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पुष्कर के सरोवर में बहाई गई थी गांधी जी की अस्थियां

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Published : Jan 30, 2020, 5:40 PM IST

महात्मा गांधी की पुण्यतिथि हो और अजमेर के पुष्कर का जिक्र न हो ऐसा मुमकिन ही नहीं है, क्योंकि यही वो जगह है जहां पर गांधी जी की पावन अस्थियों को बहाया गया था. ईटीवी भारत की अजमेर से पेश है यह स्पेशल रिपोर्ट....

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यहां बहाई गई थी गांधी की अस्थियां

पुष्कर (अजमेर). त्याग, बलिदान, अहिंसा की जीवंत मूर्ति रहे राष्ट्रपिता महात्मा गांधी को आज उनकी पुण्य तिथि पर देश भर में याद किया जा रहा है. महात्मा गांधी के निर्वाण दिवस का गहरा नाता पुष्कर से भी जुड़ा है. इसी कारण पुष्कर में भी अनेक स्थानों पर सम्हारो आयोजित कर उनके विचारों को आत्मसाध करने की प्रेरणा दी जा रही है.

यहां बहाई गई थी गांधी की अस्थियां

12 फरवरी 1948 को हुआ था अस्थि विसर्जन...

30 जनवरी सन् 1948 को महात्मा गांधी की हत्या हुई थी. उसके बाद महात्मा गांधी के पार्थिव शरीर का अंतिम संस्कार कर 12 फरवरी 1948 कन्हैयालाल खादी, गांधी जी अस्थियां लेकर पहुंचे थे. इसी दिन उनकी अस्थियों को पुष्कर सरोवर में प्रवाहित किया गया था. पुष्कर में अस्थि विसर्जन के दौरान उनके साथ स्वतंत्रता सैनानी मुकुट बिहारी लाल भार्गव, कांग्रेस के सदस्य कृष्णगोपाल गर्ग और पुष्कर कांग्रेस कमेटी के मंत्री बेणी गोपाल मौजूद थे.

यह भी पढ़ें- Special : महात्मा गांधी का रहा है अजमेर से नाता, 6 दलित बच्चों के लिए शुरू करवाई थी पाठशाला

पुश्तैनी बही खाते में अपना नाम इंद्राज कराने आते हैं गांधी-नेहरू परिवार...

इतना ही नही नेहरू, गांधी परिवार भी अरसे से पुष्कर आता रहा है. गांधी परिवार के पुशतैनी तीर्थ पुरोहित राजनाथ पाराशर ने जानकारी देते हुए बताया कि मोतीलाल नेहरू से लेकर राहुल गांधी तक सभी पुष्कर सरोवर पूजा अर्चना कर चुके हैं. साथ ही गांधी परिवार सदैव ही पुश्तैनी बही खाते में अपना नाम इंद्राज करवाते आए हैं.

वैसे तो पुष्कर के सरोवर में नाव नहीं चलती है, लेकिन गांधी जी के अस्थि विसर्जन के दिन यहां नाव चली. रामचंद्र राधाकृष्ण पाराशर ने गऊ घाट पर रीति रिवाज से अस्थि विसर्जन की रस्म पूरी करवाई थी. रामचंद्र के परिवार के पास स्थित पोथी में 12 फरवरी 1948 को गांधीजी की अस्थि विसर्जन को लेकर लिखी गई इबारत मौजूद है.

पुष्कर (अजमेर). त्याग, बलिदान, अहिंसा की जीवंत मूर्ति रहे राष्ट्रपिता महात्मा गांधी को आज उनकी पुण्य तिथि पर देश भर में याद किया जा रहा है. महात्मा गांधी के निर्वाण दिवस का गहरा नाता पुष्कर से भी जुड़ा है. इसी कारण पुष्कर में भी अनेक स्थानों पर सम्हारो आयोजित कर उनके विचारों को आत्मसाध करने की प्रेरणा दी जा रही है.

यहां बहाई गई थी गांधी की अस्थियां

12 फरवरी 1948 को हुआ था अस्थि विसर्जन...

