अलवर. सरिस्का नेशनल पार्क में बाघ की मौत को लेकर सरिस्का प्रशासन की टाइगर्स की निगरानी को लेकर सवाल उठने लगे हैं. पिछले साल सरिस्का में 3 बाघ-बाघिन की मौत हो चुकी थी. बाघ ST-16 के यहां आने पर सरिस्का प्रशासन को इससे खासी उम्मीदें थी, लेकिन बाघ की मौत से सभी को झटका लगा है.
लगातार बाघ की मौत के बाद भी सरिस्का प्रशासन ने इस तरफ कोई ध्यान नहीं दिया. गौरतलब है कि ईटीवी भारत ने बाघ की मौत व सरिस्का में बाघ को होने वाले खतरे को लेकर सरिस्का प्रशासन को आगाह किया था, लेकिन उसके बाद भी सरिस्का प्रशासन की तरफ से इस ओर कोई ध्यान नहीं दिया गया.
बाघ एसटी-16 से सरिस्का को काफी उम्मीदें थी. यह बाघ सरिस्का का कुनबा बढ़ाने में सक्षम था. बाघ युवा व हष्ट-पुष्ट था. सरिस्का के केवल 2 बाघ ही कुनबा बढ़ाने में सक्षम थे. सरिस्का में बाघिन की संख्या बाघों से अधिक थी. ऐसे में संतुलन बेहतर करने के लिए सरिस्का प्रशासन ने रणथंभौर से नर बाघ को अलवर के सरिस्का में शिफ्ट किया था.
सरिस्का प्रशासन की मांग पर रणथंभौर से बाघ एसटी 75 को सरिस्का भेजा गया था. करीब 7 साल का यह बाघ बाघिन सुंदरी की संतान था. 200 किलो से ज्यादा वजन के इस बाघ की लंबाई 296 सेंटीमीटर व ऊंचाई 122 सेंटीमीटर थी. सरिस्का में इसका नाम एसटी-16 रखा गया.
जहां बाघ की मौत वन्य जीव प्रेमियों के लिए बुरी खबर है तो वहीं लगातार सरिस्का में हो रही टाइगर की मौत से साफ है कि सरिस्का प्रशासन की तरफ से टाइगर्स की मॉनिटरिंग में लापरवाही बरती जा रही है.