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सिंचाई विभाग की दुकानों को किराएदारों ने दिया किराए पर, विभाग आया हरकत में - सिंचाई विभाग की दुकान

माही बांध परियोजना के अंतर्गत उदयपुर रोड पर सिंचाई विभाग के माही कंपलेक्स में किराए पर दी गई दुकानों को फिर से किराए पर दी जा रही है. इस प्रकार के मामले सामने आने के बाद सिंचाई विभाग हरकत में आ गया और दुकानों को खाली करने के नोटिस दिए गए.

Banswara Irrigation Department,  Mahi Dam Project
सिंचाई विभाग की दुकानों को किराएदारों ने दिया किराए पर
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Published : Sep 12, 2020, 9:07 PM IST

बांसवाड़ा. माही बांध परियोजना के अंतर्गत उदयपुर रोड पर सिंचाई विभाग के माही कंपलेक्स में किराए पर दी गई दुकानों को फिर से किराए पर दी जा रही है. किराएदार ना केवल ऊंची राशि वसूल रहे हैं बल्कि धरोहर राशि तक लेने से भी नहीं चूक रहे हैं. इस प्रकार के मामले सामने आने के बाद सिंचाई विभाग हरकत में आ गया और दुकानों को खाली करने के नोटिस दे दिए गए.

नोटिस का कोई जवाब नहीं पाकर विभाग शनिवार को अपने स्तर पर दुकानें खाली करवाने में जुट गया. हालांकि कर्मचारियों को विरोध का सामना करना पड़ा, लेकिन वे लोग पीछे नहीं हटे और दो दुकानों से सामान बाहर करवा दिया. इस कार्रवाई को देखते हुए अन्य दुकानदारों में खलबली मची है.

अधिकारियों का कहना था कि कॉम्प्लेक्स में सहायक अभियंता कार्यालय खोला जाना है, लेकिन कुछ दुकानदार अपनी हरकतों से बाज नहीं आ रहे हैं. हमने अंतिम नोटिस जारी कर दिए हैं और जरूरत पड़ने पर पुलिस की मदद से दुकानें खाली करवाई जाएगी. विभाग की ओर से दशकों पहले माही कॉम्प्लेक्स का निर्माण किया गया था और धीरे-धीरे मार्केट अस्तित्व में आने के बाद यहां वीरानी छा गई तो करीब एक दर्जन दुकानों को किराए पर दे दिया गया.

पढ़ें- राजा मानसिंह हत्याकांड के आरोपी पूर्व सीओ कान सिंह भाटी ने इलाज के दौरान तोड़ा दम

विभाग के तत्कालीन अधिकारी तो अपने परिवार के नाम से 3 दुकानें किराए पर आवंटित करने से भी नहीं चूके. वहीं 2 दुकानें क्रय-विक्रय सहकारी समिति और एक दुकान पोस्ट ऑफिस के नाम से किराए पर दी गई. क्रय-विक्रय और पोस्ट ऑफिस की दुकानें लंबे समय से बंद चल रही है, वहीं अन्य दुकानदार दूसरे लोगों को ऊंची किराया राशि पर दुकाने किराए पर देने से भी बाज नहीं आए.

वहीं, स्थिति यह है कि कुछ दुकानदारों ने 1.50-1.50 लाख रुपए की धरोहर राशि और 7-7 हजार रुपए किराए पर अन्य लोगों को दुकानें किराए पर दे दी. जबकि विभाग को 1 से लेकर डेढ़ साल में केवल 4 हजार रुपए का भुगतान किया जा रहा है. यहां तक कि फिजियोथेरेपिस्ट प्रति दुकान 3000 रुपए का भुगतान कर रहा है, जबकि विभाग के एसेसमेंट के अनुसार उसकी 3 दुकानों का प्रतिमाह किराया ही 52 हजार रुपए पड़ रहा है.

