाचा वृन्दावनदास जी, हित हरिवंश जी जैसे कई महापुरुषों ने भी आगे बढ़ा और वह लोग अपने परिक्रमा के साथ इस दिव्य पर्वत की परिक्रमा की है.

आदिबद्री धाम परिक्रमा

ब्रज में स्थित आदिबद्री का महत्व ब्रजवासियों और कृष्णभक्तों के लिए उत्तराखंड में हिमालय श्रृंखला में स्थित बद्रीनाथ धाम से भी अधिक है. गुरुवार से शुरू हुई परिक्रमा में हजारों की संख्या में हिन्दू-मुस्लिम समुदाय के ग्रामीणों और साधू संतों ने भाग लिया. परिक्रमा के दौरान जगह जगह यात्रियों का भव्य स्वागत किया गया और आदिबद्री पर्वत को खनन से मुक्त कराने के लिए सभाएं आयोजित की गईं.

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वहीं, अखंड हरिनाम की धुन के बीच शुरू हुई यात्रा में हमारी भारतीय संस्कृति के कई अनुपम रंग देखनों को मिले. इसके साथ ही गंगा जमुनी तहजीब यानी हिन्दू-मुस्लिम एकता की अनूठी तस्वीर भी नजर आई. 12 किलोमीटर की यात्रा तय कर परिक्रमा गुरुवार को अपने पड़ाव जठेरी पहुंची, जहां बड़ी सभा का आयोजन कर ब्रज के पर्वतों को खनन की विभीषिका से बचाने के लिए आंदोलन को उग्र करने का निर्णय लिया गया.

राधाकांत शाष्त्री और पूर्व विधायक गोपी गुर्जर ने कहा कि प्रशासन और राज्य सरकार की अनदेखी और हठ धर्मिता से त्रस्त हो कर साधू संतो, नगर तहसील में पड़ रहे गावों के हिन्दू-मुस्लिम ब्रजवासियों को ब्रज के धार्मिक पर्वत, आदिबद्री और कंकाचल पर हो रहे खनन के खिलाफ अनिश्चितकालीन धरना और आन्दोलन प्रारम्भ करने के लिए विवश होना पड़ा है. परिक्रमा में हिन्दू-मुस्लिम ग्रामीण एक साथ अपने पर्वतों को बचाने के लिए साथ में सर्घष करते नजर आए. साथ ही सैकड़ों साधू संत परिक्रमा यात्रा में कीर्तन धुनी में दिखाई दिए.

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परिक्रमा यात्रा शुक्रवार को जठेरी से डाबक के लिए प्रस्थान करेगी. यात्रा में मुख्य रूप से आदिबद्री मंदिर के महंतश्री शिवराम दास जी महाराज, फौजी जलाल खान, सरपंच ककराला, विजयसिंह सरपंच पसोपा, सुलतान सिंह, सरपंच अलीपुर, चाँव खान, उमर खिचन, फजरू मियां, सौदान खान, आला, मजीत खान, कुलदीप बंसल, रमजान, इसरद, हरिबोल दास, भूरा बाबा, विजय दास, बी एस पुजारी, सुशील कृष्णदास बाबा, नितिन कृष्णदास, नारायण चैतन्य बाबा, ब्रजराज दास बाबा, निवृति दास, गौर दास बाबा, गोपाल दास बाबा, दीनदयाल, लक्ष्मण चैतन्य बाबा, श्याम लाल उपस्थित रहे.

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