रामगढ़ (अलवर). पूर्व विधायक ज्ञानदेव आहूजा ने अलवर विमंदित बालिका प्रकरण, सरिस्का से गायब हुए बाघ सहित कई मुद्दों को लेकर सरकार (Former MLA Gyandev Ahuja target Gehlot government) पर निशाना साधा है. साथ ही उन्होंने पूर्व सीएम वसुंधरा राजे को की भूमिका को लेकर भी बात रखी.
उन्होंने कहा कि अलवर एसपी व जिला कलेक्टर ने मुख्यमंत्री के दबाव में ही अलवर विमंदित बालिका प्रकरण को दुर्घटना में बदलने का षडयंत्र रचा है. उन्होंने आरोप लगाते हुए कहा कि सीएम गहलोत ने विमंदित बालिका प्रकरण की सीबीआई जांच कराने का ऐलान किया है. लेकिन जांच के लिए पत्र भेजा भी है या नहीं इस पर संशय है. इसकी जानकारी मैं खुद और संघर्ष समिति करेगी.
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पूर्व सीएम की भूमिका पर भी सवाल
आहूजा ने कहा कि विमंदित बालिका प्रकरण में विपक्ष की भूमिका में कहीं ना कहीं कमी रही है. हम पूर जोर शोर से इस मामले को उठा नहीं पाए. उन्होंने पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे की भी भूमिका को संदेहास्पद बताते हुए कहा की आप पत्रकार ही पूछें कि उनकी क्या मिलीभगत है और क्या नहीं?. जो वह विरोध नहीं करती. जिसका फायदा राज्य सरकार ने उठाया और इसे दुर्घटना बनाने का प्रयास किया है.
कलेक्टर की किरकिरी
आहूजा ने आरोप लगाया कि इस मामले में जिला कलेक्टर और एसपी ने सरकार के इशारे पर मामले को पलट दिया है. यही कारण है कि इतनी किरकिरी होने के बावजूद भी दोनों अधिकारी विशेष रुप से जिला कलेक्टर अपने पद पर बने हुए हैं.
वन अधिकारी की मिलीभगत
आहूजा ने सरिस्का से गायब हुए बाघ को लेकर फॉरेस्ट अधिकारियों पर गंभीर आरोप लगाया. उन्होंने कहा कि सरिस्का के जंगल से जितने भी बाघ व पैंथर गायब अथवा मारे गए. सभी फारेस्ट अधिकारियों की मिलीभगत एवं सरिस्का क्षेत्र में रह रहे सांसी और बावरिया गिरोह के कारण हुआ है. उन्होंने कहा कि केंद्र और राज्य दोनों ही सरकार की कुछ कमियों के कारण सरिस्का वन क्षेत्र से लोगो का विस्थापन नहीं हो पाया. जिसके चलते एक बार फिर सरिस्का के बाघो पर खतरा मंडरा रहा है.