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हरा-भरा राजस्थान : बांसवाड़ा में 5 सालों में बढ़ा वन क्षेत्र लेकिन पौधारोपण का गिरा ग्राफ

देश के किसी भी हिस्से में राजस्थान का नाम लेते ही रेगिस्तान का परिदृश्य उभरकर सामने आता है. लेकिन दक्षिण राजस्थान में स्थित बांसवाड़ा हरियाली के मामले में देश के किसी भी हिस्से से पीछे नहीं कहा जा सकता.

सिंहपुरा की पहाड़ियों ने ओढ़ी हरीतिमा की चादर
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Published : Jun 28, 2019, 9:11 AM IST

Updated : Jul 1, 2019, 2:46 PM IST

बांसवाड़ा. वन विभाग द्वारा सिंहपुरा क्षेत्र में पहाड़ियों पर नया वन क्षेत्र डेवलप किया गया है. विभाग द्वारा यहां की पहाड़ियों को हरीतिमा से आच्छादित किया गया है. वन एरियाज को सुरक्षित और उसे विस्तार देने के लिए वन विभाग अपने प्रयासों में जुटा है. विभाग द्वारा प्रतिवर्ष अपनी विभिन्न योजनाओं में सभी छह खंडों में पौधारोपण करवाता है. ईटीवी भारत द्वारा जुटाए गए आंकड़ों के अनुसार 5 साल के दौरान जिले में करीब 3500000 पौधे लगाए गए हैं. इनमें बांसवाड़ा खंड की अपेक्षा घाटोल कुशलगढ़, सज्जनगढ़ और बागीदौरा क्षेत्र में पौधारोपण पर ज्यादा फोकस देना सामने आया है.


घट रहा है पौधारोपण का ग्राफ
वर्ष 2014 में जिले में 3514 हेक्टेयर क्षेत्र में 13 लाख 55 हजार 400, 2015 में 1276 हेक्टर में 5,23,700, वर्ष 2016 में 2646 हेक्टर में 8,29,200, वर्ष 2017 में 1102 हेक्टर में 32,6000 तथा वर्ष 2018 में 805 हेक्टेयर क्षेत्र में 3,10, 960 पौधे लगाए गए. इनमें पौधारोपण के साथ बीजारोपण भी शामिल है. इस प्रकार इन 5 सालों के आंकड़ों को देखें तो जिले में पौधारोपण का ग्राफ निरंतर घट रहा है.

खाई के खाते में सुरक्षा
पौधारोपण के बाद पौधों की सुरक्षा एक प्रकार से बतौर बाउंड्री वॉल खुद ही गई खाई के जिम्मे ही नजर आती है. विभाग द्वारा अपने वन एरिया के चारों ओर खाई के जरिए पौधों को सुरक्षा प्रदान की जाती है. वन विभाग का कहना है कि इसके जरिए मवेशी वन क्षेत्र में नहीं घुस पाते जबकि ईटीवी भारत द्वारा सिंहपुरा वन क्षेत्र कि मौका रिपोर्ट में कुछ और ही हकीकत उभर कर सामने आई. सुरक्षा के लिए खोदी गई खाई महज एक फिट भी गहरी नहीं है, तो चौड़ाई मुश्किल से 3 फीट से ज्यादा नहीं कही जा सकती है. ऐसे में आसानी से मवेशी वन क्षेत्र में घुस सकते हैं. खाई के आस-पास के एरिया में बड़ी संख्या में पौधे मवेशियों के निवाले बन गए. इस कारण उनको ग्रोथ नहीं मिल पाई तो बड़ी संख्या में पौधों को काटे जाने के भी निशान मिले. हालांकि, यह नजारा खाई के आस पास ही पाया गया. वन विभाग के कर्मचारी कभी-कभार गस्त पर आते हैं, इसका फायदा आसपास के लोग उठा जाते हैं. यहां लोग हरे भरे पेड़ों को काटने से भी नहीं कतराते. हालांकि बारिश होने के बाद हरीतिमा छाने के कारण काटे गए पेड़ों की वास्तविकता सामने नहीं आ पाई.

