बांसवाड़ा. भौगोलिक दृष्टिकोण से बांसवाड़ा और डूंगरपुर काफी अहम माने जाते हैं. कर्क रेखा बांसवाड़ा शहर के निकट से निकल रही है. डूंगरपुर के कुछ इलाकों से होते हुए यह आगे बढ़ती है. इस दृष्टि से दोनों ही जिलों के विकास में कर्क रेखा काफी कुछ बदलाव ला सकती है.
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पानी, वन और नेचुरल रिसोर्स से भरपूर:
यह रेखा एक छोर से दूसरे छोर पर साढ़े 23 डिग्री उत्तरी देशांतर पर जिस किसी स्थान से गुजरती है वहां पर पानी एक और प्राकृतिक सोर्स भरपूर होते हैं. उतरी देशांतर पर ठंडक और दक्षिणी देशांतर पर ज्यादा गर्मी रहती है. बांसवाड़ा डूंगरपुर से पुत्री देशांतर निकल रही है इस कारण यहां पानी की भरपूर मात्रा होने के साथ ही घने वन भी है और ऐसे इलाकों में लाल और काली दो प्रकार की मिट्टी पाई जाती है जो काफी उपजाऊ मानी जाती है. इसके अलावा प्राकृतिक ऊर्जा उत्पादन की काफी संभावना रहती है. इनमें सौर और पवन ऊर्जा के अलावा जलकुंभी पर्याप्त मात्रा में पाई जाती है जिससे पावर प्रोडक्शन किया जा सकता है.
पर्यटन क्षेत्र में संभावनाएं:
पानी के साथ घने जंगल होने से ऐसे इलाकों में पर्यटन क्षेत्र की अपार संभावना रहती है. बांसवाड़ा जिले में मार्क किए गए 8 में से आधा दर्जन स्थान पर्यटन क्षेत्र के विकास के लिए उपयुक्त हो सकते हैं. इन दोनों ही जिलों में कर्क रेखा से होने वाले फायदे को लेकर बांसवाड़ा गवर्नमेंट इंजीनियरिंग कॉलेज विशेष रिपोर्ट तैयार करेगा. कॉलेज प्रशासन द्वारा दोनों ही जिलों में 8 पॉइंटों की मार्किंग की गई है और शीघ्र ही सोशल इकोनॉमिक्स डेवलपमेंट पर रिसर्च शुरू किए जाने वाला है. कॉलेज के प्राचार्य डॉ. शिव लाल के अनुसार हम इस प्रपोजल को फाइनेंस चेतक पे जाएंगे. हमारे पास इसके लिए जरूरी इंस्ट्रूमेंट पहुंच गए हैं. प्रपोजल को सरकार के समक्ष पेश कर दोनों ही जिलों के विकास के लिए क्या क्या पॉइंट मददगार हो सकते हैं.