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Special: ग्राहकों को रुलाने के बाद अब किसानों को रुला रहा प्याज, दोहरी मार झेल रहा अन्नदाता

कभी ग्राहकों को रुलाने वाला प्याज अब किसानों को ही रुला रहा है. अलवर में पहले जो प्याज 80 रुपए किलो तक बिक रहा था, अब वही प्याज बेचकर किसानों की लागत तक नहीं निकल रही है. ऐसे में अलवर के किसान प्याज के कारण खून के आंसू रोने को मजबूर हैं.

Alwar news, Rajasthan news
किसानों को अब रुला रहा प्याज
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Published : Dec 28, 2020, 1:27 PM IST

अलवर. देश में नासिक के बाद सबसे ज्यादा प्याज की आवक अलवर की मंडी में होती है. अलवर के प्याज की देश-विदेश में सप्लाई होती है. इन दिनों शुरुआत में महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, आंध्र प्रदेश की प्याज खराब होने के चलते अलवर की प्याज की डिमांड थी. शुरुआत के समय में प्याज के रिटेल में दाम 80 रुपए किलो थे. इससे किसान को फायदा हो रहा था लेकिन अब किसान को अपनी लागत और मेहनत का पैसा भी नहीं मिल रहा है.

किसानों को अब रुला रहा प्याज

अलवर की मंडी में इस समय प्रतिदिन 40 से 50 हजार कट्टे प्याज की आवक हो रही है. नासिक के बाद देश में दूसरी सबसे बड़ी प्याज की मंडी अलवर है. बीते साल किसान को प्याज के बेहतर दाम मिले थे. इसलिए इस बार 50 हजार हेक्टेयर क्षेत्र में किसान ने लाभ के उम्मीद से प्याज की बुवाई की.

वहीं इस साल बारिश के चलते महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, गुजरात और आंध्र प्रदेश की प्याज खराब हो गई थी. ऐसे में अलवर के किसानों को प्याज की फसल से खासी उम्मीदें थी. शुरुआत में किसानों को प्याज के बेहतर दाम मिल रहे थे. बाजार में प्याज 80 रुपए किलो के हिसाब से बिक रही थी और किसान को 35 से 40 रुपए किलो तक प्याज के भाव मिल रहे थे. किसानों को प्याज के दाम और बढ़ने की उम्मीद थी. इसलिए बड़ी संख्या में किसानों ने अपने गांव में प्याज का स्टॉक कर लिया लेकिन अचानक प्याज के दामों में भारी गिरावट आई है.

इस समय अलवर मंडी में प्याज थोक रेट में 12 से 17 रुपए तक बिक रही है. ऐसे में किसान को प्याज के बेहतर दाम नहीं मिल रहे हैं. किसानों की माने तो एक बीघा प्याज की फसल की बुवाई में 50 से 60 हजार रुपए का खर्च आता है. लेकिन प्याज के मिल रहे दामो में किसान का खर्चा भी नहीं निकल रहा है.

यह भी पढ़ें. Special : लागत से भी कम दाम, 'सफेद सोना' से श्रीगंगानगर के किसानों का मोहभंग

किसानों का कहना है कि सरकार को किसानों के लिए बेहतर इंतजाम करने चाहिए. महंगे दामों पर किसान को प्याज के बीज मिलते हैं. उसके बाद पानी खरीद कर खेती करनी पड़ती है. साथ ही फसल में बुवाई और कटाई के समय श्रमिकों की आवश्यकता होती है. इन सब में खासा खर्चा होता है. इस दौरान फसल में खाद डालनी पड़ती है. किसान की माने तो सरकार को बाजार में प्याज का एक निर्धारित मूल्य रखना चाहिए. साथ ही सरकार को प्याज की खरीदी करनी चाहिए. जिससे किसान को नुकसान होने पर उसकी भरपाई हो सके.

