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प्रदेश में वन्यजीव गणना पूरी, दुर्लभ प्रजाति से लेकर संकटग्रस्त और सामान्य वन्यजीव भी इसमें शामिल - वन्यजीव गणना

वन्यजीव गणना का कार्य रविवार सुबह 8 बजे पूरा हो गया. वन विभाग के कार्मिकों की ओर से 18 मई को सुबह 8 बजे से लेकर 19 मई को सुबह 8 बजे तक प्रदेश भर में पेड़ों पर मचानों पर बैठकर वाटर हॉल्स की निगरानी की गई और वन्यजीवों के एक-एक मूवमेंट पर नजर रखी गई. जिसमें कई दुर्लभ प्रजातियों के वन्यजीव भी सामने आए है.

पेड़ों पर मचानों पर बैठकर वन विभाग के कार्मिकों ने की वन्यजीवों की गणना की
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Published : May 19, 2019, 8:13 PM IST

जयपुर. वन्यजीव गणना 2019 रविवार सुबह 8 बजे पूरा हो गई. 18 मई को सुबह 8 बजे से लेकर 19 मई को सुबह 8 बजे तक प्रदेश भर में पेड़ों पर मचानों पर बैठकर वाटर हॉल्स की निगरानी की गई और वन्यजीवों के एक-एक मूवमेंट पर नजर रखी गई. जिसमें कई दुर्लभ प्रजातियों के वन्यजीव भी सामने आए है. वन्यजीव गणना में एक अंदाजा लगाया गया कि प्रदेश में वन्यजीवों की तादात क्या है. पिछले कुछ सालों के आंकड़े से अब मिलान कर प्रदेश के आंकड़े जारी किए जाएंगे. जिसमें सामने आएगा कि कौनसे वन्यजीवों की तादाद कितनी है. वन्यजीव गणना में सामने आए आंकड़ों को वन मुख्यालय भेजा जाएगा.

प्रदेश में वन्यजीव गणना पूरी

प्रदेशभर के तीन टाइगर रिजर्व नेशनल पार्क और सेंचुरी में वन्यजीवों की तादाद का एक अंदाजा लिया जा चुका है. इसमें रणथंभौर, सरिस्का, मुकुंदरा हिल्स टाइगर रिजर्व भी शामिल है. प्रदेश में दुर्लभ प्रजाति से लेकर संकटग्रस्त और सामान्य स्थिति में मौजूद वन्यजीवों को गिना गया है। हालांकि गिनती बाघ परियोजना क्षेत्रों में बाघों की भी हुई है. लेकिन बाघ परियोजना क्षेत्र के आंकड़े प्रदेश की सेंसस में शामिल नहीं किए जाएंगे.

उसके बावजूद भी इस बार सबकी नजर इस बात पर रहेगी कि राजस्थान में बघेरों की संख्या कितनी हुई. भालुओं की संख्या में कितना इजाफा हुआ, यह दोनों जीव प्रदेश के ज्यादा गैर रेगिस्तानी इलाकों में देखे गए हैं. इसके अलावा हिरणों में काला हिरण, चिंकारा, चौसिंगा, चीतल, सांभर, नीलगाय की तादाद भी मायने रखेंगी. इस साल से काउंटिंग में मोर भी शामिल किए गए हैं. जिससे प्रदेश में मोरों की तादाद का एक अंदाजा भी सामने आएगा.

वन्यजीव गणना में 24 घंटे वाटर हॉल्स पर निगरानी रखने पर राजधानी जयपुर के कई इलाकों में पैंथर देखे गए. झालाना के अलावा गलता, नाहरगढ़, जलमहल और आमेर में भी पैंथर नजर आए. प्रदेश में बारिश के होने से जंगलों में वन्यजीवों का मूवमेंट कम हुआ है. इसका असर वन्यजीव गणना पर भी पड़ेगा. अब प्रदेशभर के 33 जिलों से वन्यजीव गणना की रिपोर्ट बनेगी और 2 महीने बाद प्रदेशभर की वन्यजीव ऐस्टीमेशन रिपोर्ट तैयार होगी.

