बांसवाड़ा. कोरोना महामारी के इस दौर में राशन डीलर गरीबों का राशन भी डकार ने से नहीं चूक रहे हैं. राज्य सरकार की वन टाइम पासवर्ड अर्थात ओटीपी में छूट दी गई थी, ताकि लोगों को समय पर खाद्य सामग्री मिल सके. लेकिन कई राशन डीलर खाद्य सुरक्षा का गेहूं बीच में ही दबा गए.
इस प्रकार की कुछ शिकायतों के बाद रसद विभाग सतर्क हो गया और अपनी प्लानिंग के जरिए डीलरों की करतूत पर शिकंजा कस दिया. इसके लिए बकायदा एक कंट्रोल रूम स्थापित किया गया है. जहां से उपभोक्ताओं को कॉल कर पूछा जाता है कि उनके पास गेहूं पहुंचा या नहीं. ऐसे में अब तक लगभग 20 राशन डीलरों की गड़बड़ियां सामने आई जिनके खिलाफ विभाग की ओर से सख्त कार्रवाई की गई है. वहीं कंट्रोल रूम की स्थापना के बाद से राशन डीलर सकते में हैं. उनकी कोई भी कारगुजारी सफल नहीं हो पा रही है.
बता दें कि, मार्च के दूसरे पखवाड़े में जैसे ही सरकार ने लॉकडाउन घोषित किया, गरीब लोगों का ध्यान रखते हुए सरकार ने बीपीएल, स्टेट बीपीएल, एपीएल आदि परिवारों के लिए अतिरिक्त गेहूं आवंटित किया. समय पर जरूरतमंद लोगों तक गेहूं पहुंच जाए इसके लिए ओटीपी का प्रावधान भी हटा दिया. महामारी के दौर में भी कुछ राशन डीलर अपनी करतूतों से बाज नहीं आए और गेहूं उठाने के बावजूद उपभोक्ताओं को गेहूं नहीं पहुंचाए. लेकिन विभाग तक वितरण का रिकॉर्ड भेज दिया. गेहूं नहीं मिलने की शिकायतों की पुष्टि होने के बाद जिला रसद अधिकारी प्रशिक्षु आईएएस रामप्रकाश ने संबंधित डीलरों के खिलाफ कार्रवाई की. साथ ही डीलरों पर शिकंजा कसने के लिए एक कंट्रोल रूम स्थापित कर दिया.
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जिन जिन लोगों तक गेहूं पहुंचाए जाने का रिकॉर्ड विभाग के पास पहुंच गया है. इस कंट्रोल रूम से प्रतिदिन 50 उपभोक्ताओं को टेलीफोन के जरिए पूछा जाता है कि उन्हें गेहूं मिला या नहीं? कितना गेहुं दिया गया और उसकी राशि तो नहीं वसूली गई. इसका नतीजा यह हुआ कि अब तक 16 डीलरों के खिलाफ शिकायतें आई और जांच में उनकी पुष्टि भी हो गई. ऐसे डीलरों के खिलाफ रसद अधिकारी रामप्रकाश ने कार्रवाई की है. इनमें से घाटोल प्रथम और द्वितीय, पाडला फर्स्ट और चढ़ला डीलर के खिलाफ पुलिस में रिपोर्ट दर्ज कराई गई है. जिला रसद अधिकारी के अनुसार कंट्रोल रूम की स्थापना से उपभोक्ताओं को काफी राहत मिली है. लोगों से सीधी बातचीत होने के कारण डीलर की करतूत बाहर आ जाती है. अब तक हमने 16 डीलरों के खिलाफ कार्रवाई की है.