बाड़मेर. कोरोना की दूसरी लहर में राजस्थान में लॉकडाउन को करीब 1 महीने से ज्यादा का वक्त होने जा रहा है. सबसे बुरे हालात उन लोगों के हैं, जो सुबह कमाते थे और शाम को खाते थे. ईटीवी भारत ऐसे ही परिवारों की दास्तान लेकर आया है. राजस्थान के बाड़मेर जिला मुख्यालय पर लोहे के बर्तन बनाने वाले गाड़िया लोहार इन दिनों जिंदगी के सबसे बुरे दौर से गुजर रहे हैं.
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गाड़िया लोहारों के सामने रोजी-रोटी का संकट
कोरोना संक्रमण की चेन तोड़ने के लिए कई पाबंदी लगाई गई है. इसका असर हर वर्ग और कारोबार पर पड़ा है. गाड़िया लोहार परिवार भी मुसीबत में हैं. आलम यह है कि पिछले साल भर से कोरोना महामारी के चलते इन परिवारों के लिए गुजारा करना बड़ा मुश्किल हो गया है. गाड़िया लोहार परिवारों का कहना है कि अब तो लोगों ने उधार पैसे देना भी बंद कर दिया है. सरकार से भी कोई मदद नहीं मिली है. जिंदगी जीना बेहाल हो गया है. खाने-पीने के भी लाले पड़ रहे हैं.
कोरोना 'काल' ने छीना रोजगार
बाड़मेर जिला मुख्यालय की नेहरू नगर में रहने वाले गाड़िया लोहार बताते हैं कि कोरोना महामारी की वजह से काम-धंधा पूरी तरह ठप हो चुका है. हम लोग रोज कमाकर खाने वाले हैं. घर में खाने वाले तो बहुत से लोग हैं, लेकिन कमाने वाले इक्का-दुक्का लोग होते हैं. इस बार तो हालत यह हो गई है कि सरकार ने कोई सहायता नहीं की है. डेढ़ महीने से बेरोजगार बैठे हैं. अब तो जो पैसे बचे थे, वह भी खत्म हो गए हैं. ऐसे में परिवार का गुजर-बसर करना भी मुश्किल हो गया है.
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लॉकडाउन से पहले किसी तरह चल रहा था काम....
इस महामारी में दूसरा कोई भी कमाने का जरिया नहीं है. डेढ़ महीने यानी लॉकडाउन से पहले दिन में 500 से 1000 रुपए कमा लेते थे. घर का गुजारा चल जाता था लेकिन अब तो पूरा मार्केट बंद होने के कारण पूरे दिन में 100 रुपए भी नहीं कमा पाते हैं. पहले शहर जाकर सामान बेच लेते थे तो शाम तक गुजारा चलने लायक पैसा हो जाता था.
यही हालात रहे तो भूख से मर जाएंगे...
एक महिला ने बताया कि कोरोना की वजह से काम-धंधे बंद हो गए हैं. बड़ा परिवार है. ऐसे में परिवार चलाना भी मुश्किल हो गया है. सरकार ने लॉकडाउन लगा दिया है, जिसकी वजह से काम-धंधे भी बंद हो गए हैं. उन्होंने कहा कि इस कोरोना महामारी से तो हम बाद में मरेंगे लेकिन यही हालात रहे तो हम भूख से जरूर मर जाएंगे.
कबतक कर्ज लेकर चलाएंगे घर?
गाड़िया लोहार समाज के अध्यक्ष के मुताबिक बाड़मेर में करीब 300 गाड़िया लोहार परिवार हैं. यह परिवार रोज कमा कर अपना गुजर-बसर करते हैं लेकिन कोरोना की वजह से काम-धंधा सब बंद पड़ा है. परिवार के गुजर-बसर के लिए मजबूर हैं. इन परिवारों को लोगों से ब्याज पर पैसे लेने पड़ रहे हैं. ऐसे में इन परिवारों का कर्ज भी बढ़ रहा रहा है. लोगों ने उधार तक देना बंद कर दिया है.
सरकार से मदद की गुहार
गाड़िया लोहार परिवारों का गुजर-बसर करना बेहद कठिन हो गया है. सरकार की ओर से भी कोई मदद की पहल नहीं की गई है. इन परिवारों का कहना है कि हम सरकार से यही अपील करते हैं कि हमारी मदद करें और खाने-पीने के लिए कुछ सामग्री दें ताकि हम लोग अपना गुजारा कर सकें.