वहीं इस बार की काउंटिंग में बेहद दुर्लभ जीव भी नजर आए. इनमें सियाघोश, पैंगोलियन, चौसिंगा जैसे जीव शामिल है. इस रिपोर्ट को साल 2018 की वन्यजीव ऐस्टीमेशन रिपोर्ट के साथ रिलीज कर दिया जाएगा. ताकि दोनों वर्ष की वन्यजीवों की तादाद की तुलना की जा सके. प्रदेशभर से वन्यजीव गणना के आंकड़े वन मुख्यालय भेजे जाएंगे. उसके बाद ही तुलनात्मक आंकड़े सामने निकल कर आएंगे. वन्यजीवों की संख्या में इजाफा होता है तो वन विभाग के लिए अच्छी खबर होगी और आंकड़ों की संख्या में कमी होगी तो वन विभाग के लिए चिंता का विषय होगा.

रेगिस्तान में लगातार बारिश से वन्यजीवों की गणना पर पड़ा असर

बाड़मेर. वन विभाग की ओर से शनिवार और रविवार को वन्यजीवों की गणना के लिए 24 घंटे के लिए सैकड़ों वन्य कर्मियों ने जल स्रोतों के पास जाकर वन्यजीवों की गणना की. लेकिन इस बार रेगिस्तान में लगातार हुई बारिश ने वन्यजीवों की गणना का खेल बिगाड़ दिया. क्योंकि, अधिकांश जगहों पर बारिश का पानी होने से वन्य जीव मुख्य जल स्रोतों के पास हमेशा की तरह नजर नहीं आए. वन विभाग की ओर से आंकड़ों को एकत्रित किया जा रहा है और हो सकता है कि आने वाले दिनों में वन्यजीवों की गणना वापस की जाए.

वन विभाग बाड़मेर की ओर से वन्यजीवों की गणना के लिए पूरे जिले में 50 पॉइंट बनाए गए थे. जिसमें 113 कर्मियों को वन्यजीवों की गणना के लिए लगाया गया था. बारिश की वजह से वन्य क्षेत्रों में कई जगह पानी भर गया. इस वजह से वन्य जीव वहीं से पानी की प्यास बुझा लेते. ऐसे में वन्य कर्मियों को अपने पॉइंट से हटकर जीवों की गणना कई जगह पर करनी पड़ी. इस समस्या के चलते इस बार वन्यजीवों की संख्या भी काफी कम दर्ज होना बताया जा रहा है.

बांसवाड़ा जिले में पैंथर्स की संख्या में बढ़ोतरी की संभावना

बांसवाड़ा. वन विभाग के लिए वन्यजीवों की गणना के परिणाम काफी उत्साह जनक कहे जा सकते हैं. बीते 24 घंटे में गणना के दौरान विभाग द्वारा चिन्हित वाटर हॉल प्वाइंट पर पैंथर की दहाड़ सुनाई दी. वहीं कई स्थानों पर इसके पगमार्क भी देखे गए. जिलेभर में वन विभाग द्वारा 80 वाटर हॉल प्वाइंट चिन्हित किए गए थे. गणना के लिए विभाग की टीमों को शनिवार सुबह 8 बजे से रात 12 बजे तक घाटोल को छोड़कर पैंथर के दीदार नहीं हो पाए. लेकिन इसके बाद पैंथर अपने छुपने की जगहों से निकले और वॉटर हॉल प्वाइंट्स पर पहुंचे. उप वन संरक्षक सुगनाराम जाट के अनुसार सुबह 7 बजे ही घाटोल में मचान के पास झाड़ियों में से पैंथर के गुर्राने की आवाजें गूंजती रही. इस रेंज में वडिताहिलेज जंगल में पैंथर के पग मार्क मिले हैं.

