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दो गांवों के बीच घूमने को मजबूर विस्थापित ग्रामीण, कलेक्टर और एसपी को सौंपा ज्ञापन

माही बांध के निर्माण के दौरान कटियोर गांव से विस्थापित हुए ग्रामीण दो गांवों के बीच घूमने को मजबूर है. कटियोर से विस्थापित होने के बाद उन्हें बोरी आंजना गांव में जमीन आवंटित की गई थी. लेकिन वहां अन्य लोगों काबिज थे. वहीं उनकी जमीन मेवाड़ भील कोर को आवंटित कर दी गई. ऐसे में उनकी जमीन से एमबीसी द्वारा कब्जे हटाए जा रहे हैं. इसको लेकर ग्रामीणों ने कलेक्टर और एसपी को ज्ञापन सौंपा है.

villagers handover memorandum to collector and sp
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Published : Jul 29, 2019, 4:39 PM IST

Updated : Jul 29, 2019, 5:16 PM IST

बांसवाड़ा. माही बांध के निर्माण के दौरान विस्थापित ग्रामीणों का दर्द एक बार फिर सामने आया है. विस्थापन के दौरान उन्हें अन्यत्र जमीन आवंटित कर दी गई. जबकि मौके पर अन्य लोग काबिज थे. ग्रामीणों की समस्या है कि उनके पैतृक गांव की जमीन मेवाड़ भील कोर के नाम आवंटित की जा चुकी है. ऐसे में अब विस्थापितों को उनके मूल गांव से एमबीसी द्वारा कब्जे हटाए जा रहे है. तो उनको आवंटित जमीन पर काबिज लोग उन्हें पैर नहीं धरने दे रहे हैं. नतीजतन विस्थापित ग्रामीण दोनों गांवों के बीच घूमने को मजबूर है.

दो गांवों के बीच घूमने को मजबूर विस्थापित ग्रामीण, कलेक्टर और एसपी को सौंपा ज्ञापन

मामला कटियोर गांव का है. माही बांध निर्माण के दौरान चार दशक पहले यहां के 15 से 20 परिवारों का विस्थापन हुआ था. मुआवजे के अलावा करीब 40 से 50 किलोमीटर दूर बोरी आंजना गांव में इन्हें जमीन आवंटित की गई. कुछ समय बाद ग्रामीण वहां गए तो आवंटित जमीन पर पहले से ही अन्य लोग काबिज थे. जो वहां से हटने को तैयार नहीं हुए. ग्रामीणों ने इस बारे में तत्कालीन प्रशासनिक अधिकारियों को बताया. लेकिन बाद में मामला आया गया हो गया. जिसके बाद ग्रामीण फिर से अपने पैतृक गांव लौट गए.

यह भी पढ़ें- बजरी खनन में आदेश ना मानने पर राज्य सरकार को अवमानना नोटिस....सुप्रीम कोर्ट ने 4 हफ्ते में मांगा जवाब

इसी बीच गांव की जमीन कागजों में माही के नाम दर्ज हो गई थी. जो बाद में जिला प्रशासन द्वारा मेवाड़ भील कोर को आवंटित कर दी गई. जबकि मौके पर विस्थापित लोग काबिज थे. ग्रामीणों द्वारा इस संबंध में फिर से प्रशासनिक अधिकारियों को अवगत कराया गया. लेकिन उन्हें बोरी आंजना गांव में बसाने का आश्वासन दिया गया. लेकिन उन्हें वहां पर बसाने के लिए कोई प्रयास नहीं हुए. ग्रामीणों का कहना है कि एमबीसी दो पहले पुलिसकर्मियों को लेकर गांव पहुंची और उनके मकान हटाए जाने लगे.

बोरी आंजना गांव में दूसरे लोगों का कब्जा होने और पैतृक गांव में एमबीसी द्वारा मकान हटाने को लेकर सोमवार को सैकड़ों ग्रामीणों ने जिला मुख्यालय पहुंचकर कलेक्टर और पुलिस अधीक्षक को ज्ञापन सौंपा. ग्रामीणों का नेतृत्व कर रहे भाजपा जनजाति मोर्चा के प्रदेश उपाध्यक्ष हकरू मईड़ा ने बताया कि एसपी केसर सिंह शेखावत ने बोरी आंजना गांव में ग्रामीणों को कब्जे दिलाने के साथ एमबीसी द्वारा कब्जे की कार्रवाई में ग्रामीणों के हित का ध्यान रखने का आश्वासन दिया है.

बांसवाड़ा. माही बांध के निर्माण के दौरान विस्थापित ग्रामीणों का दर्द एक बार फिर सामने आया है. विस्थापन के दौरान उन्हें अन्यत्र जमीन आवंटित कर दी गई. जबकि मौके पर अन्य लोग काबिज थे. ग्रामीणों की समस्या है कि उनके पैतृक गांव की जमीन मेवाड़ भील कोर के नाम आवंटित की जा चुकी है. ऐसे में अब विस्थापितों को उनके मूल गांव से एमबीसी द्वारा कब्जे हटाए जा रहे है. तो उनको आवंटित जमीन पर काबिज लोग उन्हें पैर नहीं धरने दे रहे हैं. नतीजतन विस्थापित ग्रामीण दोनों गांवों के बीच घूमने को मजबूर है.

