बांसवाड़ा. शहर के नजदीक के वन खंड सवाई माता में आग लगने से बड़ा नुकसान हुआ है. दूसरी बात यह है कि जिस जगह आग लगी, वह पैंथर के मूवमेंट का एरिया है. जिसे अंकलेश्वर के नाम से भी जाना जाता है. इस पूरे क्षेत्र में घनी वनस्पति और सागवान का जंगल है. यहां पर आग मंगलवार दोपहर से पूर्व ही फैल गई थी. इसके बाद देर शाम तक आग पर काबू पाया गया है.
बांसवाड़ा रेंजर कपिल चौधरी ने बताया कि कल शाम सूचना मिली का अंकलेश्वर क्षेत्र में जंगल में आग फैल रही है. ऐसे में वह खुद मौके पर पहुंचे और डीएफओ हरिकिशन सारस्वत सहायक वन संरक्षक अभिमन्यु सारण को सूचना दी. इसके साथ ही मौके पर दमकल को भी बुलाया गया. जंगल होने के कारण कई जगह ऐसी थी, जहां पर दमकल का पानी पहुंचना संभव नहीं था. इस पर विभागीय कार्मिक वनपाल रामचंद्र सिंह, सहायक वनपाल फतुल्लाह खान, वनरक्षक कल्पेश पाटीदार, कैटल गार्ड दूधजी और कमजी व शांति की टीमों को लगाया गया. इसके बाद भी कई घंटे में आग पर काबू पाया गया है.
पानी का सहारा और घना जंगल
जिस स्थान पर आग लगने की बात कही जा रही है. उसके आसपास चारों तरफ पानी की बड़ी झील है. इस कारण आसपास के एरिया को करके मूवमेंट के साथ देखा जाता है. सबसे खास बात यह है कि यहां पर घना जंगल है. इस पूरे एरिया में कहीं-कहीं पर ग्रामीणों की ओर से खेती भी की जाती है. इस पूरे क्षेत्र को सिंहपुरा, अंकलेश्वर, भंडारिया हनुमान जी और कागदी क्षेत्र के नाम से जाना जाता है.
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यहां की झील से पूरे शहर को मिलता है पीने का पानी
इस क्षेत्र में कागदी पिकअप नाम से बहुत बड़ी झील है. इसी झील के पानी से पूरे शहर की प्यास बुझती है, क्योंकि यहीं पर पास में वाटर प्लांट भी है, जिसके जरिए बांसवाड़ा शहर को पानी की आपूर्ति होती है. आग के कारण सागवान चुरैल तेंदू व जलाऊ लकड़ी को अत्यधिक नुकसान हुआ है.
आग लगती नहीं लगा देते हैं ग्रामीण
यूं तो जंगल में आग लगना एक सामान्य सी बात होती है, पर बांसवाड़ा के ज्यादातर जंगल में आग लगती नहीं है, जबकि लगाई जाती है. पहला तो जंगली जानवरों से बचने के लिए लोग आग लगा देते हैं. दूसरा शरारती तत्व भी कई बार आग लगा कर भाग जाते हैं. तीसरा यहां पर कुछ धार्मिक मान्यताओं के चलते भी आग लगा दी जाती है. फिलहाल वन विभाग मामले की जांच कर रहा है और आग पर काबू पाया जा चुका है.