ETV Bharat / state

स्पेशलः आधा मानसून बीता लेकिन माही बांध का लेवल जस का तस... - बांसवाड़ा का माही बांध

बांसवाड़ा में मानसून को लेकर हालात खराब होते दिख रहे हैं. आलम यह है कि प्रदेश का दूसरा सबसे बड़ा माही बांध का लेवल एक फुट भी नहीं बढ़ा और बांध रीता का रीता नजर आ रहा है. गत वर्ष के आंकड़े बताते हैं कि अब तक यह बांध भराव क्षमता का 65 फीसदी हिस्सा भर चुका था, जबकि इस मानसून सीजन में अब तक 54 फीसदी हिस्सा खाली पड़ा है. देखिये ये रिपोर्ट...

banswara news, etv bharat hindi news
माही बांध का लेवल जस का तस
author img

By

Published : Aug 14, 2020, 10:33 PM IST

बांसवाड़ा. प्रदेश में चेरापूंजी के नाम से पहचाने जाने वाले बांसवाड़ा में मानसून को लेकर हालात खराब होते दिख रहे हैं. अब तक नदी-नाले उफान पर नजर आते थे, लेकिन मानसून सीजन के 2 महीने बीतने के बावजूद बावड़ी से लेकर नदी-नाले सूखे नजर आ रहे हैं. स्थिति यह है कि आधा मानसून बीत चुका है, लेकिन बारिश के नाम पर अब तक बात बूंदाबूांदी से आगे नहीं बढ़ी.

माही बांध का लेवल जस का तस

हालांकि, जिले में 347.64 mm बारिश रिकॉर्ड दर्ज की जा चुकी है, लेकिन खंड वर्षा के चलते जमीन पर पानी नहीं दिखाई दे रहा है. हालत यह है कि प्रदेश का दूसरा सबसे बड़ा माही बांध का लेवल एक फुट नहीं बढ़ा और बांध रीता का रीता नजर आ रहा है. गत वर्ष के आंकड़े बताते हैं कि अब तक यह बांध भराव क्षमता का 65 फीसदी हिस्सा भर चुका था, जबकि इस मानसून सीजन में अब तक 54 फीसदी हिस्सा खाली पड़ा है. छुटपुट बारिश से खरीफ फसलों को जीवनदान मिल रहा है. लेकिन पर्याप्त पानी के अभाव में रोग अपना सिर उठा रहे हैं. इसके चलते पैदावार प्रभावित होने की आशंका है. वहीं, किसानों में खरीद के बाद रबी की फसलों को लेकर भी चिंता साफ देखी जा सकती है.

बाढ़ नियंत्रण कक्ष के आंकड़े बताते हैं कि पिछले 10 साल में बारिश के लिहाज से यह मानसून सबसे बदतर माना जा सकता है. 1 जून से 13 अगस्त तक पिछले 10 वर्ष में 593.98 mm अर्थात 23.76 इंच बारिश हो रही है. जबकि इस साल इसी अवधि में आंकड़ा 347.64 mm अर्थात 13.91 इंच बारिश रिकॉर्ड दर्ज की गई है. सबसे बड़ी बात यह है कि इस बार खंड बारिश के चलते मानसून जैसा कोई एहसास नहीं हो रहा है. माही बांध के आंकड़ों के अनुसार 281.05 mm की कुल भराव क्षमता के मुकाबले अब तक पानी का लेवल 271.10 मीटर पर अटका है. सिंचाई विभाग के अनुसार पिछले वर्ष इसी अवधि तक बांध भराव क्षमता के मुकाबले 65 फीसदी तक बढ़ चुका था. जबकि इस बार अब तक 46 फीसदी पानी ही भर पाया.

पढ़ेंः चाकसू में हुई तेज बारिश का साइड इफेक्ट, रलावतावाला बांध में रिसाव शुरू

बारिश की इस स्थिति को लेकर किसानों के माथे पर चिंता स्पष्ट देखी जा सकती है. भारतीय किसान संघ के उदयपुर संभाग अध्यक्ष रणछोड़ पाटीदार के अनुसार ऐसा पहली बार देखने को मिल रहा है कि मानसून सीजन के दूसरे महीने निकलने के बावजूद अब तक आधा फुट जमीन भी गीली नहीं हो पाई. खरीफ की फसलों में अभी फूल और दाना बन रहा है. इस स्टेज में फसल को पानी की जरूरत रहती है और पानी नहीं मिलने पर दाना कमजोर बनने की आशंका बनी रहती है. किसान वेलजी पाटीदार का कहना है कि वर्षों से हम देखते आ रहे हैं कि जुलाई-अगस्त तक माही बांध और स्लो हो जाता है, लेकिन इस बार 10 सेंटीमीटर पानी में नहीं आया. पानी के अभाव में फसलों में रोग भी बढ़ गए हैं.

banswara news, etv bharat hindi news
बांसवाड़ा के माही बांध का दृश्य

पढ़ेंः ईसरदा बांध का निर्माण कार्य का सांसद जौनापुरिया ने किया निरीक्षण

बारिश की यही स्थिति रही तो खरीफ के साथ-साथ रबी की फसल लेना भी मुश्किल हो जाएगा. रणछोड़ पटेल के अनुसार पहली बार देखने को मिल रहा है कि अगस्त में भी वह का लेवल 1 इंच भी नहीं बढ़ा. ऐसी स्थिति में फसलों को सिंचाई के जरिए बचाना भी मुश्किल है. सिंचाई विभाग के अधीक्षण अभियंता प्रहलाद राय खोईवाल ने भी मानसून की मंथर गति पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि पिछले साल बांध अपनी भराव क्षमता के मुकाबले 65 फीसदी तक भर चुका था. लेकिन इस साल अब तक 46 फीसदी भी नहीं भर पाया है. बांध का केचमेंट एरिया मध्य प्रदेश का धार जिला माना जाता है. फिलहाल वहां पर भी बारिश नहीं हो रही है. प्रतापगढ़ और धार जिले में होने वाली बारिश का पानी माही बांध पहुंचता है. उम्मीद है कि मानसून अब गति पकड़ेगा और बांध का लेवल बढ़ेगा.

