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Corona Effect: इस बार नहीं भरेगा अलवर का भर्तृहरि और पांडुपोल मेला

अलवर में हर साल भर्तृहरि और पांडुपोल का प्रसिद्ध मेला लगता है. जिसमें राजस्थान ही नहीं बल्कि कई बाहरी राज्यों से लाखों की संख्या में श्रद्धालु पहुंचते हैं लेकिन इस बार कोरोना के कारण सालों पुरानी परंपरा तो टूटेगी ही भक्त दोनों धाम में पूजा भी नहीं कर पाएंगे.

Bhartrihari and Pandupol fair, अलवर न्यूज
भर्तृहरि और पांडुपोल का मेले पर कोरोना का ग्रहण
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Published : Aug 25, 2020, 1:57 PM IST

अलवर. जिले में हर साल भरने वाला भर्तृहरि और पांडुपोल का मेला इस बार कोरोना के चलते नहीं भरेगा. कोरोना संक्रमण की वजह से जिले भर में सभी धार्मिक स्थल 31 अगस्त तक पूरी तरह से बंद है. ऐसे में सालों से चली आ रही मेले की परंपरा इस बार कोरोना के कारण टूट जाएगी.

भर्तृहरि और पांडुपोल का मेले पर कोरोना का ग्रहण

अलवर में सालों से हर बार सरिस्का क्षेत्र में बने हनुमानजी के मंदिर पांडुपोल धाम में मेला लगता है. वहीं भर्तृहरि धाम में भी मेले का आयोजन होता है. इन मेलों में राजस्थान हरियाणा, उत्तर प्रदेश, दिल्ली, मध्य प्रदेश सहित आसपास के कई राज्यों से लाखों लोग भगवान के दर्शन और पूजा-अर्चना के लिए आते हैं. दोनों ही मेले वैसे तो ग्रामीण परिवेश के हैं लेकिन उसके बाद भी सभी जाति, धर्म और क्षेत्र के लोग बड़ी संख्या में मेले में हिस्सा लेते हैं. भर्तृहरि और पांडुपोल का मेला एक साथ भरता है.

Bhartrihari and Pandupol fair, अलवर न्यूज
हर साल उमड़ती थी लाखों की भीड़

पांडुपोल और भर्तृहरि का खास महत्व

कहते हैं कि पांडुपोल में पांडवों ने अज्ञातवास गुजारा था. इस दौरान हनुमान जी ने भीम का घमंड तोड़ने के लिए वानर रूप धारण किया. वे पांडुपोल में मंदिर के स्थान पर आकर लेट गए. जिससे पांडवों का रास्ता अवरुद्ध हो जाए. वहीं भीम हनुमानजी की पूंछ हटाकर आगे नहीं बढ़ पाए. उसके बाद जिस स्थान पर हनुमान लेटे थे, उसे पांडुपोल हनुमान जी के स्थान के नाम से जाना जाता है. भर्तृहरि धाम में उज्जैन के महाराज भर्तृहरि ने तपस्या की थी. उसके बाद समाधि ली थी. इसलिए दोनों ही स्थान का खास महत्व है.

मेले की होती थी एक महीने पहले से तैयारी

हिंदू पंचांग के अनुसार प्रतिवर्ष भर्तृहरि भाद्र शुक्ल पक्ष अष्टमी को भरता है. राजस्थान सहित कई राज्यों के मुख्यमंत्री, मंत्री सहित बड़ी संख्या में लोग अपनी मुराद मांगने के लिए यहां आते हैं. ग्रामीण बाबा भर्तृहरि के प्रति आस्था होने के कारण दुधारू पशुओं के दूध का भोग लगाकर पकवान बनाते हैं. इस दौरान घर-घर में अखंड ज्योत जलाकर अष्टमी की पूजा-अर्चना होती है.

