ETV Bharat / state

अलवर के सरिस्का नेशनल पार्क से आई बुरी खबर...बाघ ST-16 की 'हीट स्ट्रोक' से मौत

अलवर के सरिस्का से एक बुरी खबर आई है. दरअसल, यहां कुछ दिन पहले रणथंभौर से सरिस्का लाए गए बाघ ST-16 की शनिवार को मौत हो गई. सरिस्का प्रशासन ने बाघ की मौत की वजह हीट स्ट्रोक बताई है. आसान भाषा में समझें तो हीट स्ट्रोक का मतलब गर्मी के चलते बाघ की मौत हुई है. सरिस्का प्रशासन के अनुसार बाघ मालाखेड़ा क्षेत्र के रोटक्याला क्षेत्र में विचरण कर रहा था. उसी दौरान बाघ की मौत हो गई.

सरिस्का के जंगल में बाघ ST-16 की हुई मौत
author img

By

Published : Jun 8, 2019, 7:25 PM IST

अलवर. सरिस्का नेशनल पार्क में बाघ की मौत को लेकर सरिस्का प्रशासन की टाइगर्स की निगरानी को लेकर सवाल उठने लगे हैं. पिछले साल सरिस्का में 3 बाघ-बाघिन की मौत हो चुकी थी. बाघ ST-16 के यहां आने पर सरिस्का प्रशासन को इससे खासी उम्मीदें थी, लेकिन बाघ की मौत से सभी को झटका लगा है.

लगातार बाघ की मौत के बाद भी सरिस्का प्रशासन ने इस तरफ कोई ध्यान नहीं दिया. गौरतलब है कि ईटीवी भारत ने बाघ की मौत व सरिस्का में बाघ को होने वाले खतरे को लेकर सरिस्का प्रशासन को आगाह किया था, लेकिन उसके बाद भी सरिस्का प्रशासन की तरफ से इस ओर कोई ध्यान नहीं दिया गया.

सरिस्का के जंगल में बाघ ST-16 की हुई मौत

बाघ एसटी-16 से सरिस्का को काफी उम्मीदें थी. यह बाघ सरिस्का का कुनबा बढ़ाने में सक्षम था. बाघ युवा व हष्ट-पुष्ट था. सरिस्का के केवल 2 बाघ ही कुनबा बढ़ाने में सक्षम थे. सरिस्का में बाघिन की संख्या बाघों से अधिक थी. ऐसे में संतुलन बेहतर करने के लिए सरिस्का प्रशासन ने रणथंभौर से नर बाघ को अलवर के सरिस्का में शिफ्ट किया था.

सरिस्का प्रशासन की मांग पर रणथंभौर से बाघ एसटी 75 को सरिस्का भेजा गया था. करीब 7 साल का यह बाघ बाघिन सुंदरी की संतान था. 200 किलो से ज्यादा वजन के इस बाघ की लंबाई 296 सेंटीमीटर व ऊंचाई 122 सेंटीमीटर थी. सरिस्का में इसका नाम एसटी-16 रखा गया.

जहां बाघ की मौत वन्य जीव प्रेमियों के लिए बुरी खबर है तो वहीं लगातार सरिस्का में हो रही टाइगर की मौत से साफ है कि सरिस्का प्रशासन की तरफ से टाइगर्स की मॉनिटरिंग में लापरवाही बरती जा रही है.

अलवर. सरिस्का नेशनल पार्क में बाघ की मौत को लेकर सरिस्का प्रशासन की टाइगर्स की निगरानी को लेकर सवाल उठने लगे हैं. पिछले साल सरिस्का में 3 बाघ-बाघिन की मौत हो चुकी थी. बाघ ST-16 के यहां आने पर सरिस्का प्रशासन को इससे खासी उम्मीदें थी, लेकिन बाघ की मौत से सभी को झटका लगा है.

लगातार बाघ की मौत के बाद भी सरिस्का प्रशासन ने इस तरफ कोई ध्यान नहीं दिया. गौरतलब है कि ईटीवी भारत ने बाघ की मौत व सरिस्का में बाघ को होने वाले खतरे को लेकर सरिस्का प्रशासन को आगाह किया था, लेकिन उसके बाद भी सरिस्का प्रशासन की तरफ से इस ओर कोई ध्यान नहीं दिया गया.

