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करवा चौथ विशेषः यहां तीन पत्नियों ने एक ही पति के लिए रखा व्रत...मांगी लंबी उम्र की दुआ

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Published : Oct 17, 2019, 9:36 PM IST

'करवा चौथ' नाम आते ही हमारे सामने छलनी में चंद्रमा के साथ अपने पति का चेहरा देखती महिलाओं की तस्वीर उभर कर आती है लेकिन आज हम आपको एक ऐसे परिवार के बारे में बताने जा रहे हैं जहां एक नहीं तीन-तीन पत्नियां एक साथ अपने पति की उम्र दराजी की कामना को लेकर व्रत रखती है.

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बांसवाड़ा. आदिवासी बहुल बांसवाड़ा जिले के वागड़ अंचल में करवा चौथ पर्व मनाए जाने का रिवाज नहीं है, लेकिन जैसे-जैसे शहर की संस्कृति गांव में पहुंची यहां की महिलाएं शहर से आए कल्चर करवा चौथ के रंग में रम गई हैं. वहीं यहां के एक गांव में रहने वाले राजिया भाई की पत्नियां भी उनके लिए व्रत रखती है. जी हां, उनकी एक नहीं तीन-तीन पत्नियां है.

पति की उम्र दराजी के लिए एक साथ तीन पत्नियां ने रखा व्रत

बांसवाड़ा से करीब 22 किलोमीटर दूर सामरिया गांव में रहने वाले राजिया भाई मीणा के परिवार में उनकी तीन पत्नियां है. यही नहीं राजिया भाई का परिवार जैसे-जैसे शहरवासियों के संपर्क में आया उनकी पत्नियां भी पति की लंबी उम्र की कामना को लेकर व्रत धारण करने लगी. इसे लेकर तीनों ही पिछले कई दिनों से तैयारियां कर रही थी.

तीनों ने मिलकर की करवा चौथ की तैयारी

बता दें कि राजिया भाई की तीनों पत्नियों ने मिलकर करवा चौथ की तैयारी की है. आज के विशेष पर्व को देखकर वे जल्दी उठी और अपने पति के पांव छूकर निर्जला व्रत रखा. घर का कामकाज भी डिस्टर्ब नहीं हो इसलिए पति को लंबे चौड़े मकान के बीच इमली के बड़े पेड़ के नीचे बैठा दिया ताकि दिनभर उनका चेहरा दिखता रहे. खास बात यह रही कि तीनों ने एक ही छलनी से अपने पति के चेहरे को देखा.

यह भी पढ़ें : जेल में 'खेल' पार्ट- 2 : VIP बैरक...तंबाकू, मोबाइल, बीड़ी बंडल जैसी सुविधाएं भी मिलती हैं इस जेल में, इस वायरल चिट्ठी ने खोली पोल....

बच्चे भी शरीक हुए पिता की शादी में

आदिवासी वर्ग से आने वाले राजिया भाई मीणा आस-पास के गांव में काफी प्रभावशाली माने जाते हैं. सबसे पहला विवाह 40 साल पहले 20 वर्षीय कालीबाई के साथ हुआ था. उसके 5 साल बाद मणि के साथ परिणय सूत्र में बंधे तो उसके 5 से 7 साल बाद तुलसी बाई को ब्याह कर अपने घर लाए.रोचक बात यह है कि इनमें से दो शादियों में उनके बच्चे तक बारात में शरीक हुए.

मझली पत्नी के हाथ पंचायत की कमान

मझली पत्नी मणि बाई वर्तमान में सामरिया ग्राम पंचायत की सरपंच हैं.वे 2009 में भी पंचायत की सरपंच चुनी गई थी. सबसे छोटी तुलसी बाई ने बताया कि उनके खानदान में करवा चौथ मनाने का चलन नहीं है लेकिन जैसे-जैसे पता चला कि पति की दीर्घायु के लिए यह व्रत रखा जाता है. उन्होंने भी करवा चौथ मनाना शुरू कर दिया. बता दें कि पिछले 10 साल से वे व्रत रख रही हैं.

यह भी पढ़ें- झुंझुनू: मंडावा विधानसभा उप चुनाव को लेकर क्या कहते है खेतों में काम कर रहे किसान, आईए जानते हैं उनकी राय और मुद्दे

बहनों की तरह रहती है तीनों पत्नियां

आपको यह जानकर आश्चर्य होगा कि राजिया भाई की तीनों पत्नियों से 17 बच्चे हैं. जिनमें से अधिकांश शादीशुदा होकर बच्चे बच्चियों के माता पिता हैं. इतना बड़ा परिवार होने के बावजूद इस परिवार का सामंजस्य देखने लायक है. सबसे बड़ी पत्नी कालीबाई हो या मझली मणि या फिर सबसे छोटी तुलसी बाई तीनों ही अपने अपने काम में जुटी रहती हैं और तीनों बहनों की तरह रह रही हैं.