उन्होंने बताया कि भागतोल वाकू माता वाटर हॉल के पास मध्य रात्रि बाद करीब 12:45 बजे पैंथर के आने की पुष्टि पग मार्क से हुई. इसी प्रकार भंडारिया हनुमान मंदिर के पास वॉटरहॉल पर मध्यरात्रि बाद मादा पैंथर अपने शावक सहित पहुंची. वाटर हॉल के पास दोनों के पग मार्क पाए गए. इसके नजदीक ही मंदिर के पास कुआं है जहां सीमेंट की टंकी पर बाद में एक पैंथर पानी पीने पहुंचा. वन्य जीव प्रेमी राहुल जैन पैंथर को देखने के लिए रात भर मंदिर की टीनशेड पर टकटकी लगाए रहे. उनकी यह तपस्या रंग लाई और 3:30 से 4 बजे के बीच आखिरकार पैंथर को देख पाए. उप वन संरक्षक जाट के अनुसार सुबह 6:30 से 7:30 बजे के बीच गणना के अंतिम समय में बाई तालाब अरेंज आनंद सागर पर पैंथर पहुंचा.

यहां भी वन विभाग द्वारा पग मार्क उठाए गए. कुल मिलाकर गणना के दौरान दहाड़ और पग मार्क के आधार पर आधा दर्जन पैंथर के मूवमेंट की पुष्टि हो गई. उन्होंने बताया कि विभिन्न वाटर हॉल प्वाइंट से सूचनाएं पहुंच रही है और उनके एसेसमेंट के बाद रिपोर्ट मुख्यालय भेजी जाएगी. उप वन संरक्षक ने माना कि बांसवाड़ा जिले में पैंथर्स की संख्या में बढ़ोतरी हो रही है.

जयपुर. वन्यजीव गणना 2019 रविवार सुबह 8 बजे पूरा हो गई. 18 मई को सुबह 8 बजे से लेकर 19 मई को सुबह 8 बजे तक प्रदेश भर में पेड़ों पर मचानों पर बैठकर वाटर हॉल्स की निगरानी की गई और वन्यजीवों के एक-एक मूवमेंट पर नजर रखी गई. जिसमें कई दुर्लभ प्रजातियों के वन्यजीव भी सामने आए है. वन्यजीव गणना में एक अंदाजा लगाया गया कि प्रदेश में वन्यजीवों की तादात क्या है. पिछले कुछ सालों के आंकड़े से अब मिलान कर प्रदेश के आंकड़े जारी किए जाएंगे. जिसमें सामने आएगा कि कौनसे वन्यजीवों की तादाद कितनी है. वन्यजीव गणना में सामने आए आंकड़ों को वन मुख्यालय भेजा जाएगा.

प्रदेश में वन्यजीव गणना पूरी

प्रदेशभर के तीन टाइगर रिजर्व नेशनल पार्क और सेंचुरी में वन्यजीवों की तादाद का एक अंदाजा लिया जा चुका है. इसमें रणथंभौर, सरिस्का, मुकुंदरा हिल्स टाइगर रिजर्व भी शामिल है. प्रदेश में दुर्लभ प्रजाति से लेकर संकटग्रस्त और सामान्य स्थिति में मौजूद वन्यजीवों को गिना गया है। हालांकि गिनती बाघ परियोजना क्षेत्रों में बाघों की भी हुई है. लेकिन बाघ परियोजना क्षेत्र के आंकड़े प्रदेश की सेंसस में शामिल नहीं किए जाएंगे.

उसके बावजूद भी इस बार सबकी नजर इस बात पर रहेगी कि राजस्थान में बघेरों की संख्या कितनी हुई. भालुओं की संख्या में कितना इजाफा हुआ, यह दोनों जीव प्रदेश के ज्यादा गैर रेगिस्तानी इलाकों में देखे गए हैं. इसके अलावा हिरणों में काला हिरण, चिंकारा, चौसिंगा, चीतल, सांभर, नीलगाय की तादाद भी मायने रखेंगी. इस साल से काउंटिंग में मोर भी शामिल किए गए हैं. जिससे प्रदेश में मोरों की तादाद का एक अंदाजा भी सामने आएगा.

