बाड़मेर. बाड़मेर जिला प्रमुख पद कांग्रेस कभी नहीं हारी, लेकिन इस बार आरएलपी के आने से मुकाबला दिलचस्प हो गया है. केंद्रीय कृषि राज्य मंत्री कैलाश चौधरी की साख इस बार के चुनावों में दांव पर है. राजस्थान में जिला परिषद और पंचायती राज चुनाव को लेकर बिगुल बज चुका है. कांग्रेस, बीजेपी और आरएलपी सभी ने चुनाव को लेकर तैयारियां जोरों से शुरू कर दी हैं. पार्टियों के नेता कार्यकर्ताओं के साथ बैठक कर रहे हैं.
राजस्थान में कांग्रेस का सबसे पुराना गढ़ बाड़मेर जिला जहां पर आजादी के बाद अब तक कांग्रेस को जिला परिषद के चुनावों में कोई भी पार्टी शिकस्त नहीं दे पाई है, लेकिन इस बार राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी के मैदान में आने से मुकाबला दिलचस्प हो गया है, क्योंकि विधानसभा चुनाव में इसी पार्टी ने अच्छे खासे वोट लेकर अपनी ताकत का प्रदर्शन किया था. इस बार के चुनावों में केंद्रीय कृषि राज्य मंत्री कैलाश चौधरी की साख दांव पर है.
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जिले में आज तक जिला प्रमुख का पद कभी भी कांग्रेस पार्टी के अलावा किसी पार्टी का नहीं बना है. राजस्थान में या केंद्र में बीजेपी की सरकार हो, लेकिन बीजेपी भी कभी बाड़मेर में अपना जिला प्रमुख नहीं बना पाई है. राजनीतिक जानकार डालूराम चौधरी का मानना है कि जिले के ग्रामीण इलाकों में आज भी कांग्रेस जबरदस्त तरीके से मजबूत है. यही कारण है कि जिला प्रमुख की सीट पर हमेशा कांग्रेस का कब्जा रहा है. आरएलपी के बारे में डालूराम चौधरी बताते हैं कि विधानसभा चुनाव में उसने अपनी उपस्थिति दर्ज करवाई थी, लेकिन इस बार जिस तरीके से वह चुनाव लड़ रही है ऐसे में सबसे बड़ा नुकसान बीजेपी पार्टी को होगा और उसका जबरदस्त तरीके से फायदा कांग्रेस को होगा.
राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी ने बाड़मेर जिले की कार्यकर्ताओं की बैठक जोधपुर में आयोजित की है. जिसमें पंचायती राज चुनाव को लेकर पूरी योजना बनाई जा रही है. वर्तमान में बाड़मेर जिले की 7 विधानसभा सीटों में से 6 सीटें कांग्रेस के पास हैं. वहीं, सिवाना विधानसभा सीट बीजेपी के पास है. वर्तमान में भी जिला प्रमुख का पद कांग्रेस के पास है. अब सबकी निगाहें इस बार बाड़मेर जिला प्रमुख के सीट पर हैं, क्योंकि तीसरी पार्टी हनुमान बेनीवाल की राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी के आने से मुकाबला और ज्यादा रोचक हो गया है. अब देखने वाली बात होगी कि हनुमान बेनीवाल की पार्टी बीजेपी को नुकसान पहुंचाती है या कांग्रेस को.