सरकार ने एक्सपोर्ट पर लगाई रोक

व्यापारियों का कहना है कि सरकार को एक्सपोर्ट खोल देना चाहिए. अलवर की प्याज आसपास के देशों में भी सप्लाई होती है. एक्सपोर्ट पर रोक होने के कारण प्याज आसपास के देश में नहीं जा पा रही हैं. जिससे बाहर बेचकर किसानों का जो फायदा होता था, वह भी रुका है. व्यापारियों ने कहा कि बाजार में जब महाराष्ट्र की मंडियों की प्याज जाती है तो सरकार एक्सपोर्ट खोल देती है. ऐसे में महाराष्ट्र के प्याज व्यापारियों को फायदा मिलता है लेकिन अलवर का किसान और व्यापारी खासा परेशान है.

अन्य मंडियों में आने लगी प्याज

अलवर के अलावा नासिक और इंदौर की मंडियों में प्याज की आवक शुरू हो चुकी है. ऐसे में अलवर की प्याज की डिमांड कम हो गई है. इसलिए लगातार दाम गिर रहे हैं. व्यापारियों की मानें तो आगामी दिनों में भी प्याज के दाम बढ़ने की उम्मीद नहीं है. इसका सीधा असर किसान पर पड़ेगा.

किसान आंदोलन का खासा प्रभाव

व्यापारियों ने कहा किसान आंदोलन का भी अलवर की प्याज पर खासा प्रभाव पड़ रहा है. दिल्ली की मंडी और दिल्ली से अन्य जगहों पर प्याज नहीं जा पा रही है. इसलिए इस समय अलवर की प्याज केवल राजस्थान में सप्लाई हो रही है. इसके चलते प्याज के कम दाम मिल रहे हैं क्योंकि डिमांड के अनुसार प्याज की आवाक ज्यादा है.

भाव और हालात पर एक नजर

अलवर मंडी में इन दिनों 12 से 17 रुपए किलो के हिसाब से किसान की प्याज बिक रही है. एक बीघा प्याज की फसल में किसान का 50 हजार रुपए का खर्च आता है. इन दिनों किसान को 1 कट्टा भी 60 रुपए का मिल रहा है. जबकि प्याज की फसल उगाने में खासा मेहनत लगती है. प्याज की फसल में किसान को पानी लगाना पड़ता है और खाद डालना पड़ता है. इस बार किसान को पांच हजार रुपए के हिसाब से बीज मिला है. ऐसे में किसान पर दोहरी मार पड़ रही है. किसान को अपनी मेहनत का पैसा भी नहीं मिल रहा है.

अलवर. देश में नासिक के बाद सबसे ज्यादा प्याज की आवक अलवर की मंडी में होती है. अलवर के प्याज की देश-विदेश में सप्लाई होती है. इन दिनों शुरुआत में महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, आंध्र प्रदेश की प्याज खराब होने के चलते अलवर की प्याज की डिमांड थी. शुरुआत के समय में प्याज के रिटेल में दाम 80 रुपए किलो थे. इससे किसान को फायदा हो रहा था लेकिन अब किसान को अपनी लागत और मेहनत का पैसा भी नहीं मिल रहा है.

किसानों को अब रुला रहा प्याज

अलवर की मंडी में इस समय प्रतिदिन 40 से 50 हजार कट्टे प्याज की आवक हो रही है. नासिक के बाद देश में दूसरी सबसे बड़ी प्याज की मंडी अलवर है. बीते साल किसान को प्याज के बेहतर दाम मिले थे. इसलिए इस बार 50 हजार हेक्टेयर क्षेत्र में किसान ने लाभ के उम्मीद से प्याज की बुवाई की.

वहीं इस साल बारिश के चलते महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, गुजरात और आंध्र प्रदेश की प्याज खराब हो गई थी. ऐसे में अलवर के किसानों को प्याज की फसल से खासी उम्मीदें थी. शुरुआत में किसानों को प्याज के बेहतर दाम मिल रहे थे. बाजार में प्याज 80 रुपए किलो के हिसाब से बिक रही थी और किसान को 35 से 40 रुपए किलो तक प्याज के भाव मिल रहे थे. किसानों को प्याज के दाम और बढ़ने की उम्मीद थी. इसलिए बड़ी संख्या में किसानों ने अपने गांव में प्याज का स्टॉक कर लिया लेकिन अचानक प्याज के दामों में भारी गिरावट आई है.

