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दिल्ली-अलवर रैपिड रेल प्रोजेक्ट की डिमांड तेज, विदेशी कंपनियां पैसे लगाने को तैयार

देश में अपनी तरह की पहली आधुनिक हाईस्पीड RRTS ट्रेन जल्द ही अलवर में दौड़ेगी. रैपिड रेल प्रोजेक्ट के पहले चरण का काम शुरू हो चुका है. दिल्ली से अलवर के रूट में विदेशी कंपनियां पैसे लगाने के लिए आगे आ रही हैं.

दिल्ली-अलवर रैपिड रेल प्रोजेक्ट, Alwar news
दिल्ली-अलवर रैपिड रेल प्रोजेक्ट में विदेशी कंपनिया निवेश को तैयार
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Published : Oct 9, 2020, 9:04 AM IST

अलवर. जिले के विकास को आने वाले कुछ सालों में पंख लगने वाले हैं. सालों से अलवर में मेट्रो का सपना पूरा होता नजर आ रहा है. आरआरटीएस रैपिड रेल प्रोजेक्ट के तहत पहले चरण का काम शुरू हो चुका है. दिल्ली के सराय काले खा से अलवर तीन चरणों में रैपिड रेल आएगी.

दिल्ली-अलवर रैपिड रेल प्रोजेक्ट में विदेशी कंपनिया निवेश को तैयार

दिल्ली के सराय काले खा से अलवर (Delhi-Alwar rapid rail project) के इस रूट से अलवर के सभी औद्योगिक क्षेत्र हाई स्पीड ट्रेन से जुड़ सकेंगे. इस पूरे प्रोजेक्ट में 36 हजार करोड़ रुपए खर्च होने की उम्मीद है. इसमें 60 प्रतिशत पैसा विदेशी कंपनियों का लगेगा. जबकि अन्य खर्चा दिल्ली, राजस्थान और हरियाणा राज्य की तरफ से वहन किया जाएगा.

नेशनल कैपिटल रीजन ट्रांसपोर्ट कॉरपोरेशन एनसी आरटीसी की ओर से दिल्ली से अलवर के बीच रैपिड रेल प्रोजेक्ट के पहले चरण का काम शुरू हो चुका है. 2026 तक रैपिड रेल अलवर पहुंच सकेगी. दिल्ली हरियाणा और राजस्थान सरकार की स्वीकृति मिलने के बाद केंद्र सरकार की तरफ से भी स्वीकृति मिल चुकी है. इस रूट पर चलने वाली रैपिड रेल के डिजाइन का पहला फोटो भी जारी कर दिया गया है.

यह भी पढ़ें. अलवर सहित पूरे प्रदेश में सरकारी राशन की दुकानें होंगी ऑनलाइन

140 किमी की होगी रफ्तार

रैपिड रेल के आने से 164 किलोमीटर का सफर 117 मिनट में पूरा होगा. इस रूट पर 18 स्टेशन होंगे. इस रूट पर यूरोपीयन ट्रेन सिस्टम टेक्नोलॉजी काम में आएगी. वैसे तो इस रूट को 180 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से दौड़ने वाली रैपिड रेल के हिसाब से तैयार किया जाएगा लेकिन 140 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से ट्रेन इस पर दौड़ सकेगी. जबकि आमतौर पर ट्रेन की रफ्तार 100 किलोमीटर प्रति घंटे रहेगी. इस रूट पर 36000 करोड़ रुपए का खर्च आएगा. इसमें 3 बिलियन डॉलर की फंडिंग विदेशी बैंकों की रहेगी.

पहला रूट जिसमें निवेश के लिए विदेशी कंपनियां आगे

पहला फेज 107 किलोमीटर का होगा. इसमें 83 किलोमीटर हरियाणा, 22 किलोमीटर दिल्ली और 2 किलोमीटर का क्षेत्र राजस्थान का रहेगा. अलवर रूट की डिमांड सबसे ज्यादा है. आरआरटीएस के अनुसार इस रूट पर 8 से 10 मिनट में रैपिड रेल का संचालन होगा. इसमें बिजनेस क्लास वर्क के लिए अलग से व्यवस्था रहेगी. वहीं यह पहला ऐसा रूट है, जिसके लिए विदेशी कंपनियां आगे आ रही हैं.

इस रूट में होंगे 18 स्टेशन

दिल्ली गुडगांव शाजापुर नीमराना बहरोड़ 107 किलोमीटर, सोतानाला 35 किलोमीटर और फेज 3 में एसएमबी से अलवर 58 किलोमीटर का रहेगा. इस रूट पर दो डिपो होंगे. एक डिपो धारूहेड़ा और दूसरा अलवर में होगा. इन डिपो पर ट्रेन के रखरखाव का कार्य भी किया जाएगा. इस रूट पर 18 स्टेशन होंगे. निजामुद्दीन, सराय काले खां, उद्योग विहार, गुड़गांव सेक्टर 17, राजीव चौक, मानेसर, बिलासपुर चौक, रेवाड़ी, बावल, शाहजहांपुर, नीमराना सोतानाला खैरथल अलवर होगा.

यह भी पढ़ें. अलवर-दिल्ली के बीच 180 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से दौड़ेगी RRTS ट्रेन, जल्द काम शुरू होने की उम्मीद

इस रूट की डिमांड सबसे ज्यादा है. वहीं विदेशी कंपनियां इस रूट पर पैसा लगाने के लिए तैयार हैं. इसका प्रमुख कारण अलवर का औद्योगिक क्षेत्र है. अलवर में कई औद्योगिक क्षेत्र हैं, जहां विदेशी कंपनियां हैं. बड़ी संख्या में लोग यहां आते हैं.