राजिया भाई के अनुसार तीनों ने एक दूसरे को समझ लिया है. ऐसे में अब तक परिवार में खटपट वाली कोई बात नहीं रही और तीनों ही आपस में प्रेम पूर्वक रहती हैं.

बांसवाड़ा. आदिवासी बहुल बांसवाड़ा जिले के वागड़ अंचल में करवा चौथ पर्व मनाए जाने का रिवाज नहीं है, लेकिन जैसे-जैसे शहर की संस्कृति गांव में पहुंची यहां की महिलाएं शहर से आए कल्चर करवा चौथ के रंग में रम गई हैं. वहीं यहां के एक गांव में रहने वाले राजिया भाई की पत्नियां भी उनके लिए व्रत रखती है. जी हां, उनकी एक नहीं तीन-तीन पत्नियां है.

पति की उम्र दराजी के लिए एक साथ तीन पत्नियां ने रखा व्रत

बांसवाड़ा से करीब 22 किलोमीटर दूर सामरिया गांव में रहने वाले राजिया भाई मीणा के परिवार में उनकी तीन पत्नियां है. यही नहीं राजिया भाई का परिवार जैसे-जैसे शहरवासियों के संपर्क में आया उनकी पत्नियां भी पति की लंबी उम्र की कामना को लेकर व्रत धारण करने लगी. इसे लेकर तीनों ही पिछले कई दिनों से तैयारियां कर रही थी.

तीनों ने मिलकर की करवा चौथ की तैयारी

बता दें कि राजिया भाई की तीनों पत्नियों ने मिलकर करवा चौथ की तैयारी की है. आज के विशेष पर्व को देखकर वे जल्दी उठी और अपने पति के पांव छूकर निर्जला व्रत रखा. घर का कामकाज भी डिस्टर्ब नहीं हो इसलिए पति को लंबे चौड़े मकान के बीच इमली के बड़े पेड़ के नीचे बैठा दिया ताकि दिनभर उनका चेहरा दिखता रहे. खास बात यह रही कि तीनों ने एक ही छलनी से अपने पति के चेहरे को देखा.

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बच्चे भी शरीक हुए पिता की शादी में

आदिवासी वर्ग से आने वाले राजिया भाई मीणा आस-पास के गांव में काफी प्रभावशाली माने जाते हैं. सबसे पहला विवाह 40 साल पहले 20 वर्षीय कालीबाई के साथ हुआ था. उसके 5 साल बाद मणि के साथ परिणय सूत्र में बंधे तो उसके 5 से 7 साल बाद तुलसी बाई को ब्याह कर अपने घर लाए.रोचक बात यह है कि इनमें से दो शादियों में उनके बच्चे तक बारात में शरीक हुए.

मझली पत्नी के हाथ पंचायत की कमान

मझली पत्नी मणि बाई वर्तमान में सामरिया ग्राम पंचायत की सरपंच हैं.वे 2009 में भी पंचायत की सरपंच चुनी गई थी. सबसे छोटी तुलसी बाई ने बताया कि उनके खानदान में करवा चौथ मनाने का चलन नहीं है लेकिन जैसे-जैसे पता चला कि पति की दीर्घायु के लिए यह व्रत रखा जाता है. उन्होंने भी करवा चौथ मनाना शुरू कर दिया. बता दें कि पिछले 10 साल से वे व्रत रख रही हैं.

यह भी पढ़ें- झुंझुनू: मंडावा विधानसभा उप चुनाव को लेकर क्या कहते है खेतों में काम कर रहे किसान, आईए जानते हैं उनकी राय और मुद्दे

बहनों की तरह रहती है तीनों पत्नियां

आपको यह जानकर आश्चर्य होगा कि राजिया भाई की तीनों पत्नियों से 17 बच्चे हैं. जिनमें से अधिकांश शादीशुदा होकर बच्चे बच्चियों के माता पिता हैं. इतना बड़ा परिवार होने के बावजूद इस परिवार का सामंजस्य देखने लायक है. सबसे बड़ी पत्नी कालीबाई हो या मझली मणि या फिर सबसे छोटी तुलसी बाई तीनों ही अपने अपने काम में जुटी रहती हैं और तीनों बहनों की तरह रह रही हैं.

राजिया भाई के अनुसार तीनों ने एक दूसरे को समझ लिया है. ऐसे में अब तक परिवार में खटपट वाली कोई बात नहीं रही और तीनों ही आपस में प्रेम पूर्वक रहती हैं.