यह भी पढ़ें. SPECIAL: मारोठ में है 98 साल पुरानी बकरशाला, यहां रहते हैं भैरव बाबा के 'अमर' बकरे

इस मौके पर दाल-बाटी और चूरमा का भोग लगता है. नाथ संप्रदाय के लोगों में इन मेलों को लेकर खासा उत्साह और जोश देखने को मिलता है. हर साल एक महीने पहले ही इस मेले की तैयारी शुरू हो जाती है लेकिन इस साल मेला नहीं लगने से भक्तों की आस्था को ठेस पहुंचा है.

आमजन की आवाजाही पर इस बार रोक

कोरोना संक्रमण की वजह से जिले में सभी धार्मिक स्थल 31 अगस्त तक पूरी तरह से बंद है. अनलॉक 2.0 की पालना ग्राम पंचायत स्तर तक की जा रही है. इसके चलते 25 अगस्त को अलवर में भरने वाला पांडुपोल मेला और उसके अगले दिन 26 अगस्त को भर्तृहरि मेला नहीं भरेगा. पांडुपोल के मेले के लिए जिला प्रशासन की ओर से पूर्व में ही 25 अगस्त का राजकीय अवकाश घोषित किया जा चुका है. इस दौरान आमजन में लोगों की आवाजाही पर पूरी तरह से रोक रहेगी.

Bhartrihari and Pandupol fair, अलवर न्यूज
हनुमानजी का मंदिर

एसडीएम अनुराग हरित ने बताया कि प्रशासन की तरफ से मेलों को लेकर एक मीटिंग की गई थी. जिसमें निर्णय लिया गया कि इस बार मेला आयोजित नहीं किया जाएगा. बैठक में सभी से सरकार और प्रशासन की गाइडलाइन की पालन करने की अपील की गई है.

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भर्तृहरि धाम

मेला स्थल पर पसरा सन्नाटा

बता दें कि मेले में हर साल लाखों की संख्या में श्रद्धालु आते हैं और मन्नतें पूरी होने पर सवामणी सहित अन्य धार्मिक आयोजन करते हैं. रोडवेज की तरफ से विशेष बस सेवा दी जाती है. वहीं यहां आनेवाले मार्ग को अन्य वाहनों के लिए बंद कर दिया जाता है लेकिन इस बार ग्राम पंचायत माधवगढ़ के क्षेत्र भर्तृहरि धाम पर किसी भी प्रकार की तैयारी नहीं हुई है. कोविड के चलते श्रद्धालु भी मंदिर में नहीं आ रहे हैं. ऐसे में मेला स्थल पर सन्नाटा पसरा हुआ है.

अलवर. जिले में हर साल भरने वाला भर्तृहरि और पांडुपोल का मेला इस बार कोरोना के चलते नहीं भरेगा. कोरोना संक्रमण की वजह से जिले भर में सभी धार्मिक स्थल 31 अगस्त तक पूरी तरह से बंद है. ऐसे में सालों से चली आ रही मेले की परंपरा इस बार कोरोना के कारण टूट जाएगी.

भर्तृहरि और पांडुपोल का मेले पर कोरोना का ग्रहण

अलवर में सालों से हर बार सरिस्का क्षेत्र में बने हनुमानजी के मंदिर पांडुपोल धाम में मेला लगता है. वहीं भर्तृहरि धाम में भी मेले का आयोजन होता है. इन मेलों में राजस्थान हरियाणा, उत्तर प्रदेश, दिल्ली, मध्य प्रदेश सहित आसपास के कई राज्यों से लाखों लोग भगवान के दर्शन और पूजा-अर्चना के लिए आते हैं. दोनों ही मेले वैसे तो ग्रामीण परिवेश के हैं लेकिन उसके बाद भी सभी जाति, धर्म और क्षेत्र के लोग बड़ी संख्या में मेले में हिस्सा लेते हैं. भर्तृहरि और पांडुपोल का मेला एक साथ भरता है.

