कुशलगढ़ (बांसवाड़ा). कुशलगढ़ जनता दल का मजबूत गढ़ रहा हैं, लेकिन समय के साथ पार्टी में टूट के चलते अब यहां अस्तित्व मानों खत्म हो गया है. पिछले चुनाव में जनता दल का खाता नहीं खुला, लेकिन इस बार भी इस पंचायत समिति में त्रिकोणीय मुकाबले के आसार रहेंगे. भारतीय जनता पार्टी और कांग्रेस के अलावा यहां भारतीय ट्राईबल पार्टी ने चुनाव में खम ठोका है. कुशलगढ़ पंचायत समिति में 17 वार्ड है. यहां अब तक चुने गए 12 प्रधानों में 9 बार जनता दल, दो बार कांग्रेस और एक बार भाजपा के प्रधान रहें. इस बार के चुनाव स्थानीय विधायक के लिए प्रतिष्ठा का प्रश्न है. कांग्रेस का खाता 2010 में हुरतींग खड़िया ने खोला था.
बीते चुनाव का गणित
2015 में कांग्रेस और भाजपा के 8-8 प्रत्याशी जीते थे. एक सीट निर्दलीय चंपा देवी भूरिया ने जीती. कांग्रेस निर्दलीय का समर्थन हासिल कर प्रधान बनाने में सफल रही. रमिला खड़िया प्रधान और चंपा देवी उपप्रधान बनी. 2018 में रमिला खड़िया को फर्जी डिग्री मामले में प्रधान पद से हटना पड़ा. चंपा देवी करीब 1 साल तक कार्यवाहक प्रधान रही. इसी दौरान पंचायत समिति के 4 सदस्यों ने इस्तीफा दिया. उपचुनाव के बाद चंपा देवी ने भाजपा का दामन थाम लिया और शेष बचे 7 माह के लिए प्रधान बनी. गौरतलब है कि यहां 1,20 हजार से अधिक मतदाता वोट डालेंगे.
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अब तक ये रहे प्रधान
1959 से 1961 : जिथिंग भाई,1961 से 1965 : दीपा भाई, 1965 से 1975 : सोहनसिंह राठौड़, 1975 से 1977 : प्रतापसिंह, 1977 से 1981 : प्रशासक, 1981 से 1988 : जिथिंग भाई, 1988 से 1991 : रघुवीर सिंह झाला, 1991 से 1995 : प्रशासक, 1995 से 2000 : भीमा भाई ड़ामोर, 2000 से 2005 : विजयसिंह देवदा, 2005 से 2010 : कांता ड़िड़ोंर, 2010 से 2015 : हुरतींग खड़िया, 2015 से 2018 : रमिला हुरतींग खड़िया, 2018 से 2019 : चंपा देवी भूरिया कार्यवाहक, 2019 से 2020 : चंपा देवी भूरिया