वन्यजीव गणना में 24 घंटे वाटर हॉल्स पर निगरानी रखने पर राजधानी जयपुर के कई इलाकों में पैंथर देखे गए. झालाना के अलावा गलता, नाहरगढ़, जलमहल और आमेर में भी पैंथर नजर आए. प्रदेश में बारिश के होने से जंगलों में वन्यजीवों का मूवमेंट कम हुआ है. इसका असर वन्यजीव गणना पर भी पड़ेगा. अब प्रदेशभर के 33 जिलों से वन्यजीव गणना की रिपोर्ट बनेगी और 2 महीने बाद प्रदेशभर की वन्यजीव ऐस्टीमेशन रिपोर्ट तैयार होगी.

वहीं इस बार की काउंटिंग में बेहद दुर्लभ जीव भी नजर आए. इनमें सियाघोश, पैंगोलियन, चौसिंगा जैसे जीव शामिल है. इस रिपोर्ट को साल 2018 की वन्यजीव ऐस्टीमेशन रिपोर्ट के साथ रिलीज कर दिया जाएगा. ताकि दोनों वर्ष की वन्यजीवों की तादाद की तुलना की जा सके. प्रदेशभर से वन्यजीव गणना के आंकड़े वन मुख्यालय भेजे जाएंगे. उसके बाद ही तुलनात्मक आंकड़े सामने निकल कर आएंगे. वन्यजीवों की संख्या में इजाफा होता है तो वन विभाग के लिए अच्छी खबर होगी और आंकड़ों की संख्या में कमी होगी तो वन विभाग के लिए चिंता का विषय होगा.

रेगिस्तान में लगातार बारिश से वन्यजीवों की गणना पर पड़ा असर

बाड़मेर. वन विभाग की ओर से शनिवार और रविवार को वन्यजीवों की गणना के लिए 24 घंटे के लिए सैकड़ों वन्य कर्मियों ने जल स्रोतों के पास जाकर वन्यजीवों की गणना की. लेकिन इस बार रेगिस्तान में लगातार हुई बारिश ने वन्यजीवों की गणना का खेल बिगाड़ दिया. क्योंकि, अधिकांश जगहों पर बारिश का पानी होने से वन्य जीव मुख्य जल स्रोतों के पास हमेशा की तरह नजर नहीं आए. वन विभाग की ओर से आंकड़ों को एकत्रित किया जा रहा है और हो सकता है कि आने वाले दिनों में वन्यजीवों की गणना वापस की जाए.

वन विभाग बाड़मेर की ओर से वन्यजीवों की गणना के लिए पूरे जिले में 50 पॉइंट बनाए गए थे. जिसमें 113 कर्मियों को वन्यजीवों की गणना के लिए लगाया गया था. बारिश की वजह से वन्य क्षेत्रों में कई जगह पानी भर गया. इस वजह से वन्य जीव वहीं से पानी की प्यास बुझा लेते. ऐसे में वन्य कर्मियों को अपने पॉइंट से हटकर जीवों की गणना कई जगह पर करनी पड़ी. इस समस्या के चलते इस बार वन्यजीवों की संख्या भी काफी कम दर्ज होना बताया जा रहा है.

