अंता (बारां). क्षेत्र में बसों के ठहराव के लिए लंबा चौड़ा परिसर बना हुआ है, लेकिन कई सालों से यह परिसर बसों के आने-जाने के बजाय बच्चों के लिए गिल्ली डंडा खेलने के काम में आ रहा है. कई बार इस समस्या को लेकर जनप्रतिनिधियों का ध्यान इस ओर आकर्षित कराया गया, लेकिन अधिकारी इस समस्या को लेकर लगातार अनदेखी कर रहे हैं.
सरदार वल्लभभाई पटेल स्टेडियम के पास निर्मित इस परिसर का उद्घाटन राज्य के तत्कालीन मुख्यमंत्री शिवचरण माथुर द्वारा किया गया था. जिसके बाद बरसों तक इस परिसर में बसों का आना-जाना लगा रहा. इस कारण बस स्टैंड परिसर में चाय और खान-पान की वस्तुओं के साथ हाथ ठेले लगने से कई जरूरतमंदों को रोजगार भी मिला, लेकिन पिछले कई सालों से यह परिसर वीरान पड़ा हुआ है.
पढ़ेः राजस्थान के श्रीगंगानगर में ना'पाक' हरकत, जांच में जुटीं सुरक्षा एजेंसियां
वहीं टिकट खिड़की कक्ष सहित यात्री प्रतीक्षालय क्षतिग्रस्त हो गए हैं. अब यात्री प्रतीक्षालय में आवारा जानवरों का जमघट लगा रहता है. करीब 30 साल पूर्व यहां बसों का ठहराव करने के लिए सुविधा युक्त बस स्टैंड का निर्माण कराया गया था. जिसमें टिकट खिड़की सहित यात्रियों के लिए बैठने की सुविधाए आदि मौजूद थी.
शुरू में बस स्टैंड परिसर विरान होने की वजह से स्टेडियम की चारदीवारी के कारण वाहनों को मोड़ने में परेशानी सामने आई. ऐसे में नगर पालिका ने चारदीवारी को छोटा कर दिया. वहीं एनटीपीसी ने लगभग 10 लाख की लागत से परिसर में सीसी रोड का निर्माण कराया. इसके बावजूद भी यहां बसों का आना शुरू न होने से यह राशि भी बेकार ही चली गई.
पढ़ेः हरियाणा के परिणाम ने बदल दी नेताओं की रणनीति, अब अलवर निकाय चुनाव में स्थानीय मुद्दे ही होंगे अहम
ऐसे में अंता का बस स्टैंड क्षेत्रवासियों के लिए किसी भी रूप में फायदेमंद साबित नहीं हो रहा है. इस परिसर में अब बच्चे गिल्ली डंडा खेलते हैं. वहीं यात्री मुख्य मार्ग पर खड़े रहकर बसों का इंतजार करने को विवश है. साथ ही बस स्टैंड ना होने की वजह से यहां बाहर से आने वाले यात्रियों के बीच भी अंता की छवि पर इसका असर पड़ रहा है.