अधिशासी अभियंता एचएस कुमावत के अनुसार कॉम्प्लेक्स में सहायक अभियंता का ऑफिस खोला जाना है. इसके लिए दुकानदारों को अंतिम नोटिस दे दिया गया है, लेकिन कुछ दुकानदार खाली नहीं कर रहे हैं. ऐसे में हम ने शनिवार को क्रय-विक्रय की दुकानों को खाली करवा दिया और अवैध निर्माण को भी हटवा दिया. नोटिस अवधि के बाद अन्य दुकानदारों के खिलाफ भी कार्रवाई की जाएगी.

बांसवाड़ा. माही बांध परियोजना के अंतर्गत उदयपुर रोड पर सिंचाई विभाग के माही कंपलेक्स में किराए पर दी गई दुकानों को फिर से किराए पर दी जा रही है. किराएदार ना केवल ऊंची राशि वसूल रहे हैं बल्कि धरोहर राशि तक लेने से भी नहीं चूक रहे हैं. इस प्रकार के मामले सामने आने के बाद सिंचाई विभाग हरकत में आ गया और दुकानों को खाली करने के नोटिस दे दिए गए.

नोटिस का कोई जवाब नहीं पाकर विभाग शनिवार को अपने स्तर पर दुकानें खाली करवाने में जुट गया. हालांकि कर्मचारियों को विरोध का सामना करना पड़ा, लेकिन वे लोग पीछे नहीं हटे और दो दुकानों से सामान बाहर करवा दिया. इस कार्रवाई को देखते हुए अन्य दुकानदारों में खलबली मची है.

अधिकारियों का कहना था कि कॉम्प्लेक्स में सहायक अभियंता कार्यालय खोला जाना है, लेकिन कुछ दुकानदार अपनी हरकतों से बाज नहीं आ रहे हैं. हमने अंतिम नोटिस जारी कर दिए हैं और जरूरत पड़ने पर पुलिस की मदद से दुकानें खाली करवाई जाएगी. विभाग की ओर से दशकों पहले माही कॉम्प्लेक्स का निर्माण किया गया था और धीरे-धीरे मार्केट अस्तित्व में आने के बाद यहां वीरानी छा गई तो करीब एक दर्जन दुकानों को किराए पर दे दिया गया.

पढ़ें- राजा मानसिंह हत्याकांड के आरोपी पूर्व सीओ कान सिंह भाटी ने इलाज के दौरान तोड़ा दम

विभाग के तत्कालीन अधिकारी तो अपने परिवार के नाम से 3 दुकानें किराए पर आवंटित करने से भी नहीं चूके. वहीं 2 दुकानें क्रय-विक्रय सहकारी समिति और एक दुकान पोस्ट ऑफिस के नाम से किराए पर दी गई. क्रय-विक्रय और पोस्ट ऑफिस की दुकानें लंबे समय से बंद चल रही है, वहीं अन्य दुकानदार दूसरे लोगों को ऊंची किराया राशि पर दुकाने किराए पर देने से भी बाज नहीं आए.

वहीं, स्थिति यह है कि कुछ दुकानदारों ने 1.50-1.50 लाख रुपए की धरोहर राशि और 7-7 हजार रुपए किराए पर अन्य लोगों को दुकानें किराए पर दे दी. जबकि विभाग को 1 से लेकर डेढ़ साल में केवल 4 हजार रुपए का भुगतान किया जा रहा है. यहां तक कि फिजियोथेरेपिस्ट प्रति दुकान 3000 रुपए का भुगतान कर रहा है, जबकि विभाग के एसेसमेंट के अनुसार उसकी 3 दुकानों का प्रतिमाह किराया ही 52 हजार रुपए पड़ रहा है.

अधिशासी अभियंता एचएस कुमावत के अनुसार कॉम्प्लेक्स में सहायक अभियंता का ऑफिस खोला जाना है. इसके लिए दुकानदारों को अंतिम नोटिस दे दिया गया है, लेकिन कुछ दुकानदार खाली नहीं कर रहे हैं. ऐसे में हम ने शनिवार को क्रय-विक्रय की दुकानों को खाली करवा दिया और अवैध निर्माण को भी हटवा दिया. नोटिस अवधि के बाद अन्य दुकानदारों के खिलाफ भी कार्रवाई की जाएगी.

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