बांसवाड़ा. ऊंची-ऊंची पहाड़ियों से घिरे मानगढ़ धाम की प्राकृतिक छटा देखते ही बनती है. ऐसे स्थान पर विश्वविद्यालय के बच्चे जब पहुंचे तो प्राकृतिक सुंदरता देखकर आश्चर्यचकित रह गए क्योंकि अधिकांश विद्यार्थी गोविंद गुरु कि इस तपोस्थली पर कभी पहुंची नहीं पाए और केवल किताबों में ही उनके बारे में पढ़ रहे थे. गोविंद गुरु के भक्त उनके जीवन दर्शन पर आधारित भजन गाते नाचते पहुंचे जिनका अतिथियों द्वारा स्वागत किया गया. स्थानीय भाषा में भक्तों द्वारा भजनों के जरिए न केवल गोविंद गुरु के जीवन दर्शन से बच्चों को अवगत कराया बल्कि मावजी महाराज की गौरव गाथा से भी रूबरू कराया.
मानगढ़ धाम में कॉलेज छात्र-छात्राओं के लिए आयोजित किया गया अनूठा कार्यक्रम कार्यक्रम का आकर्षण पूर्व मंत्री और स्थानीय विधायक महेंद्र जीत सिंह मालवीय रहे जो खुद गोविंद गुरु और माव जी महाराज से संबंधित भजनों को न केवल गा रहे थे बल्कि भक्ति में इतने डूब गए की भक्तों के साथ खुद को थिरकने से भी नहीं रोक पाए. उन्होंने गोविंद गुरु के आजादी का आंदोलन चलाने के दौरान भुरेटिया भजन पर बच्चों का भी उन्हें खासा समर्थन मिला. यहां पर अपने संबोधन में बतौर मुख्य अतिथि मालवीय ने गोविंद गुरु के आजादी में योगदान से संबंधित तथ्यों को रखा तो विद्यार्थी ही नहीं अतिथि गण भी चकित रह गए. अपने संबोधन के दौरान उन्होंने बताया कि सरकार अत से लेकर 9 तक की स्केल के अलावा अब प्रशासनिक सेवा में भी टीएसपी रिजर्वेशन लेकर आ रही है और शीघ्र ही इसका निर्णय होने वाला है.विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर कैलाश सोडाणी भी मानगढ़ की प्राकृतिक छटा को देखकर अवाक रह गए. बतौर अध्यक्षता करते हुए उन्होंने कहा कि इस कार्यक्रम से निश्चित ही बच्चों को गोविंद गुरु के जीवन दर्शन को जानने का अवसर मिला है बल्कि नजदीक से लोक संस्कृति को देखने का मौका पाया है. जिला प्रमुख रेशम मालवीया ने विधायक द्वारा मानगढ़ धाम के विकास को लेकर कराए गए कामकाज को सबके सामने रखा. पूर्व विधायक रमेश पांड्या ने भी विचार रखे. उप वन संरक्षक सुगनाराम जाट ने विभाग द्वारा मानगढ़ धाम पर कराए जा रहे कामकाज को रखा. कार्यक्रम के दौरान गोविंद गुरु के प्रपत्र प्रताप गिरी महाराज का साफा पहनाकर अभिनंदन किया गया.
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बांसवाड़ा के अलावा प्रतापगढ़ और डूंगरपुर जिले के 122 महाविद्यालयों से पहुंचे लगभग ढाई हजार विद्यार्थियों ने इस कार्यक्रम को काफी सार्थक बताया. बच्चों ने स्मारक स्थल पर पहुंचकर गोविंद गुरु की इतिहास को जाना वहीं धूणी के महत्व को भी समझा. सौरभ भावसार ने कहा कि गोविंद गुरु के अंग्रेजों से संघर्ष की दास्तां किताबों में ही पड़ी थी लेकिन यहां पहुंचकर हकीकत से भी रूबरू हो गए. गोविंद गुरु की स्मृति में स्मृति वन में अतिथियों द्वारा पौधारोपण किया गया. कार्यक्रम के संयोजक डॉ. अशोक काकोरिया ने बताया कि महोत्सव अपने उद्देश्य में काफी सफल रहा. तीनों ही जिलों से करीब ढाई हजार बच्चे कार्यक्रम में शामिल हुए.