बांसवाड़ा जिले में पैंथर्स की संख्या में बढ़ोतरी की संभावना

बांसवाड़ा. वन विभाग के लिए वन्यजीवों की गणना के परिणाम काफी उत्साह जनक कहे जा सकते हैं. बीते 24 घंटे में गणना के दौरान विभाग द्वारा चिन्हित वाटर हॉल प्वाइंट पर पैंथर की दहाड़ सुनाई दी. वहीं कई स्थानों पर इसके पगमार्क भी देखे गए. जिलेभर में वन विभाग द्वारा 80 वाटर हॉल प्वाइंट चिन्हित किए गए थे. गणना के लिए विभाग की टीमों को शनिवार सुबह 8 बजे से रात 12 बजे तक घाटोल को छोड़कर पैंथर के दीदार नहीं हो पाए. लेकिन इसके बाद पैंथर अपने छुपने की जगहों से निकले और वॉटर हॉल प्वाइंट्स पर पहुंचे. उप वन संरक्षक सुगनाराम जाट के अनुसार सुबह 7 बजे ही घाटोल में मचान के पास झाड़ियों में से पैंथर के गुर्राने की आवाजें गूंजती रही. इस रेंज में वडिताहिलेज जंगल में पैंथर के पग मार्क मिले हैं.

उन्होंने बताया कि भागतोल वाकू माता वाटर हॉल के पास मध्य रात्रि बाद करीब 12:45 बजे पैंथर के आने की पुष्टि पग मार्क से हुई. इसी प्रकार भंडारिया हनुमान मंदिर के पास वॉटरहॉल पर मध्यरात्रि बाद मादा पैंथर अपने शावक सहित पहुंची. वाटर हॉल के पास दोनों के पग मार्क पाए गए. इसके नजदीक ही मंदिर के पास कुआं है जहां सीमेंट की टंकी पर बाद में एक पैंथर पानी पीने पहुंचा. वन्य जीव प्रेमी राहुल जैन पैंथर को देखने के लिए रात भर मंदिर की टीनशेड पर टकटकी लगाए रहे. उनकी यह तपस्या रंग लाई और 3:30 से 4 बजे के बीच आखिरकार पैंथर को देख पाए. उप वन संरक्षक जाट के अनुसार सुबह 6:30 से 7:30 बजे के बीच गणना के अंतिम समय में बाई तालाब अरेंज आनंद सागर पर पैंथर पहुंचा.

यहां भी वन विभाग द्वारा पग मार्क उठाए गए. कुल मिलाकर गणना के दौरान दहाड़ और पग मार्क के आधार पर आधा दर्जन पैंथर के मूवमेंट की पुष्टि हो गई. उन्होंने बताया कि विभिन्न वाटर हॉल प्वाइंट से सूचनाएं पहुंच रही है और उनके एसेसमेंट के बाद रिपोर्ट मुख्यालय भेजी जाएगी. उप वन संरक्षक ने माना कि बांसवाड़ा जिले में पैंथर्स की संख्या में बढ़ोतरी हो रही है.

Intro:जयपुर
एंकर- वन्यजीव आंकलन 2019 आज सुबह 8 बजे पूरा हो गया। 18 मई सुबह 8 बजे से लेकर आज 19 मई सुबह 8 बजे तक प्रदेश भर में मचानों बैठकर पर वाटर होल्स की निगरानी की गई। और वन्यजीवो के एक-एक मूवमेंट पर नजर रखी गई। जिसमें कई दुर्लभ प्रजातियों के वन्यजीव भी सामने आए। वन्यजीव गणना में एक अंदाजा लगाया गया कि प्रदेश में वन्यजीवों की तादात क्या है। पिछले कुछ सालों के आंकड़े से अब मिलान कर प्रदेश के आंकड़े जारी किए जाएंगे। जिसमें सामने आएगा कि कौनसे वन्यजीवों की तादाद क्या है। वन्यजीव गणना में सामने आये आंकड़ों को वन मुख्यालय भेजा जाएगा।