Intro:बांसवाड़ाl करवा चौथl नाम आते ही हमारे सामने छलनी में चंद्रमा के साथ अपने पति का चेहरा देखती महिला की तस्वीर उभर कर आती है लेकिन आज हम आपको एक ऐसे परिवार के बारे में बताने जा रहे हैं जहां एक नहीं तीन तीन पत्नियां एक साथ अपने पति की उम्र दराजी की कामना को लेकर व्रत रखती हैl हालांकि वागड़ अंचल में करवा चौथ पर्व मनाए जाने का रिवाज नहीं है लेकिन जैसे-जैसे शहर की संस्कृति गांव में पहुंची इस परिवार की महिलाएं भी अपने पति की दीर्घायु की कामना को लेकर बाहर से आई इस कल्चर में रंग गईl


Body:बांसवाड़ा से करीब 22 किलोमीटर दूर सामरिया गांव में यह परिवार निवासरत है।

शहर का प्रभाव

आदिवासी बहुल डूंगरपुर बांसवाड़ा में यहां के मूल निवासियों में करवा चौथ मनाए जाने का रिवाज नहीं है। शहर में बाहर से आकर बसे लोगों द्वारा इस पर्व को मनाया जाता है जिसने धीरे धीरे यहां के मूल निवासियों को भी अपने रंग में रंग लिया। राजिया भाई का परिवार जैसे-जैसे शहरवासियों के संपर्क में आया उनकी पत्नियां पति की लंबी उम्र की कामना को लेकर व्रत धारण करने लगी। इसे लेकर तीनों ही पिछले कई दिनों से तैयारियां कर रही थी।




Conclusion:ताकि दिन भर चेहरा दिखता रहे

हालांकि तीनों ही रोज जल्दी ही उठ जाती है लेकिन आज विशेष पर्व को देखकर और भी जल्दी उठी और अपने पति के पांव छूकर निर्जला व्रत रखा और पति को भी आज कहीं बाहर नहीं जाने दिया। घर का कामकाज भी डिस्टर्ब नहीं हो ऐसे में पति राजा को लंबे चौड़े मकान के बीच इमली के बड़े पेड़ के नीचे बैठा दिया ताकि दिनभर उनका चेहरा दिखता रहे। वहीं सूरज के ढलने के साथ ही पूजन सामग्री में व्यस्त हो गई। खास बात यह रही थी तीनों ने एक ही छलनी से अपने पति परमेश्वर के चेहरे को देखा।

मझली पत्नी के हाथ पंचायत की कमान

मझली पत्नी मणि बाई वर्तमान में सामरिया ग्राम पंचायत की सरपंच हैl वे 2009 में भी पंचायत की सरपंच चुनी गई थीl सबसे छोटी तुलसी बाई ने बताया कि हालांकि हमारे खानदान में करवा चौथ मनाने का चलन नहीं है लेकिन जैसे-जैसे पता चला कि पति की दीर्घायु के लिए यह व्रत रखा जाना चाहिए हमने भी शुरू कर दियाl पिछले 10 साल से वे व्रत रख रही हैl

बहनों की भांति रहती है तीनों

आपको यह जानकर आश्चर्य होगा कि राजिया भाई के तीनों पत्नियों से 17 बच्चे हैं। जिनमें से अधिकांश शादीशुदा होकर बच्चे बच्चियों के माता पिता है। इतना बड़ा परिवार होने के बावजूद इस परिवार का सामंजस्य देखने लायक है। सबसे बड़ी पत्नी कालीबाई हो या मझली मणि या फिर तुलसी बाई तीनों ही अपने अपने काम में जुटी रहती है। किसी ने पशुओं को देख लिया तो किसी ने खेती-बाड़ी। कुल मिलाकर तीनों के बीच कोई प्रतिस्पर्धा नहीं है और जब से इस घर में आई है बहनों की तरह रह रही है।

जहां भी प्रस्ताव रखा बेटी देने को हो गया तैयार

आदिवासी वर्ग से आने वाले राजिया भाई मईडा आस-पास के गांव में काफी प्रभावशाली माने जाते हैं। लगभग डेढ़ सौ बीघा जमीन और लंबे चौड़े मकान को देखकर राजिया भाई जिस भी घर में लड़की देखने गए हर परिवार में बेटी की खुशहाली को देखकर शादी के लिए हामी भर दी । सबसे पहला विवाह 40 साल पहले 20 वर्षीय कालीबाई के साथ हुआ था । उसके 5 साल बाद मणि के साथ परिणय सूत्र में बंधे तो उसके 5 से 7 साल बाद तुलसी बाई को ब्याह कर अपने घर लाए । रोचक बात यह है कि इनमें से दो शादियों में उनके बच्चे तक बारात में शरीक हुए। राजिया भाई के अनुसार तीनों ने एक दूसरे को समझ लिया है ऐसे में अब तक परिवार में खटपट वाली कोई बात नहीं रही और तीनों ही आपस में प्रेम पूर्वक रहती है।

बाइट...... राजिया भाई
............... तुलसी बाई सबसे छोटी पत्नी


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