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बांसवाड़ा में जैन संतों का मिलन, आचार्य पुलक सागर के मुखारविंद से बहेगी ज्ञान गंगा

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Published : Mar 1, 2020, 3:00 PM IST

बांसवाड़ा में जैन आचार्य पुलक सागर और मुनि श्रुतेश के बरसों बाद एक बार फिर मिलन हुआ, जिसमें हजारों की संख्या में लोग मौजूद रहे. शहर में 2 मार्च से 8 मार्च तक ज्ञान गंगा महोत्सव का आयोजन होगा

Gyan Ganga Festival in banswara
बांसवाड़ा में जैन संतों का मिलन

बांसवाड़ा. धर्म नगरी के नाम से जाने जाने वाले बांसवाड़ा शहर ने फिर अपनी इस पहचान को चरितार्थ किया है. हजारों लोगों की मौजूदगी में जैन आचार्य पुलक सागर और मुनि श्रुतेश के बरसों बाद हुए मिलन को देखकर लोगों की आंखें भर आई. दोनों ही संतो को पुष्प वर्षा के बीच गाजे-बाजे के साथ शोभायात्रा के रूप में कुशलबाग मैदान लाया गया.

बांसवाड़ा में जैन संतों का मिलन

करीब 10 वर्ष बाद आचार्य पुलक सागर का बांसवाड़ा मंगल प्रवेश हुआ, जिसको लेकर जैन ही नहीं अन्य संप्रदाय के लोगों में भी विशेष उत्साह देखा गया. निर्धारित समय से पहले ही बड़ी संख्या में लोग पोस्ट ऑफिस तिराहा पहुंच गए. वहीं पुष्प वर्षा के बीच संत मिलन के दृश्य को देखकर वहां मौजूद लोग अपने आंसू नहीं रोक पाए.

वहीं संत मिलन के बाद संतो का जुलूस निकाला गया, जिसमें आगे महिलाएं मंगल कलश लेकर चल रही थी और उनके पीछे जैन समाज के युवा सज धज कर चल रहे थे. रास्ते में जगह-जगह स्वागत भी बनाए गए थे, जहां विभिन्न सामाजिक संगठनों की ओर से मुनिवार का पुष्प वर्षा से स्वागत किया गया.

यह भी पढ़ें- बांसवाड़ा: लापरवाही पर चिकित्सा अधिकारियों को फटकार, 15 दिन का अल्टीमेटम

कुशल बाग मैदान में आचार्य पुलक सागर के मुखारविंद से 8 मार्च तक ज्ञान गंगा महोत्सव के अंतर्गत प्रवचन श्रृंखला शुरू होगी. पहले दिन स्वागत सत्कार के बाद मुनि ने महोत्सव की शुरुआत करते हुए बांसवाड़ा से अपने जुड़ाव को उल्लेखित किया. आचार्य ने बांसवाड़ा को वंश वाड़ा बताते हुए कहा कि इस शहर से मेरा सीधा जुड़ाव है क्योंकि यहीं से मेरा वंश आगे निकला है.

यह भी पढ़ें- बांसवाड़ा : 2 दिवसीय उद्यम समागम का समापन, विशेषज्ञों ने दिए सुझाव

उन्होंने बांसवाड़ा को अपना मायका बताते हुए कहा कि यहां के लोग उम्मीद से ओतप्रोत है और जहां उम्मीद कायम होती है, वहां शांति-समृद्धि का दीया कभी भी नहीं बुझता. महोत्सव के अंतर्गत सोमवार सुबह 8 बजकर 30 मिनट पर कार्यक्रम शुरू होकर 8 मार्च तक प्रतिदिन आचार्य के मुखारविंद से ज्ञान गंगा बहेगी. मुनि सेवा संघ के महामंत्री महावीर बोरा ने बताया कि आचार्य के मंगल प्रवेश के साथ ही ज्ञान गंगा महोत्सव शुरू हो गया है और 8 मार्च तक प्रतिदिन राष्ट्रसंत पुलक सागर के प्रवचन होंगे.

बांसवाड़ा. धर्म नगरी के नाम से जाने जाने वाले बांसवाड़ा शहर ने फिर अपनी इस पहचान को चरितार्थ किया है. हजारों लोगों की मौजूदगी में जैन आचार्य पुलक सागर और मुनि श्रुतेश के बरसों बाद हुए मिलन को देखकर लोगों की आंखें भर आई. दोनों ही संतो को पुष्प वर्षा के बीच गाजे-बाजे के साथ शोभायात्रा के रूप में कुशलबाग मैदान लाया गया.

बांसवाड़ा में जैन संतों का मिलन

करीब 10 वर्ष बाद आचार्य पुलक सागर का बांसवाड़ा मंगल प्रवेश हुआ, जिसको लेकर जैन ही नहीं अन्य संप्रदाय के लोगों में भी विशेष उत्साह देखा गया. निर्धारित समय से पहले ही बड़ी संख्या में लोग पोस्ट ऑफिस तिराहा पहुंच गए. वहीं पुष्प वर्षा के बीच संत मिलन के दृश्य को देखकर वहां मौजूद लोग अपने आंसू नहीं रोक पाए.

वहीं संत मिलन के बाद संतो का जुलूस निकाला गया, जिसमें आगे महिलाएं मंगल कलश लेकर चल रही थी और उनके पीछे जैन समाज के युवा सज धज कर चल रहे थे. रास्ते में जगह-जगह स्वागत भी बनाए गए थे, जहां विभिन्न सामाजिक संगठनों की ओर से मुनिवार का पुष्प वर्षा से स्वागत किया गया.

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कुशल बाग मैदान में आचार्य पुलक सागर के मुखारविंद से 8 मार्च तक ज्ञान गंगा महोत्सव के अंतर्गत प्रवचन श्रृंखला शुरू होगी. पहले दिन स्वागत सत्कार के बाद मुनि ने महोत्सव की शुरुआत करते हुए बांसवाड़ा से अपने जुड़ाव को उल्लेखित किया. आचार्य ने बांसवाड़ा को वंश वाड़ा बताते हुए कहा कि इस शहर से मेरा सीधा जुड़ाव है क्योंकि यहीं से मेरा वंश आगे निकला है.

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उन्होंने बांसवाड़ा को अपना मायका बताते हुए कहा कि यहां के लोग उम्मीद से ओतप्रोत है और जहां उम्मीद कायम होती है, वहां शांति-समृद्धि का दीया कभी भी नहीं बुझता. महोत्सव के अंतर्गत सोमवार सुबह 8 बजकर 30 मिनट पर कार्यक्रम शुरू होकर 8 मार्च तक प्रतिदिन आचार्य के मुखारविंद से ज्ञान गंगा बहेगी. मुनि सेवा संघ के महामंत्री महावीर बोरा ने बताया कि आचार्य के मंगल प्रवेश के साथ ही ज्ञान गंगा महोत्सव शुरू हो गया है और 8 मार्च तक प्रतिदिन राष्ट्रसंत पुलक सागर के प्रवचन होंगे.

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