बांसवाड़ा. वागड़ अंचल को मिले गोविंद गुरु जनजाति विश्वविद्यालय की इमारत का निर्माण कार्य प्रगति पर है, लिहाजा पूरी इमारत बनकर सुचारू रूप से अध्यापन का काम शुरू होने में दो से तीन साल का समय लग सकता है. ऐसे में प्रयोग आधारित संकाय के छात्र छात्राओं को लैब और संकाय शिक्षकों की कमी का नुकसान नहीं उठाना पड़े इसके लिए मोहनलाल सुखाड़िया विश्वविद्यालय उदयपुर ने मदद के हाथ बढ़ाए हैं. इस संबंध में दोनों ही विश्वविद्यालयों के बीच करार किया गया है.
सुखाड़िया विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर अमेरिका सिंह और जीजीटीयू के कुलपति प्रोफेसर आईवी त्रिवेदी ने समझौता पत्र पर हस्ताक्षर करते हुए इसे अंतिम रूप दिया. करार के तहत गोविंद गुरु जनजाति विश्वविद्यालय के विद्यार्थी सुखाड़िया विश्वविद्यालय की लैब लाइब्रेरी का उपयोग कर सकेंगे. इसके साथ साथ सुखाड़िया यूनिवर्सिटी के व्याख्याता जनजाति विश्वविद्यालय में भी अपनी सेवाएं दे सकेंगे.
जनजाति विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर त्रिवेदी ने बताया कि भूगोल के साथ-साथ विज्ञान संकाय प्रयोग आधारित विषय हैं. इन विषयों के लिए लैब का होना आवश्यक है जबकि हमारे यहां भवन निर्माण के साथ-साथ लैब का कार्य भी चल रहा है लेकिन जब तक इनकी शुरुआत नहीं हो जाती तब तक इन विषयों के विद्यार्थी सुखाड़िया विश्वविद्यालय की लैब का इस्तेमाल कर सकेंगे.
स्थानीय विश्वविद्यालय में कई प्रकार के संकाय चल रहे हैं. स्थापना काल में चल रहे विश्वविद्यालय में फिलहाल व्याख्याताओं की भी कमी है. ऐसे में सुखाड़िया विश्वविद्यालय के व्याख्याता यहां अपनी सेवाएं दे सकेंगे. प्रोफेसर त्रिवेदी के अनुसार आर्ट्स कॉमर्स साइंस की क्लास और डिप्लोमा कोर्स के अलावा जल्द ही फार्मेसी कोर्स बी शुरू किया जा रहा है. सुखाड़िया विश्वविद्यालय इसके लिए भी निशुल्क सहायता उपलब्ध कराएगाl शोधार्थी छात्र-छात्राओं को भी सुखड़िया विश्वविद्यालय हर संभव मदद उपलब्ध कराएगा.