बांसवाड़ा. विश्व हिंदू परिषद के अंतरराष्ट्रीय महामंत्री मिलिंद परांडे तीन के बांसवाड़ा दौरे पर हैं. ईटीवी भारत ने उनसे बातचीत कर जाना कि आखिर राम मंदिर निर्माण को लेकर परिषद का क्या सपना है.?
अयोध्या में सुप्रीम कोर्ट के निर्णय के बाद ट्रस्ट के गठन और मंदिर निर्माण में परिषद की भूमिका के सवाल पर परांडे ने कहा कि विश्व हिंदू परिषद भव्य मंदिर निर्माण के लिए प्रतिबंध है. केंद्र सरकार इसे लेकर जो भी कार्रवाई करेगी, परिषद पूरा सहयोग करेगा.
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केंद्र सरकार में राम जन्मभूमि आंदोलन और मंदिर निर्माण से जुड़े कई लोग हैं. सरकार ट्रस्ट गठन का काम अपने स्तर पर करने के लिए स्वतंत्र है. हम यह चाहते हैं कि मंदिर निर्माण में जो भी छोटी-बड़ी रुकावटें आएगी, उन्हें सरकार जल्द से जल्द हटाने का काम करेगी.
परांडे ने कहा, हमारा मानना है कि मंदिर निर्माण का मामला आस्था से जुड़ा हुआ है. ऐसे में मंदिर निर्माण संबंधी जो भी व्यवस्थाएं हो, उसमें सरकारी और राजनीतिक घुसपैठ न हो. निर्माण का कार्य सरकार के स्थान पर समाज के लोगों के जरिए हो. समाज से धनराशि इकट्ठा कर मंदिर का निर्माण कार्य करवाया जाना चाहिए.
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परिषद की ये भी मांग है कि पुराने प्रारूप के अनुसार ही मंदिर का निर्माण हो, क्योंकि यही प्रारूप आंदोलन के दौरान देश के हर गांव गली पहुंचा था. सबसे बड़ा पहलू ये है कि प्रारूप के अनुरूप सालों से पत्थरों की गढ़ाई का काम चल रहा है और 60 प्रतिशत पत्थर गढ़े जा चुके हैं.
CAA के विरोध में मुस्लिमों को दलितों के एक वर्ग के समर्थन पर परांडे ने अफसोस जताते हुए कहा, इस कानून को समझने की जरूरत है. हकीकत में यह कानून पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश में धार्मिक रूप से प्रताड़ित लोगों के लिए लाया गया है. इन देशों में प्रताड़ित होने वाले लोगों में अधिकांश अनुसूचित जाति और जनजाति से संबंधित है. ये कानून एससी और एसटी के प्रताड़ित लोगों के कल्याण के लिए लाया गया है, जिसे समझने की जरूरत है.
उन्होंने कहा कि, इस कानून की महत्ता को बताने के लिए अब संत समाज देश के गांव-गांव में भ्रमण करेगा और CAA की क्या अच्छाइयां हैं और क्या हकीकत है. इस बारे में लोगों को जागरूक करेगा.