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ज्यादा कैल्शियम और आयरन युक्त भोजन से हो सकती है गुर्दे में पथरी, इन लक्षणों से करें पहचान

गुर्दे में पथरी होना आज एक आम बीमारी है. खानपान में अधिक कैल्शियम और आयरन युक्त पदार्थों के सेवन से यह रोग होता है. आज हेल्थ टिप्स में जानते हैं गुर्दे में पथरी के लक्षण और बचाव (Treatment of Kidney stone) के बारे में...

Health Tips for Kidney stone
Health Tips for Kidney stone
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Published : Mar 29, 2023, 5:03 PM IST

हेल्थ टिप्स में जानते हैं गुर्दे में पथरी के बारे में

अजमेर. स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं में गुर्दे में पथरी की समस्या आम हो गई है. कई बार रोगी को इसका पता भी नहीं चल पाता है. इस कारण से पथरी बड़ी होने लगती है. तो कैसे पहचानें इस रोग के लक्षण को और कैसे करें बचाव, ये बता रहें होम्योपैथिक विभाग के सेवानिवृत्त उपनिदेशक डॉ एसएस तड़ागी.

वरिष्ठ होम्योपैथिक चिकित्सक डॉ एसएस तड़ागी बताते हैं कि अधिक कैल्शियम और आयरन युक्त पदार्थों के सेवन से गुर्दे में यूरिक एसिड, कैल्शियम और फास्फेट के क्रिस्टल बनने लगते हैं. धीरे-धीरे यह बढ़कर पथरी का रूप ले लेते हैं. इस कारण मूत्र संबंधी समस्याएं रोगी को होती हैं. अधिकांश मरीजों को गुर्दे में पथरी होने का पता भी नहीं चल पाता है. रोगी को जब गुर्दे और उसके आसपास के क्षेत्र में तेज दर्द उत्पन्न होता है, तब एक्स रे, सोनोग्राफी करवाने के बाद इसका पता चलता की. अधिकांश रोगी को मूत्र नली और ब्लैडर के बीच जक्शन में स्टोन अटकने की वजह से ही दर्द उत्पन्न होता है.

पढ़ें. Health Tips: कब्ज को हल्के में ना लें वरना भुगतने पड़ेंगे गंभीर परिणाम, जानें क्या कहते हैं वरिष्ठ चिकित्सक

गुर्दे में पथरी के लक्षण : डॉ तड़ागी बताते हैं कि पथरी होने पर रोगी को कमर के निचले भाग में असहनीय दर्द होता है. यह दर्द आगे और बढ़ता है. कई बार रोगी को मूत्र त्यागने में समस्या होती है. रोगी को बूंद-बूंद मूत्र आता है. मूत्र त्यागने पर रोगी को जलन होती है. गुर्दे की पथरी होने पर मूत्र का रंग लाल, गुलाबी, पीला होता है. कई बार मूत्र बदबूदार और गाढ़ा भी आने लगता है.

उन्होंने बताया कि दर्द अधिक होने पर कई बार रोगी को उल्टियां भी शुरू हो जाती हैं. डॉ तड़ागी बताते हैं कि गुर्दे में 4 एमएम से लेकर 15 से 20 एमएम तक पथरी की साइज हो सकती है. होम्योपैथिक दवा से पथरी का इलाज संभव है. पथरी भविष्य में दोबारा न हो इसके लिए भी होम्योपैथिक दवाइयां कारगर हैं. उन्होंने बताया कि 15 एमएम तक की पथरी को दवाइयों के जरिए निकाला जा सकता है. दवाइयों से पथरी टूटने लगती है और मूत्र मार्ग से निकल जाती है. 15 एमएम से बड़ी पथरी के लिए रोगी को सर्जरी की सलाह दी जाती है. उन्होंने बताया कि गुर्दे की पथरी का पता लगने के बाद भी उपचार नहीं लेने पर मूत्र मार्ग से खून आने और इंफेक्शन होने की संभावना भी रहती है.

पढ़ें. ये लक्षण दिखें, तो ना करें नजरअंदाज, हो सकता है सोरायसिस, जानिए क्या कहते हैं चर्म रोग विशेषज्ञ

गुर्दे की पथरी होने पर रखें ख्याल : डॉ तड़ागी बताते हैं कि गुर्दे की पथरी होने पर खाने में आयरन और कैल्शियम से संबंधित खाद्य पदार्थों का सेवन अधिक नहीं करना चाहिए. इससे पथरी और भी बड़ी होने की संभावना रहती है. मसलन दूध, दही, पनीर, मावा, पत्तेदार सब्जियां, सख्त बीज वाली सब्जियां, फलों में अनार और सेब का परहेज रखना चाहिए. खट्टे फल गुर्दे की पथरी में लाभदायक होते हैं. नींबू की शिकंजी, संतरे और मौसमी का रस, नारियल पानी, छाछ का सेवन लाभदायक है. रोगी को कम से कम 7 से 8 लीटर पानी पीना चाहिए. उन्होंने बताया कि किडनी में स्टोन है तो 3 माह का समय उपचार में लगता है जबकि यूरिनल ब्लैडर में स्टोन होने पर दवाइयों से एक माह में पथरी बाहर आ जाती है.