रैपिड रेल प्रोजेक्ट शुरू होने के बाद लोगों को बड़ी राहत मिलेगी और आम लोगों को आने-जाने में सुविधा होगी. इसमें 60 प्रतिशत पैसा विश्व विकास बैंक में विदेशी कंपनियों का रहेगा. जबकि 40 प्रतिशत पैसा हरियाणा, दिल्ली और राजस्थान सरकार की तरफ से खर्च किया जाएगा.

अलवर. जिले के विकास को आने वाले कुछ सालों में पंख लगने वाले हैं. सालों से अलवर में मेट्रो का सपना पूरा होता नजर आ रहा है. आरआरटीएस रैपिड रेल प्रोजेक्ट के तहत पहले चरण का काम शुरू हो चुका है. दिल्ली के सराय काले खा से अलवर तीन चरणों में रैपिड रेल आएगी.

दिल्ली-अलवर रैपिड रेल प्रोजेक्ट में विदेशी कंपनिया निवेश को तैयार

दिल्ली के सराय काले खा से अलवर (Delhi-Alwar rapid rail project) के इस रूट से अलवर के सभी औद्योगिक क्षेत्र हाई स्पीड ट्रेन से जुड़ सकेंगे. इस पूरे प्रोजेक्ट में 36 हजार करोड़ रुपए खर्च होने की उम्मीद है. इसमें 60 प्रतिशत पैसा विदेशी कंपनियों का लगेगा. जबकि अन्य खर्चा दिल्ली, राजस्थान और हरियाणा राज्य की तरफ से वहन किया जाएगा.

नेशनल कैपिटल रीजन ट्रांसपोर्ट कॉरपोरेशन एनसी आरटीसी की ओर से दिल्ली से अलवर के बीच रैपिड रेल प्रोजेक्ट के पहले चरण का काम शुरू हो चुका है. 2026 तक रैपिड रेल अलवर पहुंच सकेगी. दिल्ली हरियाणा और राजस्थान सरकार की स्वीकृति मिलने के बाद केंद्र सरकार की तरफ से भी स्वीकृति मिल चुकी है. इस रूट पर चलने वाली रैपिड रेल के डिजाइन का पहला फोटो भी जारी कर दिया गया है.

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140 किमी की होगी रफ्तार

रैपिड रेल के आने से 164 किलोमीटर का सफर 117 मिनट में पूरा होगा. इस रूट पर 18 स्टेशन होंगे. इस रूट पर यूरोपीयन ट्रेन सिस्टम टेक्नोलॉजी काम में आएगी. वैसे तो इस रूट को 180 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से दौड़ने वाली रैपिड रेल के हिसाब से तैयार किया जाएगा लेकिन 140 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से ट्रेन इस पर दौड़ सकेगी. जबकि आमतौर पर ट्रेन की रफ्तार 100 किलोमीटर प्रति घंटे रहेगी. इस रूट पर 36000 करोड़ रुपए का खर्च आएगा. इसमें 3 बिलियन डॉलर की फंडिंग विदेशी बैंकों की रहेगी.

पहला रूट जिसमें निवेश के लिए विदेशी कंपनियां आगे

पहला फेज 107 किलोमीटर का होगा. इसमें 83 किलोमीटर हरियाणा, 22 किलोमीटर दिल्ली और 2 किलोमीटर का क्षेत्र राजस्थान का रहेगा. अलवर रूट की डिमांड सबसे ज्यादा है. आरआरटीएस के अनुसार इस रूट पर 8 से 10 मिनट में रैपिड रेल का संचालन होगा. इसमें बिजनेस क्लास वर्क के लिए अलग से व्यवस्था रहेगी. वहीं यह पहला ऐसा रूट है, जिसके लिए विदेशी कंपनियां आगे आ रही हैं.

इस रूट में होंगे 18 स्टेशन

दिल्ली गुडगांव शाजापुर नीमराना बहरोड़ 107 किलोमीटर, सोतानाला 35 किलोमीटर और फेज 3 में एसएमबी से अलवर 58 किलोमीटर का रहेगा. इस रूट पर दो डिपो होंगे. एक डिपो धारूहेड़ा और दूसरा अलवर में होगा. इन डिपो पर ट्रेन के रखरखाव का कार्य भी किया जाएगा. इस रूट पर 18 स्टेशन होंगे. निजामुद्दीन, सराय काले खां, उद्योग विहार, गुड़गांव सेक्टर 17, राजीव चौक, मानेसर, बिलासपुर चौक, रेवाड़ी, बावल, शाहजहांपुर, नीमराना सोतानाला खैरथल अलवर होगा.

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इस रूट की डिमांड सबसे ज्यादा है. वहीं विदेशी कंपनियां इस रूट पर पैसा लगाने के लिए तैयार हैं. इसका प्रमुख कारण अलवर का औद्योगिक क्षेत्र है. अलवर में कई औद्योगिक क्षेत्र हैं, जहां विदेशी कंपनियां हैं. बड़ी संख्या में लोग यहां आते हैं.

रैपिड रेल प्रोजेक्ट शुरू होने के बाद लोगों को बड़ी राहत मिलेगी और आम लोगों को आने-जाने में सुविधा होगी. इसमें 60 प्रतिशत पैसा विश्व विकास बैंक में विदेशी कंपनियों का रहेगा. जबकि 40 प्रतिशत पैसा हरियाणा, दिल्ली और राजस्थान सरकार की तरफ से खर्च किया जाएगा.

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