अलवर. भिवाड़ी और नीमराना औद्योगिक क्षेत्र कारोबारियों की पसंद बनते जा रहे हैं. खासतौर पर विदेशी कंपनियां यहां निवेश के लिए ज्यादा रुचि दिखा रही हैं. यहां स्थापित कंपनियों ने करीब 40 हजार करोड़ रुपए से अधिक का निवेश कर रखा है और करीब डेढ़ लाख से अधिक लोगों को रोजगार भी दिया है.
ग्लास कंपनी फ्रांस की सेंट गोबेन ने भिवाड़ी स्थित अपने प्लांट में 1100 करोड़ रुपए के अतिरिक्त निवेश का प्रस्ताव राज्य सरकार को दिया है. जिसके बाद भिवाड़ी ही नहीं बल्कि राजस्थान ग्लास फ्लोट (सीधे शीशे) के क्षेत्र में एशिया का सबसे बड़ा क्षेत्र बन जाएगा. अभी कंपनी में करीब 600 लोग काम कर रहे हैं. 16 डिग्री तापमान पर काम होने के चलते अधिकांश काम रोबोटिक होता है.
सेंट गोबेन ने 1100 करोड़ रुपए के निवेश के प्रस्ताव के साथ कोरोनाकाल में धीमे पड़ औद्योगिक चक्र को गति देने का प्रयास किया हो. लेकिन भिवाड़ी में पिछले दो साल में 600 उद्योगों ने 1000 करोड़ रुपए का निवेश किया है. इनमें बड़ी कंपनियों में लैंसकार्ट, एरोटेक, एवीएसएल, जैक्सन, एलवीसन एवं न्यू स्वान हैं. वहीं पिछले कोरानाकाल में नौ कंपनियों ने अपने निर्माण कार्य भी चालू किए. इनमें चौपानकी में दीपक इंडस्ट्रीज, डीएनएस इंजीनियरिंग, एमजी मैटल, कारौली में गोइड इंडस्ट्रीयल कार्पोरेशन आदि हैं.
कंपनी में फिलहाल 900 टन प्रतिदिन माल बनता है. यह 2.5 एमएम से 12 एमएम तक होता है. कंपनी के लिए रॉ मेटेरियल अलवर के एमआईए स्थित कंपनी से आता है. फर्नेस में भिवाड़ी के अतिरिक्त चेन्नई और गुजरात में दो और प्लांट हैं. लेकिन वो भिवाड़ी की तुलना में छोटे हैं. विदेशी निवेश के मामले में 18 हजार करोड़ रुपए के निवेश के साथ जापान टॉप पर है. जापान की भिवाड़ी में 20 और नीमराना में 50 कंपनियां हैं. इनमें करीब 40 हजार लोग काम करते हैं. फ्रांस की सेंट गोबेन के अतिरिक्त मारकम इमेज प्रा. लि. और लाफार्ज बोरल एंड जिप्सम भी है. वहीं अमेरिका की लुटिका, जर्मनी की ओकेप और डॉ. ओटकर, कोरिया की हेनन, यूके की लुटिका और कपारी इंजीनियरिंग भी है. इनके अतिरिक्त अन्य कई देशों की कंपनियां भी भिवाड़ी में लगी हैं.
ऑक्सीजन की कमी के चलते कामकाज हो रहा है प्रभावित
कोरोना के चलते ऑक्सीजन इस समय हॉस्पिटलों को सप्लाई की जा रही है. ऐसे में औद्योगिक इकाइयों में कामकाज प्रभावित होने लगा है. क्योंकि कोरोना का प्रभाव कम होने के चलते औद्योगिक इकाइयों में काम का शुरू हो चुका है. लेकिन ऑक्सीजन की कमी के चलते कामकाज खासा प्रभावित हो रहा है और औद्योगिक इकाइयों में ऑक्सीजन की खासी डिमांड रहती है.
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श्रमिकों की हो रही है कमी
कोरोना का प्रभाव कम होने के बाद औद्योगिक इकाइयों में काम का शुरू हो चुका है. लेकिन इस समय श्रमिकों की खासी कमी हो रही है. मजदूर व कर्मचारी नहीं मिलने के कारण कामकाज पूरी तरह से शुरू नहीं हो पा रहा है. लॉकडाउन के चलते बड़ी संख्या में लोग अपने गांव व शहर चले गए थे. हालांकि कर्मचारियों के वापस लौटने का काम शुरू हो चुका है.
नाइट्रोजन के प्लांट को ऑक्सीजन में बदला
प्रशासन ने नवाचार करते हुए औद्योगिक इकाई के नाइट्रोजन प्लांट को ऑक्सीजन प्लांट में बदलकर भिवाड़ी के कोविड अस्पताल में स्थापित किया है. कलेक्टर नन्नूमल पहाडिया ने बताया कि कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर में कोविड रोगियों को ऑक्सीजन की ज्यादा जरूरत रही. इसके लिए जिले की औद्योगिक इकाइयों में नाइट्रोजन प्लांट ढूंढकर उसे ऑक्सीजन प्लांट में बदलने का दायित्व जिला परिषद के सीईओ जसमीत सिंह संधू ने आगे बढ़कर लिया. स्थापित 40 न्यूटन क्यूबिक मीटर प्रतिघंटा की क्षमता के नाइट्रोजन प्लांट को ऑक्सीजन प्लांट में बदलने की सहमति दी.