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दुष्यंत के सामने चुनाव लड़ सकती हैं उर्मीला भाभी....

इस सीट पर जहां एक तरफ इस सीट पर पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के पुत्र दुष्यंत सिंह का नाम भाजपा की ओर से प्रमुखता से लिया जा रहा है तो वहीं संभावित प्रमुख नामों में कांग्रेस की ओर से राजस्थान सरकार के मंत्री प्रमोद जैन भाया की पत्नी उर्मिला जैन भाभी का नाम भी प्रमुखता से उभर कर सामने आ रहा है.

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Published : Mar 14, 2019, 6:03 PM IST

बारां. लोकसभा चुनाव के लिए राजनीतिक पार्टियों ने प्रत्याशियों के चयन को लेकर अपनी अपनी रणनीति बनाना शुरू कर दिया है. इसके लिए पार्टी कार्यकर्ताओं और पदाधिकारियों के सुझाव भी लिए जा रहे हैं. वहीं राजस्थान की राजनीति में सबसे हॉट सीट मानी जाने वाली बारां-झालावाड़ लोकसभा सीट पर चुनावी समीकरण फिर हॉट बनते हुए नजर आ रहे हैं.

इस सीट पर जहां एक तरफ इस सीट पर पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के पुत्र दुष्यंत सिंह का नाम भाजपा की ओर से प्रमुखता से लिया जा रहा है तो वहीं संभावित प्रमुख नामों में कांग्रेस की ओर से राजस्थान सरकार के मंत्री प्रमोद जैन भाया की पत्नी उर्मिला जैन भाभी का नाम भी प्रमुखता से उभर कर सामने आ रहा है. अगर भाजपा कांग्रेस के इन नामों पर मुहर लग जाती है तो यह सीट एक बार फिर वंशवाद और परिवारवाद के नाम रहेगी.

हालांकि सीट पर 1989 से ही वसुंधरा राजे और उनके बाद उनके पुत्र दुष्यंत सिंह का कब्जा रहा है. वहीं कांग्रेस भी इस सीट पर 2009 से एक ही परिवार को मौका दे रही है. हालांकि इस बार प्रत्याशी बदले जाने कें संकेत जरूर मिल रहे थे लेकिन एक बार फिर उर्मिला जैन भाया का नाम प्रमुखता से सामने आ गया है. अगर फिर से दुष्यंत सिंह और कांग्रेस की ओर से उर्मिला जैन को टिकट मिलता है तो यह सीट वंशवाद और परिवारवाद की सीट बनकर रह जाएगी.

क्या है चुनावी समीकरण
1989 से 1999 तक वसुंधरा राजे यहां से पांच बार सांसद रही हैं. भाजपा का गढ़ कही जाने वाली इस सीट पर वसुंधरा राजे ने कांग्रेस के कई पैराशूटर को करारी शिकस्त दी है. राजस्थान की राजनीति में कदम रखने के बाद इस सीट को वसुंधरा राजे के बेटे दुष्यंत सिंह ने उनकी विरासत को कायम किया है. दुष्यंत यहां से लगातार तीन बार जीत चुके हैं.

आम चुनाव 2009 में कांग्रेस ने इस सीट पर मंत्री प्रमोद जैन भाया की पत्नी उर्मिला जैन भाभी को मैदान में उतारा था. इस समय उर्मिला जैन ने दुष्यंत सिंह को चुनाव मैदान में टक्कर भी दी थी और लेकिन यहां उनको थोड़े अंतर से हार का सामना करना पड़ा था. इसके बाद 2013 के विधानसभा चुनाव में अंता सीट से चुनाव हार चुके प्रमोद जैन भाया को दुष्यंत सिंह के सामने 2014 के लोकसभा चुनाव में उतारा गया था लेकिन मोदी लहर के चलते दुष्यंत भारी मतों से जीते.

लेकिन एक बार फिर इस सीट पर लोकसभा चुनाव 2009 जैसा मुकाबला होने की संभावना जताई जा रही है. हालांकि माना यह भी जा रहा है कि वसुंधरा राजे को भाजपा अब केंद्र की राजनीति करवाना चाहती है. ऐसे में संभावना यह भी जताई जा रही है कि वसुंधरा राजे को भी भाजपा आलाकमान टिकट देने के मूड में है. लेकिन वसुंधरा राजे यहां अपने पुत्र को चुनाव लड़ाने के ज्यादा पक्ष में हैं.