30 जनवरी सन् 1948 को महात्मा गांधी की हत्या हुई थी. उसके बाद महात्मा गांधी के पार्थिव शरीर का अंतिम संस्कार कर 12 फरवरी 1948 कन्हैयालाल खादी, गांधी जी अस्थियां लेकर पहुंचे थे. इसी दिन उनकी अस्थियों को पुष्कर सरोवर में प्रवाहित किया गया था. पुष्कर में अस्थि विसर्जन के दौरान उनके साथ स्वतंत्रता सैनानी मुकुट बिहारी लाल भार्गव, कांग्रेस के सदस्य कृष्णगोपाल गर्ग और पुष्कर कांग्रेस कमेटी के मंत्री बेणी गोपाल मौजूद थे.

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पुश्तैनी बही खाते में अपना नाम इंद्राज कराने आते हैं गांधी-नेहरू परिवार...

इतना ही नही नेहरू, गांधी परिवार भी अरसे से पुष्कर आता रहा है. गांधी परिवार के पुशतैनी तीर्थ पुरोहित राजनाथ पाराशर ने जानकारी देते हुए बताया कि मोतीलाल नेहरू से लेकर राहुल गांधी तक सभी पुष्कर सरोवर पूजा अर्चना कर चुके हैं. साथ ही गांधी परिवार सदैव ही पुश्तैनी बही खाते में अपना नाम इंद्राज करवाते आए हैं.

वैसे तो पुष्कर के सरोवर में नाव नहीं चलती है, लेकिन गांधी जी के अस्थि विसर्जन के दिन यहां नाव चली. रामचंद्र राधाकृष्ण पाराशर ने गऊ घाट पर रीति रिवाज से अस्थि विसर्जन की रस्म पूरी करवाई थी. रामचंद्र के परिवार के पास स्थित पोथी में 12 फरवरी 1948 को गांधीजी की अस्थि विसर्जन को लेकर लिखी गई इबारत मौजूद है.

Intro:पुष्कर(अजमेर)त्याग,बलिदान,अहिंसा की जीवंत मूर्ति रहे राष्ट्रपिता महात्मा गांधी को आज उनकी पुण्य तिथि पर देश भर में याद किया जा रहा है। महात्मा गांधी के निर्वाण दिवस का गहरा नाता पुष्कर से भी जुड़ा है । इसी कारण पुष्कर में भी अनेक स्थानों पर सम्हारो आयोजित कर उनके विचारों को आत्मसाध करने की प्रेरणा दी जा रही है ।

Body:सन 30 जनवरी 1948 को महात्मा गांधी की हत्या हो गई थी । उसके बाद महात्मा गांधी के पार्थिव शरीर का अंतिम संस्कार कर उनकी अस्थियों को पुष्कर सरोवर में प्रवाहित किया गया था । 12 जनवरी 1948 कन्हैयालाल खादी, गांधी जी अस्थियां लेकर पहुंचे थे। पुष्कर में अस्थि विसर्जन के दौरान उनके साथ स्वतंत्रता सैनानी मुकुट बिहारी लाल भार्गव, कांग्रेस के सदस्य कृष्णगोपाल गर्ग और पुष्कर कांग्रेस कमेटी के मंत्री बेणी गोपाल मौजूद थे। पुष्कर सरोवर में नाव नहीं चलती है लेकिन गांधी जी के अस्थि विसर्जन के दिन यहां नाव चली। रामचंद्र राधाकृष्ण पाराशर ने गऊ घाट पर रीति रिवाज से अस्थि विसर्जन की रस्म पूरी करवाई थी। रामचंद्र के परिवार के पास स्थित पोथी में 12 फरवरी 1948 को गांधीजी की अस्थि विसर्जन को लेकर लिखी गई इबारत मौजूद है।

बाइट--अरुण पाराशर,सदस्य, स्वन्त्रता सेनानी परिवार


इतना ही नही नेहरू गांधी परिवार भी अरसे से पुष्कर आता रहा है । गांधी परिवार के पुशतैनी तीर्थ पुरोहित राजनाथ पाराशर ने जानकारी देते हुए बताया कि मोतीलाल नेहरू से लेकर राहुल गांधी तक सभी पुष्कर सरोवर पूजा अर्चना कर चुके है साथ ही गांधी परिवार सदैव ही पुश्तेनी बही खाते में अपना नाम इंद्राज करवाते आये है ।

बाइट-राजनाथ पाराशर, तीर्थ पुरोहित, नेहरू गांधी परिवारConclusion:
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