Body:प्रदेशभर के तीन टाइगर रिजर्व नेशनल पार्क और सेंचुरी में वन्यजीवों की तादाद का एक अंदाजा लिया जा चुका है। इसमें रणथंभौर, सरिस्का, मुकुंदरा हिल्स टाइगर रिजर्व भी शामिल है। प्रदेश में दुर्लभ प्रजाति से लेकर संकटग्रस्त और सामान्य स्थिति में मौजूद वन्यजीवों को गिना गया है। हालांकि गिनती बाघ परियोजना क्षेत्रों में बाघों की भी हुई है। लेकिन बाघ परियोजना क्षेत्र के आंकड़े प्रदेश की सेंसस में शामिल नहीं किए जाएंगे। उसके बावजूद भी इस बार सबकी नजर इस बात पर रहेगी कि राजस्थान में बघेरो की संख्या कितनी हुई। भालुओ की संख्या में कितना इजाफा हुआ, यह दोनों जीव प्रदेश के ज्यादा गैर रेगिस्तानी इलाकों में देखे गए हैं। इसके अलावा हिरणों में काला हिरण, चिंकारा, चौसिंगा, चीतल, सांभर, नीलगाय की तादाद भी मायने रखेंगी। प्रदेश में पिछले कुछ साल में डॉग फैमिली में हायना और सियार की तादाद बढ़ी है। और भेड़ियों की तादाद कम हुई है। ऐसे में इनकी तादाद के साथ लोमड़ी पर नजर रहेगी। इस साल से काउंटिंग में मोर भी शामिल किए गए हैं। जिससे प्रदेश में मोरों की तादाद का एक अंदाजा भी सामने आएगा।

वन्यजीव गणना 2019 में 24 घंटे वाटर होल्स पर निगरानी रखने पर राजधानी जयपुर के कई इलाकों में पैंथर देखे गए। झालाना के अलावा गलता, नाहरगढ़, जलमहल और आमेर में भी पैंथर नजर आए। प्रदेश में बारिश के होने से जंगलों में वन्यजीवो का मूवमेंट कम हुआ है। इसका असर वन्यजीव गणना पर भी पड़ेगा। अब प्रदेशभर के 33 जिलों से वन्यजीवो की ऐस्टीमेशन रिपोर्ट बनेगी और 2 महीने बाद प्रदेशभर की वन्यजीव ऐस्टीमेशन रिपोर्ट तैयार होगी।
पूरे प्रदेश अलग-अलग हिस्सों में काउंटिंग का यह काम आसानी से हुआ। राजधानी के जंगलों में चांदनी रात में वन्यजीवों को काउंट किया गया। इस बार अच्छा यह रहा कि सेंसस के दौरान कोई आंधी तूफान या बारिश का सामना नहीं करना पड़ा। लेकिन 2 दिन पहले हुई बारिश की वजह से तापमान कम रहा। और उम्मीद के मुताबिक वन्यजीव सामने नहीं आए। जहां झालाना में पैंथरों की संख्या 25 से ज्यादा बताई जाती है। लेकिन काउंटिंग के दौरान वन्यजीवों का कम ही अंदाजा लगा। राजधानी में गलता के जंगलों में लोमड़ी और सियार काफी नजर आए। झालाना के अलावा मायला बाग, गलता, नाहरगढ़, जल महल, आमेर, जयपुर, और सागर के आसपास के जंगल में पैंथर की उपस्थिति दर्ज की गई है।




Conclusion:इस बार की काउंटिंग में बेहद दुर्लभ जीव भी नजर आए। इनमें सियाघोश, पैंगोलियन, चौसिंगा जैसे जीव शामिल है। इस रिपोर्ट को साल 2018 की वन्यजीव ऐस्टीमेशन रिपोर्ट के साथ रिलीज कर दिया जाएगा। ताकि दोनों वर्ष की वन्यजीवों की तादाद की तुलना की जा सके। प्रदेशभर से वन्यजीव गणना के आंकड़े वन मुख्यालय भेजे जाएंगे। उसके बाद ही तुलनात्मक आंकड़े सामने निकल कर आएंगे। वन्यजीवों की संख्या में इजाफा होता है तो वन विभाग के लिए अच्छी खबर होगी और आंकड़ों की संख्या में कमी होगी तो वन विभाग के लिए चिंता का विषय होगा।

बाईट- जनेश्वर चौधरी, क्षेत्रीय वन अधिकारी, झालाना जयपुर


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