दो गांवों के बीच घूमने को मजबूर विस्थापित ग्रामीण, कलेक्टर और एसपी को सौंपा ज्ञापन

मामला कटियोर गांव का है. माही बांध निर्माण के दौरान चार दशक पहले यहां के 15 से 20 परिवारों का विस्थापन हुआ था. मुआवजे के अलावा करीब 40 से 50 किलोमीटर दूर बोरी आंजना गांव में इन्हें जमीन आवंटित की गई. कुछ समय बाद ग्रामीण वहां गए तो आवंटित जमीन पर पहले से ही अन्य लोग काबिज थे. जो वहां से हटने को तैयार नहीं हुए. ग्रामीणों ने इस बारे में तत्कालीन प्रशासनिक अधिकारियों को बताया. लेकिन बाद में मामला आया गया हो गया. जिसके बाद ग्रामीण फिर से अपने पैतृक गांव लौट गए.

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इसी बीच गांव की जमीन कागजों में माही के नाम दर्ज हो गई थी. जो बाद में जिला प्रशासन द्वारा मेवाड़ भील कोर को आवंटित कर दी गई. जबकि मौके पर विस्थापित लोग काबिज थे. ग्रामीणों द्वारा इस संबंध में फिर से प्रशासनिक अधिकारियों को अवगत कराया गया. लेकिन उन्हें बोरी आंजना गांव में बसाने का आश्वासन दिया गया. लेकिन उन्हें वहां पर बसाने के लिए कोई प्रयास नहीं हुए. ग्रामीणों का कहना है कि एमबीसी दो पहले पुलिसकर्मियों को लेकर गांव पहुंची और उनके मकान हटाए जाने लगे.

बोरी आंजना गांव में दूसरे लोगों का कब्जा होने और पैतृक गांव में एमबीसी द्वारा मकान हटाने को लेकर सोमवार को सैकड़ों ग्रामीणों ने जिला मुख्यालय पहुंचकर कलेक्टर और पुलिस अधीक्षक को ज्ञापन सौंपा. ग्रामीणों का नेतृत्व कर रहे भाजपा जनजाति मोर्चा के प्रदेश उपाध्यक्ष हकरू मईड़ा ने बताया कि एसपी केसर सिंह शेखावत ने बोरी आंजना गांव में ग्रामीणों को कब्जे दिलाने के साथ एमबीसी द्वारा कब्जे की कार्रवाई में ग्रामीणों के हित का ध्यान रखने का आश्वासन दिया है.

Intro:बांसवाड़ाl माही बांध के निर्माण के दौरान विस्थापित ग्रामीणों का दर्द एक बार फिर सामने आया हैl विस्थापन के दौरान उन्हें अन्यत्र जमीन आवंटित कर दी गई जबकि मौके पर अन्य लोग काबिज थेl ग्रामीणों की समस्या यह है कि वह फिर से गांव लौटे तो उनकी जमीन मेवाड़ भील कोर के नाम आवंटित की जा चुकी थीl मूल गांव से एमबीसी कब्जे हटा रही है तो आवंटित जमीन पर का बीज लोग उन्हें पैर नहीं धरने दे रहे हैंl नतीजतन वे दोनों ही गांव के बीच घूमने को मजबूर हैl


Body:मामला कटियोर गांव का हैl माही डैम निर्माण के दौरान चार दशक पहले यहां के 15 से 20 परिवारों का विस्थापन हुआ थाl मुआवजे के अलावा करीब 40 से 50 किलोमीटर दूर बोरी आंजना गांव में इन्हें जमीन आवंटित की गईl कुछ समय बाद यह लोग वहां गए तो उनके पैरों तले से जमीन खिसक गई क्योंकि वहां पहले से ही अन्य लोग का काबिज थे जो वहां से हटने को तैयार नहीं हुएl ग्रामीणों द्वारा इस संबंध में तत्कालीन प्रशासनिक अधिकारियों को अवगत कराया लेकिन बाद में मामला आया गया हो गयाl ग्रामीण फिर से अपने मूल गांव लौट गएl


Conclusion:इस बीच गांव की जमीन कागजों में माही के नाम दर्ज हो गई थी जो बाद में जिला प्रशासन द्वारा मेवाड़ भील कोर को आवंटित कर दी गई जबकि मौके पर विस्थापित लोग का काबिज थेl ग्रामीणों द्वारा इस संबंध में फिर से प्रशासनिक अधिकारियों को अवगत कराया गया लेकिन उन्हें बोरी आंजना गांव में बसाने का आश्वासन दिया गयाl परंतु धरातल पर वैसा कोई प्रयास नहीं किया गयाl ग्रामीणों का कहना है कि एमबीसी पुलिसकर्मियों को लेकर 2 दिन पहले गांव पहुंची और उनके मकान हटाए जाने लगेl इसका ग्रामीणों ने विरोध कियाl उसी क्रम में सोमवार को सैकड़ों ग्रामीण कलेक्ट्रेट पहुंचे और जिला कलेक्टर तथा जिला पुलिस अधीक्षक को ज्ञापन दियाl ग्रामीणों का नेतृत्व कर रहे भारतीय जनता पार्टी जनजाति मोर्चा के प्रदेश उपाध्यक्ष हकरू मईड़ा के अनुसार पुलिस अधीक्षक केसर सिंह शेखावत ने बोरी आंजना गांव में ग्रामीणों को कब्जे दिलाने के साथ एमबीसी द्वारा कब्जे की कार्रवाई मैं ग्रामीणों के हित का ध्यान रखने का आश्वासन दिया।

बाइट......हकरू मईडा उपाध्यक्ष प्रदेश भाजपा जजा मोर्चा
Last Updated : Jul 29, 2019, 5:16 PM IST
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