बांसवाड़ा. आदिवासी बहुल बांसवाड़ा जिले के वागड़ अंचल में करवा चौथ पर्व मनाए जाने का रिवाज नहीं है, लेकिन जैसे-जैसे शहर की संस्कृति गांव में पहुंची यहां की महिलाएं शहर से आए कल्चर करवा चौथ के रंग में रम गई हैं. वहीं यहां के एक गांव में रहने वाले राजिया भाई की पत्नियां भी उनके लिए व्रत रखती है. जी हां, उनकी एक नहीं तीन-तीन पत्नियां है.
बांसवाड़ा से करीब 22 किलोमीटर दूर सामरिया गांव में रहने वाले राजिया भाई मीणा के परिवार में उनकी तीन पत्नियां है. यही नहीं राजिया भाई का परिवार जैसे-जैसे शहरवासियों के संपर्क में आया उनकी पत्नियां भी पति की लंबी उम्र की कामना को लेकर व्रत धारण करने लगी. इसे लेकर तीनों ही पिछले कई दिनों से तैयारियां कर रही थी.
तीनों ने मिलकर की करवा चौथ की तैयारी
बता दें कि राजिया भाई की तीनों पत्नियों ने मिलकर करवा चौथ की तैयारी की है. आज के विशेष पर्व को देखकर वे जल्दी उठी और अपने पति के पांव छूकर निर्जला व्रत रखा. घर का कामकाज भी डिस्टर्ब नहीं हो इसलिए पति को लंबे चौड़े मकान के बीच इमली के बड़े पेड़ के नीचे बैठा दिया ताकि दिनभर उनका चेहरा दिखता रहे. खास बात यह रही कि तीनों ने एक ही छलनी से अपने पति के चेहरे को देखा.
बच्चे भी शरीक हुए पिता की शादी में
आदिवासी वर्ग से आने वाले राजिया भाई मीणा आस-पास के गांव में काफी प्रभावशाली माने जाते हैं. सबसे पहला विवाह 40 साल पहले 20 वर्षीय कालीबाई के साथ हुआ था. उसके 5 साल बाद मणि के साथ परिणय सूत्र में बंधे तो उसके 5 से 7 साल बाद तुलसी बाई को ब्याह कर अपने घर लाए.रोचक बात यह है कि इनमें से दो शादियों में उनके बच्चे तक बारात में शरीक हुए.
मझली पत्नी के हाथ पंचायत की कमान
मझली पत्नी मणि बाई वर्तमान में सामरिया ग्राम पंचायत की सरपंच हैं.वे 2009 में भी पंचायत की सरपंच चुनी गई थी. सबसे छोटी तुलसी बाई ने बताया कि उनके खानदान में करवा चौथ मनाने का चलन नहीं है लेकिन जैसे-जैसे पता चला कि पति की दीर्घायु के लिए यह व्रत रखा जाता है. उन्होंने भी करवा चौथ मनाना शुरू कर दिया. बता दें कि पिछले 10 साल से वे व्रत रख रही हैं.
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बहनों की तरह रहती है तीनों पत्नियां
आपको यह जानकर आश्चर्य होगा कि राजिया भाई की तीनों पत्नियों से 17 बच्चे हैं. जिनमें से अधिकांश शादीशुदा होकर बच्चे बच्चियों के माता पिता हैं. इतना बड़ा परिवार होने के बावजूद इस परिवार का सामंजस्य देखने लायक है. सबसे बड़ी पत्नी कालीबाई हो या मझली मणि या फिर सबसे छोटी तुलसी बाई तीनों ही अपने अपने काम में जुटी रहती हैं और तीनों बहनों की तरह रह रही हैं.
राजिया भाई के अनुसार तीनों ने एक दूसरे को समझ लिया है. ऐसे में अब तक परिवार में खटपट वाली कोई बात नहीं रही और तीनों ही आपस में प्रेम पूर्वक रहती हैं.