सरिस्का के जंगल में बाघ ST-16 की हुई मौत

बाघ एसटी-16 से सरिस्का को काफी उम्मीदें थी. यह बाघ सरिस्का का कुनबा बढ़ाने में सक्षम था. बाघ युवा व हष्ट-पुष्ट था. सरिस्का के केवल 2 बाघ ही कुनबा बढ़ाने में सक्षम थे. सरिस्का में बाघिन की संख्या बाघों से अधिक थी. ऐसे में संतुलन बेहतर करने के लिए सरिस्का प्रशासन ने रणथंभौर से नर बाघ को अलवर के सरिस्का में शिफ्ट किया था.

सरिस्का प्रशासन की मांग पर रणथंभौर से बाघ एसटी 75 को सरिस्का भेजा गया था. करीब 7 साल का यह बाघ बाघिन सुंदरी की संतान था. 200 किलो से ज्यादा वजन के इस बाघ की लंबाई 296 सेंटीमीटर व ऊंचाई 122 सेंटीमीटर थी. सरिस्का में इसका नाम एसटी-16 रखा गया.

जहां बाघ की मौत वन्य जीव प्रेमियों के लिए बुरी खबर है तो वहीं लगातार सरिस्का में हो रही टाइगर की मौत से साफ है कि सरिस्का प्रशासन की तरफ से टाइगर्स की मॉनिटरिंग में लापरवाही बरती जा रही है.

Intro:

हमेशा विवादों में रहने वाला अलवर एक बार फिर से टाइगर की मौत के चलते विवादों में आ गया है। कुछ दिन पहले रणथंभौर से सरिस्का लाया गया बाग st16 की शनिवार को मौत हो गई। सरिस्का प्रशासन ने बाघ की मौत की वजह हीटस्ट्रोक बताई है। आसान भाषा में समझे तो हीट स्ट्रोक का मतलब गर्मी के चलते टाइगर की मौत हुई है। सरिस्का प्रशासन के अनुसार बाघ मालाखेड़ा क्षेत्र के रोटक्याला क्षेत्र में विचरण कर रहा था। उसी दौरान बाघ की मौत हो गई।


Body:सरिस्का नेशनल पार्क हमेशा टाइगर की मौत के चलते आफत में रहा है इसलिए साल सरिस्का में दो बार एक बाघिन की मौत हो चुकी है इस बात के आने से सिर इसका प्रशासन को खासी उम्मीदें थी लेकिन गर्मी के कारण बाघ की मौत से सभी को झटका लगा है लगातार टाइगर की मौत के बाद भी सिर्फ का प्रशासन ने इस तरफ कोई ध्यान नहीं दिया तो वही ईटीवी भारत ने टाइगर की मौत व सरिस्का में टाइगर को होने वाले खतरे को लेकर सिर्फ का प्रशासन को आगाह किया था लेकिन उसके बाद भी सिर्फ का प्रशासन की तरफ से इस और कोई ध्यान नहीं दिया गया।

बाघ एसटी 16 से सरिस्का को काफी उम्मीदें थी। यह बाघ सरिस्का का कुनबा बढ़ाने में सक्षम था। बाघ युवा व हष्ट पुष्ट था। सरिस्का के केवल 2 भाघ ही कुनबा बढ़ाने में सक्षम थे। सरिस्का में बाघिन की संख्या बाघों से अधिक थी। ऐसे में संतुलन बेहतर करने के लिए सरिस्का प्रशासन ने रणथंभौर से नर बाघ को अलवर के सरिस्का में शिफ्ट किया था।


Conclusion:सरिस्का प्रशासन की मांग पर रणथंबोर से भाग एसटी 75 को सरिस्का भेजा गया था। करीब 7 साल का यह बाघ बाघिन सुंदरी 17 की संतान था। 200 किलो से ज्यादा वजन के इस बात की लंबाई 296 सेंटीमीटर व ऊंचाई 122 सेंटीमीटर थी। सरिस्का में इसका नाम एसटी16 रखा गया।

अब बाघ की मौत का प्रशासन व प्रेमियों के लिए बुरी खबर है। तो वही लगातार सरिस्का में हो रही टाइगर की मौत से साफ है। सरिस्का प्रशासन की तरफ से टाइगर की मॉनिटरिंग में लापरवाही बरती जा रही है।
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.