अलवर. सरिस्का क्षेत्र में बाघों पर नजर रखने के लिए वसुंधरा सरकार के कार्यकाल के दौरान 16 टावर लगाए गए थे. इन पर थर्मल व अन्य हाई तकनीक के कैमरे लगे हुए हैं. इन कैमरों से सरिस्का के केवल 10 प्रतिशत हिस्से पर नजर रखी जा रही है. कैमरे बाघों की मॉनिटरिंग में मददगार बन रहे हैं. ऐसे में सरिस्का के अन्य क्षेत्र में कैमरे लगाने की योजना तैयार की गई है.
सरिस्का में इस समय 23 बाघ हैं. इसमें 6 शावक, 7 बाघ व 10 बाघिन हैं. सरिस्का में लगातार बाघों का कुनबा बढ़ रहा है. साल 2005 में सरिस्का बाघ विहीन गया था. उसके बाद रणथंभौर से बाघों को सरिस्का में शिफ्ट किया गया. सरिस्का के बीचो से अलवर-जयपुर सड़क मार्ग गुजरता है. सरिस्का के घने जंगल एरिया में अब भी 23 गांव बसे हुए हैं. ऐसे में बाघों पर शिकार का खतरा मंडराता है. बाघों की मॉनिटरिंग के लिए वसुंधरा सरकार के कार्यकाल के दौरान सरिस्का में 16 टावर लगाए गए थे. इन पर थर्मल व हाई रेगुलेशन कैमरे लगे हुए हैं. यहां 250 टावर व कैमरों की आवश्यकता है. लेकिन अभी जरूरत के हिसाब से करीब 10 टावर लगाने के लिए एक प्रस्ताव तैयार किया गया है. सर्विलांस व आईटी टीम को इन जगहों की लोकेशन दी गई है. प्रस्ताव को विभाग से अनुमति मिलने के बाद टावर में कैमरे लगाने का काम शुरू होगा.
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सरिस्का प्रशासन की मानें तो बाघों की मॉनिटरिंग में कैमरे मददगार हो रहे हैं. मॉनिटरिंग के लिए पेड़ों पर भी सरिस्का प्रशासन की तरफ से ट्रैपिंग कैमरे लगाए जाते हैं. टावर पर लगे कैमरे से 24 घंटे सरिस्का पर नजर रखी जाती है. इसके लिए सरिस्का में एक कंटेनर में स्क्रीन व कंप्यूटर लगे हुए हैं. सरिस्का प्रशासन की मानें तो सब कुछ ठीक रहा तो जल्द ही नए कैमरे लगाने का काम शुरू हो जाएगा.
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सरिस्का में हो चुका है बाघों का शिकार
सरिस्का में साल 2005 में सभी बाघों का शिकार हो गया था. उसके बाद भी यहां शिकार की कई शिकायतें मिली. कई बार फंदे में लगने से बाघ की मौत का मामला भी सामने आया. इसलिए सरिस्का प्रशासन की तरफ से बाघों पर नजर रखी जाती है. क्योंकि आए दिन शिकारियों की हलचल की जानकारी मिलती है.