बांसवाड़ा. प्रदेश में चेरापूंजी के नाम से पहचाने जाने वाले बांसवाड़ा में मानसून को लेकर हालात खराब होते दिख रहे हैं. अब तक नदी-नाले उफान पर नजर आते थे, लेकिन मानसून सीजन के 2 महीने बीतने के बावजूद बावड़ी से लेकर नदी-नाले सूखे नजर आ रहे हैं. स्थिति यह है कि आधा मानसून बीत चुका है, लेकिन बारिश के नाम पर अब तक बात बूंदाबूांदी से आगे नहीं बढ़ी.

माही बांध का लेवल जस का तस

हालांकि, जिले में 347.64 mm बारिश रिकॉर्ड दर्ज की जा चुकी है, लेकिन खंड वर्षा के चलते जमीन पर पानी नहीं दिखाई दे रहा है. हालत यह है कि प्रदेश का दूसरा सबसे बड़ा माही बांध का लेवल एक फुट नहीं बढ़ा और बांध रीता का रीता नजर आ रहा है. गत वर्ष के आंकड़े बताते हैं कि अब तक यह बांध भराव क्षमता का 65 फीसदी हिस्सा भर चुका था, जबकि इस मानसून सीजन में अब तक 54 फीसदी हिस्सा खाली पड़ा है. छुटपुट बारिश से खरीफ फसलों को जीवनदान मिल रहा है. लेकिन पर्याप्त पानी के अभाव में रोग अपना सिर उठा रहे हैं. इसके चलते पैदावार प्रभावित होने की आशंका है. वहीं, किसानों में खरीद के बाद रबी की फसलों को लेकर भी चिंता साफ देखी जा सकती है.

बाढ़ नियंत्रण कक्ष के आंकड़े बताते हैं कि पिछले 10 साल में बारिश के लिहाज से यह मानसून सबसे बदतर माना जा सकता है. 1 जून से 13 अगस्त तक पिछले 10 वर्ष में 593.98 mm अर्थात 23.76 इंच बारिश हो रही है. जबकि इस साल इसी अवधि में आंकड़ा 347.64 mm अर्थात 13.91 इंच बारिश रिकॉर्ड दर्ज की गई है. सबसे बड़ी बात यह है कि इस बार खंड बारिश के चलते मानसून जैसा कोई एहसास नहीं हो रहा है. माही बांध के आंकड़ों के अनुसार 281.05 mm की कुल भराव क्षमता के मुकाबले अब तक पानी का लेवल 271.10 मीटर पर अटका है. सिंचाई विभाग के अनुसार पिछले वर्ष इसी अवधि तक बांध भराव क्षमता के मुकाबले 65 फीसदी तक बढ़ चुका था. जबकि इस बार अब तक 46 फीसदी पानी ही भर पाया.

पढ़ेंः चाकसू में हुई तेज बारिश का साइड इफेक्ट, रलावतावाला बांध में रिसाव शुरू

बारिश की इस स्थिति को लेकर किसानों के माथे पर चिंता स्पष्ट देखी जा सकती है. भारतीय किसान संघ के उदयपुर संभाग अध्यक्ष रणछोड़ पाटीदार के अनुसार ऐसा पहली बार देखने को मिल रहा है कि मानसून सीजन के दूसरे महीने निकलने के बावजूद अब तक आधा फुट जमीन भी गीली नहीं हो पाई. खरीफ की फसलों में अभी फूल और दाना बन रहा है. इस स्टेज में फसल को पानी की जरूरत रहती है और पानी नहीं मिलने पर दाना कमजोर बनने की आशंका बनी रहती है. किसान वेलजी पाटीदार का कहना है कि वर्षों से हम देखते आ रहे हैं कि जुलाई-अगस्त तक माही बांध और स्लो हो जाता है, लेकिन इस बार 10 सेंटीमीटर पानी में नहीं आया. पानी के अभाव में फसलों में रोग भी बढ़ गए हैं.

banswara news, etv bharat hindi news
बांसवाड़ा के माही बांध का दृश्य

पढ़ेंः ईसरदा बांध का निर्माण कार्य का सांसद जौनापुरिया ने किया निरीक्षण

बारिश की यही स्थिति रही तो खरीफ के साथ-साथ रबी की फसल लेना भी मुश्किल हो जाएगा. रणछोड़ पटेल के अनुसार पहली बार देखने को मिल रहा है कि अगस्त में भी वह का लेवल 1 इंच भी नहीं बढ़ा. ऐसी स्थिति में फसलों को सिंचाई के जरिए बचाना भी मुश्किल है. सिंचाई विभाग के अधीक्षण अभियंता प्रहलाद राय खोईवाल ने भी मानसून की मंथर गति पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि पिछले साल बांध अपनी भराव क्षमता के मुकाबले 65 फीसदी तक भर चुका था. लेकिन इस साल अब तक 46 फीसदी भी नहीं भर पाया है. बांध का केचमेंट एरिया मध्य प्रदेश का धार जिला माना जाता है. फिलहाल वहां पर भी बारिश नहीं हो रही है. प्रतापगढ़ और धार जिले में होने वाली बारिश का पानी माही बांध पहुंचता है. उम्मीद है कि मानसून अब गति पकड़ेगा और बांध का लेवल बढ़ेगा.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2025 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.