बांसवाड़ा में 5 सालों में बढ़ा वन क्षेत्र लेकिन पोधारोपण का गिरा ग्राफ


5 साल में नया वन क्षेत्र
वन विभाग द्वारा सिंहपुरा क्षेत्र में पहाड़ियों पर नया वन क्षेत्र डेवलप किया गया है. विभाग द्वारा यहां की पहाड़ियों को हरीतिमा से आच्छादित किया गया है. पिछले 5 साल में सिंहपुरा, सिंहपुरा एच, सिंहपुरा आई, 3 सेक्टर में पचास पचास हेक्टेयर क्षेत्र में पच्चीस पच्चीस हजार पौधे लगाए गए. जिनमें से खाई के आस-पास वाले एरिया को छोड़कर अधिकांश पेड़ों के रूप में तब्दील हो चुके हैं. आज यह एरिया पूर्णतया हरा-भरा नजर आता है. इसका मुख्य कारण पास ही जल संरक्षण के क्षेत्र में किए गए कार्य भी है. उप वन संरक्षक सुगनाराम जाट के अनुसार जीवित रहने वाले पौधों का अनुपात करीब 70% से अधिक रहता है. जिनमें से कुछ सूख जाते हैं या मवेशियों की भेंट चढ जाते हैं. अगले साल होने वाले पौधारोपण में इसकी भरपाई की जाती है, और यह क्रम चलता रहता है. इसी का नतीजा है कि सिंहपुरा वन विकसित किया जा सका है.

बांसवाड़ा. वन विभाग द्वारा सिंहपुरा क्षेत्र में पहाड़ियों पर नया वन क्षेत्र डेवलप किया गया है. विभाग द्वारा यहां की पहाड़ियों को हरीतिमा से आच्छादित किया गया है. वन एरियाज को सुरक्षित और उसे विस्तार देने के लिए वन विभाग अपने प्रयासों में जुटा है. विभाग द्वारा प्रतिवर्ष अपनी विभिन्न योजनाओं में सभी छह खंडों में पौधारोपण करवाता है. ईटीवी भारत द्वारा जुटाए गए आंकड़ों के अनुसार 5 साल के दौरान जिले में करीब 3500000 पौधे लगाए गए हैं. इनमें बांसवाड़ा खंड की अपेक्षा घाटोल कुशलगढ़, सज्जनगढ़ और बागीदौरा क्षेत्र में पौधारोपण पर ज्यादा फोकस देना सामने आया है.


घट रहा है पौधारोपण का ग्राफ
वर्ष 2014 में जिले में 3514 हेक्टेयर क्षेत्र में 13 लाख 55 हजार 400, 2015 में 1276 हेक्टर में 5,23,700, वर्ष 2016 में 2646 हेक्टर में 8,29,200, वर्ष 2017 में 1102 हेक्टर में 32,6000 तथा वर्ष 2018 में 805 हेक्टेयर क्षेत्र में 3,10, 960 पौधे लगाए गए. इनमें पौधारोपण के साथ बीजारोपण भी शामिल है. इस प्रकार इन 5 सालों के आंकड़ों को देखें तो जिले में पौधारोपण का ग्राफ निरंतर घट रहा है.

