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बांसवाड़ा: किसानों की दिवाली पर आर्थिक संकट! सरस डेयरी में अटका डेढ़ करोड़ का भुगतान

सरस डेयरी में हजारों पशुपालकों का डेढ़ करोड़ का भुगतान बकाया चल रहा है. इसके लिए 40 दिन से पशुपालक डेयरी प्रबंधन के साथ जिला प्रशासन तक के चक्कर काट चुके हैं, लेकिन अब तक भुगतान नहीं किया गया. दुग्ध उत्पादक सहकारी समितियों के प्रतिनिधि आज फिर कलेक्ट्रेट पहुंचे और जिला कलेक्टर को ज्ञापन सौंपकर अपनी समस्या रखी. इस पर कलेक्टर ने शीघ्र ही भुगतान करवाए जाने का आश्वासन दिया.

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सरस डेयरी में हजारों पशुपालकों का डेढ़ करोड़ का भुगतान बकाया चल रहा है.
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Published : Nov 9, 2020, 4:41 PM IST

बांसवाड़ा. जिले के हजारों किसानों की दिवाली ( Diwali 2020 ) इस बार फीकी रह सकती है. क्योंकि सरस डेयरी ( Saras Dairy ) में हजारों पशुपालकों का डेढ़ करोड़ का भुगतान बकाया चल रहा है. इसके लिए 40 दिन से पशुपालक डेयरी प्रबंधन के साथ जिला प्रशासन तक के चक्कर काट चुके हैं, लेकिन अब तक भुगतान नहीं किया गया. दुग्ध उत्पादक सहकारी समितियों के प्रतिनिधि आज फिर कलेक्ट्रेट पहुंचे और जिला कलेक्टर को ज्ञापन सौंपकर अपनी समस्या रखी. इस पर कलेक्टर ने शीघ्र ही भुगतान करवाए जाने का आश्वासन दिया.

यह भी पढ़ें: राजस्थान में त्योहारों पर थम सकते हैं बसों के पहिए, रोडवेज यूनियन की सरकार को चेतावनी

डेढ़ करोड़ का भुगतान अटका पड़ा

पशुपालक वजे सिंह ने बताया कि कोरोना महामारी में दुग्ध उत्पादन ही किसानों की आजीविका का एकमात्र सहारा है. प्रबंधन द्वारा करीब एक करोड़ से ज्यादा का भुगतान नहीं किया जा रहा है. इससे किसानों के समक्ष आर्थिक समस्याएं पैदा हो गई है. भारतीय किसान संघ के उदयपुर संभाग अध्यक्ष व रणछोड़ पाटीदार ने बताया कि दूध की फैट की रेट भी निजी डेयरी के मुकाबले काफी कम दी जा रही है. गुजरात की डेरिया साढ़े छह रुपये प्रति फैट की दर से भुगतान कर रही है. जबकि, सरस डेयरी किसानों को एक रुपये कम का भुगतान कर रही है. उनका आरोप है कि प्रबंधक जानबूझकर भुगतान नहीं कर रहा है.

बांसवाड़ा. जिले के हजारों किसानों की दिवाली ( Diwali 2020 ) इस बार फीकी रह सकती है. क्योंकि सरस डेयरी ( Saras Dairy ) में हजारों पशुपालकों का डेढ़ करोड़ का भुगतान बकाया चल रहा है. इसके लिए 40 दिन से पशुपालक डेयरी प्रबंधन के साथ जिला प्रशासन तक के चक्कर काट चुके हैं, लेकिन अब तक भुगतान नहीं किया गया. दुग्ध उत्पादक सहकारी समितियों के प्रतिनिधि आज फिर कलेक्ट्रेट पहुंचे और जिला कलेक्टर को ज्ञापन सौंपकर अपनी समस्या रखी. इस पर कलेक्टर ने शीघ्र ही भुगतान करवाए जाने का आश्वासन दिया.

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डेढ़ करोड़ का भुगतान अटका पड़ा

पशुपालक वजे सिंह ने बताया कि कोरोना महामारी में दुग्ध उत्पादन ही किसानों की आजीविका का एकमात्र सहारा है. प्रबंधन द्वारा करीब एक करोड़ से ज्यादा का भुगतान नहीं किया जा रहा है. इससे किसानों के समक्ष आर्थिक समस्याएं पैदा हो गई है. भारतीय किसान संघ के उदयपुर संभाग अध्यक्ष व रणछोड़ पाटीदार ने बताया कि दूध की फैट की रेट भी निजी डेयरी के मुकाबले काफी कम दी जा रही है. गुजरात की डेरिया साढ़े छह रुपये प्रति फैट की दर से भुगतान कर रही है. जबकि, सरस डेयरी किसानों को एक रुपये कम का भुगतान कर रही है. उनका आरोप है कि प्रबंधक जानबूझकर भुगतान नहीं कर रहा है.

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