इस समय अलवर मंडी में प्याज थोक रेट में 12 से 17 रुपए तक बिक रही है. ऐसे में किसान को प्याज के बेहतर दाम नहीं मिल रहे हैं. किसानों की माने तो एक बीघा प्याज की फसल की बुवाई में 50 से 60 हजार रुपए का खर्च आता है. लेकिन प्याज के मिल रहे दामो में किसान का खर्चा भी नहीं निकल रहा है.

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किसानों का कहना है कि सरकार को किसानों के लिए बेहतर इंतजाम करने चाहिए. महंगे दामों पर किसान को प्याज के बीज मिलते हैं. उसके बाद पानी खरीद कर खेती करनी पड़ती है. साथ ही फसल में बुवाई और कटाई के समय श्रमिकों की आवश्यकता होती है. इन सब में खासा खर्चा होता है. इस दौरान फसल में खाद डालनी पड़ती है. किसान की माने तो सरकार को बाजार में प्याज का एक निर्धारित मूल्य रखना चाहिए. साथ ही सरकार को प्याज की खरीदी करनी चाहिए. जिससे किसान को नुकसान होने पर उसकी भरपाई हो सके.

सरकार ने एक्सपोर्ट पर लगाई रोक

व्यापारियों का कहना है कि सरकार को एक्सपोर्ट खोल देना चाहिए. अलवर की प्याज आसपास के देशों में भी सप्लाई होती है. एक्सपोर्ट पर रोक होने के कारण प्याज आसपास के देश में नहीं जा पा रही हैं. जिससे बाहर बेचकर किसानों का जो फायदा होता था, वह भी रुका है. व्यापारियों ने कहा कि बाजार में जब महाराष्ट्र की मंडियों की प्याज जाती है तो सरकार एक्सपोर्ट खोल देती है. ऐसे में महाराष्ट्र के प्याज व्यापारियों को फायदा मिलता है लेकिन अलवर का किसान और व्यापारी खासा परेशान है.

अन्य मंडियों में आने लगी प्याज

अलवर के अलावा नासिक और इंदौर की मंडियों में प्याज की आवक शुरू हो चुकी है. ऐसे में अलवर की प्याज की डिमांड कम हो गई है. इसलिए लगातार दाम गिर रहे हैं. व्यापारियों की मानें तो आगामी दिनों में भी प्याज के दाम बढ़ने की उम्मीद नहीं है. इसका सीधा असर किसान पर पड़ेगा.

किसान आंदोलन का खासा प्रभाव

व्यापारियों ने कहा किसान आंदोलन का भी अलवर की प्याज पर खासा प्रभाव पड़ रहा है. दिल्ली की मंडी और दिल्ली से अन्य जगहों पर प्याज नहीं जा पा रही है. इसलिए इस समय अलवर की प्याज केवल राजस्थान में सप्लाई हो रही है. इसके चलते प्याज के कम दाम मिल रहे हैं क्योंकि डिमांड के अनुसार प्याज की आवाक ज्यादा है.

भाव और हालात पर एक नजर

अलवर मंडी में इन दिनों 12 से 17 रुपए किलो के हिसाब से किसान की प्याज बिक रही है. एक बीघा प्याज की फसल में किसान का 50 हजार रुपए का खर्च आता है. इन दिनों किसान को 1 कट्टा भी 60 रुपए का मिल रहा है. जबकि प्याज की फसल उगाने में खासा मेहनत लगती है. प्याज की फसल में किसान को पानी लगाना पड़ता है और खाद डालना पड़ता है. इस बार किसान को पांच हजार रुपए के हिसाब से बीज मिला है. ऐसे में किसान पर दोहरी मार पड़ रही है. किसान को अपनी मेहनत का पैसा भी नहीं मिल रहा है.

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