हेल्थ टिप्स में जानते हैं गुर्दे में पथरी के बारे में

अजमेर. स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं में गुर्दे में पथरी की समस्या आम हो गई है. कई बार रोगी को इसका पता भी नहीं चल पाता है. इस कारण से पथरी बड़ी होने लगती है. तो कैसे पहचानें इस रोग के लक्षण को और कैसे करें बचाव, ये बता रहें होम्योपैथिक विभाग के सेवानिवृत्त उपनिदेशक डॉ एसएस तड़ागी.

वरिष्ठ होम्योपैथिक चिकित्सक डॉ एसएस तड़ागी बताते हैं कि अधिक कैल्शियम और आयरन युक्त पदार्थों के सेवन से गुर्दे में यूरिक एसिड, कैल्शियम और फास्फेट के क्रिस्टल बनने लगते हैं. धीरे-धीरे यह बढ़कर पथरी का रूप ले लेते हैं. इस कारण मूत्र संबंधी समस्याएं रोगी को होती हैं. अधिकांश मरीजों को गुर्दे में पथरी होने का पता भी नहीं चल पाता है. रोगी को जब गुर्दे और उसके आसपास के क्षेत्र में तेज दर्द उत्पन्न होता है, तब एक्स रे, सोनोग्राफी करवाने के बाद इसका पता चलता की. अधिकांश रोगी को मूत्र नली और ब्लैडर के बीच जक्शन में स्टोन अटकने की वजह से ही दर्द उत्पन्न होता है.

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गुर्दे में पथरी के लक्षण : डॉ तड़ागी बताते हैं कि पथरी होने पर रोगी को कमर के निचले भाग में असहनीय दर्द होता है. यह दर्द आगे और बढ़ता है. कई बार रोगी को मूत्र त्यागने में समस्या होती है. रोगी को बूंद-बूंद मूत्र आता है. मूत्र त्यागने पर रोगी को जलन होती है. गुर्दे की पथरी होने पर मूत्र का रंग लाल, गुलाबी, पीला होता है. कई बार मूत्र बदबूदार और गाढ़ा भी आने लगता है.

उन्होंने बताया कि दर्द अधिक होने पर कई बार रोगी को उल्टियां भी शुरू हो जाती हैं. डॉ तड़ागी बताते हैं कि गुर्दे में 4 एमएम से लेकर 15 से 20 एमएम तक पथरी की साइज हो सकती है. होम्योपैथिक दवा से पथरी का इलाज संभव है. पथरी भविष्य में दोबारा न हो इसके लिए भी होम्योपैथिक दवाइयां कारगर हैं. उन्होंने बताया कि 15 एमएम तक की पथरी को दवाइयों के जरिए निकाला जा सकता है. दवाइयों से पथरी टूटने लगती है और मूत्र मार्ग से निकल जाती है. 15 एमएम से बड़ी पथरी के लिए रोगी को सर्जरी की सलाह दी जाती है. उन्होंने बताया कि गुर्दे की पथरी का पता लगने के बाद भी उपचार नहीं लेने पर मूत्र मार्ग से खून आने और इंफेक्शन होने की संभावना भी रहती है.

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गुर्दे की पथरी होने पर रखें ख्याल : डॉ तड़ागी बताते हैं कि गुर्दे की पथरी होने पर खाने में आयरन और कैल्शियम से संबंधित खाद्य पदार्थों का सेवन अधिक नहीं करना चाहिए. इससे पथरी और भी बड़ी होने की संभावना रहती है. मसलन दूध, दही, पनीर, मावा, पत्तेदार सब्जियां, सख्त बीज वाली सब्जियां, फलों में अनार और सेब का परहेज रखना चाहिए. खट्टे फल गुर्दे की पथरी में लाभदायक होते हैं. नींबू की शिकंजी, संतरे और मौसमी का रस, नारियल पानी, छाछ का सेवन लाभदायक है. रोगी को कम से कम 7 से 8 लीटर पानी पीना चाहिए. उन्होंने बताया कि किडनी में स्टोन है तो 3 माह का समय उपचार में लगता है जबकि यूरिनल ब्लैडर में स्टोन होने पर दवाइयों से एक माह में पथरी बाहर आ जाती है.

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