बारां. लोकसभा चुनाव के लिए राजनीतिक पार्टियों ने प्रत्याशियों के चयन को लेकर अपनी अपनी रणनीति बनाना शुरू कर दिया है. इसके लिए पार्टी कार्यकर्ताओं और पदाधिकारियों के सुझाव भी लिए जा रहे हैं. वहीं राजस्थान की राजनीति में सबसे हॉट सीट मानी जाने वाली बारां-झालावाड़ लोकसभा सीट पर चुनावी समीकरण फिर हॉट बनते हुए नजर आ रहे हैं.

इस सीट पर जहां एक तरफ इस सीट पर पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के पुत्र दुष्यंत सिंह का नाम भाजपा की ओर से प्रमुखता से लिया जा रहा है तो वहीं संभावित प्रमुख नामों में कांग्रेस की ओर से राजस्थान सरकार के मंत्री प्रमोद जैन भाया की पत्नी उर्मिला जैन भाभी का नाम भी प्रमुखता से उभर कर सामने आ रहा है. अगर भाजपा कांग्रेस के इन नामों पर मुहर लग जाती है तो यह सीट एक बार फिर वंशवाद और परिवारवाद के नाम रहेगी.

हालांकि सीट पर 1989 से ही वसुंधरा राजे और उनके बाद उनके पुत्र दुष्यंत सिंह का कब्जा रहा है. वहीं कांग्रेस भी इस सीट पर 2009 से एक ही परिवार को मौका दे रही है. हालांकि इस बार प्रत्याशी बदले जाने कें संकेत जरूर मिल रहे थे लेकिन एक बार फिर उर्मिला जैन भाया का नाम प्रमुखता से सामने आ गया है. अगर फिर से दुष्यंत सिंह और कांग्रेस की ओर से उर्मिला जैन को टिकट मिलता है तो यह सीट वंशवाद और परिवारवाद की सीट बनकर रह जाएगी.

क्या है चुनावी समीकरण
1989 से 1999 तक वसुंधरा राजे यहां से पांच बार सांसद रही हैं. भाजपा का गढ़ कही जाने वाली इस सीट पर वसुंधरा राजे ने कांग्रेस के कई पैराशूटर को करारी शिकस्त दी है. राजस्थान की राजनीति में कदम रखने के बाद इस सीट को वसुंधरा राजे के बेटे दुष्यंत सिंह ने उनकी विरासत को कायम किया है. दुष्यंत यहां से लगातार तीन बार जीत चुके हैं.

आम चुनाव 2009 में कांग्रेस ने इस सीट पर मंत्री प्रमोद जैन भाया की पत्नी उर्मिला जैन भाभी को मैदान में उतारा था. इस समय उर्मिला जैन ने दुष्यंत सिंह को चुनाव मैदान में टक्कर भी दी थी और लेकिन यहां उनको थोड़े अंतर से हार का सामना करना पड़ा था. इसके बाद 2013 के विधानसभा चुनाव में अंता सीट से चुनाव हार चुके प्रमोद जैन भाया को दुष्यंत सिंह के सामने 2014 के लोकसभा चुनाव में उतारा गया था लेकिन मोदी लहर के चलते दुष्यंत भारी मतों से जीते.

लेकिन एक बार फिर इस सीट पर लोकसभा चुनाव 2009 जैसा मुकाबला होने की संभावना जताई जा रही है. हालांकि माना यह भी जा रहा है कि वसुंधरा राजे को भाजपा अब केंद्र की राजनीति करवाना चाहती है. ऐसे में संभावना यह भी जताई जा रही है कि वसुंधरा राजे को भी भाजपा आलाकमान टिकट देने के मूड में है. लेकिन वसुंधरा राजे यहां अपने पुत्र को चुनाव लड़ाने के ज्यादा पक्ष में हैं.

