बांसवाड़ा. भाजपा ने प्रदेश की 16 लोकसभा सीटों पर अपने प्रत्याशियों की घोषणा कर दी है लेकिन जिन नो सीटों पर उम्मीदवारों के नाम विवाद के चलते रोके गए हैं उनमें बांसवाड़ा भी शामिल है. वजह है यहां के बदलते समीकरण. बांसवाड़ा-डूंगरपुर लोकसभा क्षेत्र में कांग्रेस के अलावा नई पार्टी भारतीय ट्राइबल पार्टी अर्थात बीटीपी तेजी से उभरी है, इसे देखते हुए पार्टी किसी भी प्रकार का जोखिम नहीं लेना चाहती.
बीटीपी से मुकाबले के लिए पार्टी को ठोक बजाकर प्रत्याशी चयन करना है और उसी कारण पार्टी फिलहाल किसी नतीजे पर नहीं पहुंची है. हालांकि पार्टी के स्थानीय नेता किसी भी प्रकार प्रत्याशी को लेकर अपना मुंह नहीं खोल रहे हैं लेकिन अंदर खाने निवर्तमान सांसद निनामा का टिकट कटने की चर्चाएं अधिक है. इसका मुख्य कारण राष्ट्रीय नेतृत्व द्वारा हर लोकसभा सदस्य की परफॉर्मेंस की गहराई से छानबीन होना भी माना जा रहा है. जिसमें निनामा इससे 19 साबित हुए बताए जा रहे हैं.
बताया जा रहा है कि निवर्तमान सांसद परफॉर्मेंस को लेकर पार्टी की अपेक्षा पर खरे नहीं उतर पाए हैं. यदि निनामा को फिर से मैदान में उतरा जाता है तो चेहरे के खिलाफ हवा से भी मुकाबला करना होगा. पार्टी इस खतरे को किसी भी कीमत पर टालना चाहती है. सबसे बड़ा फैक्टर बीटीपी को माना जा रहा है जिससे यह सीट त्रिकोणीय बनती दिखाई दे रही है. इस पार्टी ने डूंगरपुर में चौरासी और सागवाड़ा विधानसभाएं जीती हैं. जिससे भाजपा के साथ-साथ कांग्रेस की भी नींद उड़ी हुई है.
बांसवाड़ा लोक सभा में डूंगरपुर जिला भी शामिल है. डूंगरपुर की 4 विधानसभाओं में से आसपुर को छोड़कर तीन अन्य बांसवाड़ा लोकसभा क्षेत्र में शामिल हैं. इनमें से 2 सीटें बीजेपी के पास है. वहीं बांसवाड़ा जिले में बीटीपी तेजी से पैर पसार रही है. लगभग 20 लाख मतदाताओं वाली सीट पर बीटीपी दो से ढ़ाई लाख मतदाताओं का आशीर्वाद पा सकती है. यहां तक की क्षेत्रवाद चलने पर चौंकाने वाला परिणाम भी मिल सकते हैं. निनामा बीटीपी के खतरे से मुकाबला करने में असमर्थ माने जा रहे हैं.
भाजपा इस सीट पर कोई दमदार प्रत्याशी तलाश रही है, इसी कारण निनामा को हरी झंडी नहीं दी गई है. पार्टी के अंदरूनी सूत्रों से पता चला है कि नए चेहरों में बांसवाड़ा से नगर परिषद की पूर्व अध्यक्ष कृष्णा कटारा, भाजयुमो के महामंत्री मुकेश रावत के अलावा डूंगरपुर जिले से पूर्व मंत्री और पार्टी के वरिष्ठ नेता कनक मल कटारा तथा बांका जिला प्रमुख के नामों पर गंभीरता से विचार कर रही है. कांग्रेस अपनी परंपरा का निर्वहन करते हुए डूंगरपुर के प्रत्याशी को धोखा देती है तो ऐसी स्थिति में भाजपा डूंगरपुर के दावेदारों को महत्व ले सकती है लेकिन इसकी संभावना बहुत कम आंकी जा रही हैं.
इसका कारण गत विधानसभा चुनाव में पार्टी का प्रदर्शन है. इस सीट पर पार्टी के मुख्य दावेदारों में अब मुकाबला कृष्णा कटारा और मुकेश रावत के बीच माना जा रहा है. मुकेश रावत का कार्यकर्ताओं में अच्छा दबदबा है वहीं कृष्णा कटारा भी उनके मुकाबले कमतर नहीं हैं. आर्थिक दृष्टि से कृष्णा कटारा मजबूत है वहीं रावत उनके मुकाबले कमजोर माने जा रहे हैं. पार्टी सूत्रों से पता चला है कि इसके अलावा पूर्व विधायक जीतमल खाट तथा बागीदौरा से पार्टी के प्रत्याशी रहे खेमराज गरासिया दावेदारों की दौड़ में माने जा रहे हैं.
कुल मिलाकर नई परिस्थितियों को देखते हुए भाजपा द्वारा इस सीट से नए चेहरे को मैदान में उतारा जा सकता है और उसी के तहत फिलहाल सीट पर प्रत्याशी का नाम होल्ड पर रखा गया है. हालांकि इस मामले मैं पार्टी के नेता कुछ भी बताने से कतरा रहे हैं. पार्टी के वरिष्ठ नेता और लोकसभा संयोजक ओम पालीवाल का कहना है कि पार्टी हर तरह से सोच विचार कर मजबूत प्रत्याशी को मैदान में उतरना चाहती है. इसी कारण अभी बांसवाड़ा को लेकर प्रत्याशी चयन नहीं हो पाया है.