खाई के खाते में सुरक्षा
पौधारोपण के बाद पौधों की सुरक्षा एक प्रकार से बतौर बाउंड्री वॉल खुद ही गई खाई के जिम्मे ही नजर आती है. विभाग द्वारा अपने वन एरिया के चारों ओर खाई के जरिए पौधों को सुरक्षा प्रदान की जाती है. वन विभाग का कहना है कि इसके जरिए मवेशी वन क्षेत्र में नहीं घुस पाते जबकि ईटीवी भारत द्वारा सिंहपुरा वन क्षेत्र कि मौका रिपोर्ट में कुछ और ही हकीकत उभर कर सामने आई. सुरक्षा के लिए खोदी गई खाई महज एक फिट भी गहरी नहीं है, तो चौड़ाई मुश्किल से 3 फीट से ज्यादा नहीं कही जा सकती है. ऐसे में आसानी से मवेशी वन क्षेत्र में घुस सकते हैं. खाई के आस-पास के एरिया में बड़ी संख्या में पौधे मवेशियों के निवाले बन गए. इस कारण उनको ग्रोथ नहीं मिल पाई तो बड़ी संख्या में पौधों को काटे जाने के भी निशान मिले. हालांकि, यह नजारा खाई के आस पास ही पाया गया. वन विभाग के कर्मचारी कभी-कभार गस्त पर आते हैं, इसका फायदा आसपास के लोग उठा जाते हैं. यहां लोग हरे भरे पेड़ों को काटने से भी नहीं कतराते. हालांकि बारिश होने के बाद हरीतिमा छाने के कारण काटे गए पेड़ों की वास्तविकता सामने नहीं आ पाई.

बांसवाड़ा में 5 सालों में बढ़ा वन क्षेत्र लेकिन पोधारोपण का गिरा ग्राफ


5 साल में नया वन क्षेत्र
वन विभाग द्वारा सिंहपुरा क्षेत्र में पहाड़ियों पर नया वन क्षेत्र डेवलप किया गया है. विभाग द्वारा यहां की पहाड़ियों को हरीतिमा से आच्छादित किया गया है. पिछले 5 साल में सिंहपुरा, सिंहपुरा एच, सिंहपुरा आई, 3 सेक्टर में पचास पचास हेक्टेयर क्षेत्र में पच्चीस पच्चीस हजार पौधे लगाए गए. जिनमें से खाई के आस-पास वाले एरिया को छोड़कर अधिकांश पेड़ों के रूप में तब्दील हो चुके हैं. आज यह एरिया पूर्णतया हरा-भरा नजर आता है. इसका मुख्य कारण पास ही जल संरक्षण के क्षेत्र में किए गए कार्य भी है. उप वन संरक्षक सुगनाराम जाट के अनुसार जीवित रहने वाले पौधों का अनुपात करीब 70% से अधिक रहता है. जिनमें से कुछ सूख जाते हैं या मवेशियों की भेंट चढ जाते हैं. अगले साल होने वाले पौधारोपण में इसकी भरपाई की जाती है, और यह क्रम चलता रहता है. इसी का नतीजा है कि सिंहपुरा वन विकसित किया जा सका है.

Intro:बांसवाड़ाl देश के किसी भी हिस्से में राजस्थान का नाम लेते ही रेगिस्तान का परिदृश्य उभरकर सामने आता हैl लेकिन दक्षिण राजस्थान में स्थित बांसवाड़ा हरीतिमा के मामले में देश के किसी भी हिस्से से पीछे नहीं कहा जा सकताl वन क्षेत्र के मामले में बांसवाड़ा को राजस्थान का कश्मीर कहा जाए तो अतिशयोक्ति नहीं होगीl