Intro:कृपया इस खबर में दुष्यंत सिंह और उर्मिला जैन का फोटो लगाने का कष्ट करें


बारां लोकसभा चुनाव के लिए राजनीतिक पार्टियों ने प्रत्याशियों के चयन को लेकर अपनी अपनी रणनीति बनाना शुरू कर दिया है इसके साथ ही प्रत्याशी का चयन को लेकर पार्टी कार्यकर्ताओं और पदाधिकारियों के सुझाव भी लिए गए हैं राजस्थान की राजनीति में बारां झालावाड़ लोकसभा सीट सन 1989 से हॉट सीन मानी जाती है इस बार भी यह सीट हॉट सीट बंद कर सामने आ सकती है क्योंकि जहां एक तरफ इस सीट पर पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के पुत्र दुष्यंत सिंह का नाम भाजपा की ओर से प्रमुखता से लिया जा रहा है तो वही संभावित प्रमुख नामों में कांग्रेस की ओर से राजस्थान सरकार के मंत्री प्रमोद जैन भाया की पत्नी उर्मिला जैन भाभी का नाम प्रमुखता से उभर कर सामने आ रहा है अगर भाजपा कांग्रेस की ओर से दोनों ही नामों पर मुहर लग जाती है तो लोकसभा चुनाव में यह सीट एक बार फिर वंशवाद और परिवारवाद कायम रहेगा हालांकि सीट पर 1989 से ही वसुंधरा राजे और उनके बाद उनके पुत्र दुष्यंत सिंह का कबजा रहा है सन 2009 से किस सीट पर भी कांग्रेस की ओर से एक ही परिवार को चुनाव लड़ने का मौका दिया गया है


Body:2019 के लोकसभा चुनाव में एक बार फिर संभावना कांग्रेस की ओर से उर्मिला जैन और भाजपा से दुष्यंत सिंह के बीच मुकाबला होने की संभावना है अगर फिर से दुष्यंत सिंह और कांग्रेस की ओर से उर्मिला जैन को टिकट मिलता है तो यह सीट वंशवाद और परिवारवाद की सीट बनकर रह जाएगी


Conclusion: 1989 से 1999 तक वसुंधरा राजे ने चुनाव लड़ यहां से जीत हासिल की थी और केंद्र सरकार में विदेश मंत्री से लेकर कई अहम जिम्मेदारियों पर रही है तो वही 1989 से 1999 तक वसुंधरा राजे के सामने जीत हासिल करने के लिए कांग्रेस अलग अलग प्रत्यक्ष सहित पैराशूट नेताओं को वसुंधरा राजे के सामने खड़ी करती हुई आई है लेकिन हर बार कांग्रेस की यह कोशिश नाकाम साबित हुई इसी सीट पर वसुंधरा राजे के बाद 2004 से लेकर 2014 तक दुष्यंत सिंह ने चुनाव लड़ा है और हर बार किस सीट पर जीत हासिल की है दुष्यंत सिंह का इस सीट पर जीत नाम पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे का क्षेत्र में विकास कार्य और लोगों से जुड़ा बड़ा कारण रहा है 2009 में कांग्रेस की ओर से किसी पर पहली बार प्रमोद जैन भाया की पत्नी उर्मिला जैन भाभी को चुनाव मैदान में उतारा गया था इस समय उर्मिला जैन ने दुष्यंत सिंह को चुनाव मैदान में टक्कर भी दी थी लेकिन बताया जाता है कि उस समय कांग्रेस में जयचंदो ने उर्मिला जैन को हराने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी 2013 के विधानसभा चुनाव में अंता विधानसभा सीट से चुनाव हार चुके प्रमोद जैन भाया को दुष्यंत सिंह के सामने 2014 के लोकसभा चुनाव में चुनाव मैदान में उतारा गया था लेकिन मोदी लहर के कारण पूरे राजस्थान में कांग्रेस का सूपड़ा साफ हो गया था और प्रमोद जैन भाया को भी इस सीट पर भारी मतों से हार मिली थी लेकिन एक बार फिर इस सीट पर लोकसभा चुनाव 2009 जैसा मुकाबला होने की संभावना जताई जा रही है हालांकि माना यह भी जा रहा है कि वसुंधरा राजे को भाजपा अब केंद्र की राजनीति करवाना चाहता है ऐसे में बाजारों में चल रही अफवाहों के मुताबिक वसुंधरा राजे को भी भाजपा आलाकमान टिकट देने के मूड में है लेकिन वसुंधरा राजे यहां अपने पुत्र को चुनाव लड़ाने के ज्यादा पक्ष में है
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