Bhartrihari and Pandupol fair, अलवर न्यूज
हर साल उमड़ती थी लाखों की भीड़

पांडुपोल और भर्तृहरि का खास महत्व

कहते हैं कि पांडुपोल में पांडवों ने अज्ञातवास गुजारा था. इस दौरान हनुमान जी ने भीम का घमंड तोड़ने के लिए वानर रूप धारण किया. वे पांडुपोल में मंदिर के स्थान पर आकर लेट गए. जिससे पांडवों का रास्ता अवरुद्ध हो जाए. वहीं भीम हनुमानजी की पूंछ हटाकर आगे नहीं बढ़ पाए. उसके बाद जिस स्थान पर हनुमान लेटे थे, उसे पांडुपोल हनुमान जी के स्थान के नाम से जाना जाता है. भर्तृहरि धाम में उज्जैन के महाराज भर्तृहरि ने तपस्या की थी. उसके बाद समाधि ली थी. इसलिए दोनों ही स्थान का खास महत्व है.

मेले की होती थी एक महीने पहले से तैयारी

हिंदू पंचांग के अनुसार प्रतिवर्ष भर्तृहरि भाद्र शुक्ल पक्ष अष्टमी को भरता है. राजस्थान सहित कई राज्यों के मुख्यमंत्री, मंत्री सहित बड़ी संख्या में लोग अपनी मुराद मांगने के लिए यहां आते हैं. ग्रामीण बाबा भर्तृहरि के प्रति आस्था होने के कारण दुधारू पशुओं के दूध का भोग लगाकर पकवान बनाते हैं. इस दौरान घर-घर में अखंड ज्योत जलाकर अष्टमी की पूजा-अर्चना होती है.

यह भी पढ़ें. SPECIAL: मारोठ में है 98 साल पुरानी बकरशाला, यहां रहते हैं भैरव बाबा के 'अमर' बकरे

इस मौके पर दाल-बाटी और चूरमा का भोग लगता है. नाथ संप्रदाय के लोगों में इन मेलों को लेकर खासा उत्साह और जोश देखने को मिलता है. हर साल एक महीने पहले ही इस मेले की तैयारी शुरू हो जाती है लेकिन इस साल मेला नहीं लगने से भक्तों की आस्था को ठेस पहुंचा है.

आमजन की आवाजाही पर इस बार रोक

कोरोना संक्रमण की वजह से जिले में सभी धार्मिक स्थल 31 अगस्त तक पूरी तरह से बंद है. अनलॉक 2.0 की पालना ग्राम पंचायत स्तर तक की जा रही है. इसके चलते 25 अगस्त को अलवर में भरने वाला पांडुपोल मेला और उसके अगले दिन 26 अगस्त को भर्तृहरि मेला नहीं भरेगा. पांडुपोल के मेले के लिए जिला प्रशासन की ओर से पूर्व में ही 25 अगस्त का राजकीय अवकाश घोषित किया जा चुका है. इस दौरान आमजन में लोगों की आवाजाही पर पूरी तरह से रोक रहेगी.

Bhartrihari and Pandupol fair, अलवर न्यूज
हनुमानजी का मंदिर

एसडीएम अनुराग हरित ने बताया कि प्रशासन की तरफ से मेलों को लेकर एक मीटिंग की गई थी. जिसमें निर्णय लिया गया कि इस बार मेला आयोजित नहीं किया जाएगा. बैठक में सभी से सरकार और प्रशासन की गाइडलाइन की पालन करने की अपील की गई है.

Bhartrihari and Pandupol fair, अलवर न्यूज
भर्तृहरि धाम

मेला स्थल पर पसरा सन्नाटा

बता दें कि मेले में हर साल लाखों की संख्या में श्रद्धालु आते हैं और मन्नतें पूरी होने पर सवामणी सहित अन्य धार्मिक आयोजन करते हैं. रोडवेज की तरफ से विशेष बस सेवा दी जाती है. वहीं यहां आनेवाले मार्ग को अन्य वाहनों के लिए बंद कर दिया जाता है लेकिन इस बार ग्राम पंचायत माधवगढ़ के क्षेत्र भर्तृहरि धाम पर किसी भी प्रकार की तैयारी नहीं हुई है. कोविड के चलते श्रद्धालु भी मंदिर में नहीं आ रहे हैं. ऐसे में मेला स्थल पर सन्नाटा पसरा हुआ है.

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