Body:वन एरियाज को सुरक्षित और उसे विस्तार देने के लिए वन विभाग अपने प्रयासों में जुटा है। विभाग द्वारा प्रतिवर्ष अपनी विभिन्न योजनाओं में सभी छह खंडों में पौधारोपण करवाता है। ईटीवी भारत द्वारा जुटाए गए आंकड़ों के अनुसार 5 साल के दौरान जिले में करीब 3500000 पौधे लगाए गए हैं। इनमें बांसवाड़ा खंड की अपेक्षा घाटोल कुशलगढ़ सज्जनगढ़ और बागीदौरा क्षेत्र में पौधारोपण पर ज्यादा फोकस देना सामने आया है।
घट रहा है पौधारोपण का ग्राफ
वर्ष 2014 में जिले में 3514 हेक्टेयर क्षेत्र में 13 लाख 55 हजार 400, 2015 में 127 6 हेक्टर में 523 700, वर्ष 2016 में 26 46 हेक्टर में 829 200, वर्ष 2017 में 1102 हेक्टर में 3 26000 तथा वर्ष 2018 में 805 हेक्टेयर क्षेत्र में 310 960 पौधे लगाए गए। इनमें पौधारोपण के साथ बीजारोपण भी शामिल है। इस प्रकार इन 5 सालों के आंकड़ों को देखें तो जिले में पौधारोपण का ग्राफ निरंतर घट रहा है।



Conclusion:खाई के खाते में सुरक्षा
पौधारोपण के बाद पौधों की सुरक्षा एक प्रकार से बतौर बाउंड्री वॉल खुद ही गई खाई के जिम्मे ही नजर आती है। विभाग द्वारा अपने वन एरिया के चारों ओर खाई के जरिए पौधों को सुरक्षा प्रदान की जाती है। वन विभाग का कहना है कि इसके जरिए मवेशी वन क्षेत्र में नहीं घुस पाते जबकि ईटीवी भारत द्वारा सिंहपुरा वन क्षेत्र कि मौका रिपोर्ट में कुछ और ही हकीकत उभर कर सामने आई। सुरक्षा के लिए खोजी गई खाई महज एक फिट भी गहरी नहीं है तो चौड़ाई मुश्किल से 3 फीट से ज्यादा नहीं कही जा सकती है। ऐसे में आसानी से मवेशी वन क्षेत्र में घुस सकते हैं। रिपोर्टर ने पाया कि खाई के आस-पास के एरिया में बड़ी संख्या में पौधे मवेशियों के निवाले बन गए इस कारण उनको ग्रोथ नहीं मिल पाई तो बड़ी संख्या में पौधों को काटे जाने के भी निशान मिले। हालांकि यह नजारा खाई के आस पास ही पाया गया। वन विभाग के कर्मचारी कभी-कभार गस्त पर आते हैं इसका फायदा आसपास के लोग उठा जाते हैं। यह लोग हरे भरे पेड़ों को काटने से भी नहीं कतराते। हालांकि बारिश होने के बाद हरीतिमा छाने के कारण काटे गए पेड़ों की वास्तविकता सामने नहीं आ पाई।
5 साल में नया वन क्षेत्र
वन विभाग द्वारा सिंहपुरा क्षेत्र में पहाड़ियों पर नया वन क्षेत्र डेवलप किया गया है। विभाग द्वारा यहां की पहाड़ियों को हरीतिमा से आच्छादित किया गया है। पिछले 5 साल में सिंहपुरा, सिंहपुरा एच सिंहपुरा आई 3 सेक्टर में पचास पचास हेक्टेयर क्षेत्र में पच्चीस पच्चीस हजार पौधे लगाए गए जिनमें से खाई के आस-पास वाले एरिया को छोड़कर अधिकांश पेड़ों के रूप में तब्दील हो चुके हैं। आज यह एरिया पूर्णतया हरा-भरा नजर आता है। इसका मुख्य कारण पास ही जल संरक्षण के क्षेत्र में किए गए कार्य भी है। उप वन संरक्षक सुगनाराम जाट के अनुसार जीवित रहने वाले पौधों का अनुपात करीब 70% से अधिक रहता है जिनमें से कुछ सूख जाते हैं या मवेशियों की भेंट चढ जाते हैं। अगले साल होने वाले पौधारोपण में इसकी भरपाई की जाती है और यह क्रम चलता रहता है। इसी का नतीजा है कि सिंहपुरा वन विकसित किया जा सका है।

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Last Updated : Jul 1, 2019, 2:46 PM IST
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