अजमेर. साफ-सुथरे चेहरे पर झाइयां आने लगती है तो लोग परेशान हो जाते हैं. कुछ लोग इसे सनबर्न समझने की भूल कर लेते हैं. लेकिन यह झाइयां हार्मोन के बदलाव के कारण आती है. चलिए चर्म रोग विशेषज्ञ डॉ. संजय पुरोहित से इसके लक्षण और उपचार के बारे में जानते हैं. चेहरे पर झाइयां एक आम समस्या है. यह पुरुषों के मुकाबले महिलाओं में सबसे ज्यादा देखी जाती है. झाइयों की समस्या 12 साल से कम उम्र की लड़कियों और बुजुर्ग महिलाओं तक में देखी जाती है. यानी शरीर में आंतरिक परिवर्तन के कारण झाइया चेहरे पर नजर आने लगती है.
मेडिकल की भाषा में इसे मेलासमा कहते हैं. यह माथे नाक के ऊपर , गालों और होंठ के ऊपरी हिस्से पर नजर आते हैं. चर्म रोग विशेषज्ञ डॉ. संजय पुरोहित बताते हैं कि महिलाओं में गर्भावस्था हार्मोन के बदलाव की महत्वपूर्ण अवस्था है. इस दौरान अधिकांश महिलाओं को झाइयां आ जाती है. उन्होंने बताया कि महिलाओं में पुरुषों के गुण बढ़ने लगते हैं तो उनके मूंछ और दाढ़ी आने लगती है. उसी प्रकार पुरुषों में महिलाओं के गुण बढ़ने लगते हैं तो उनके चेहरे पर झाइयां देखने को मिलती है. उन्होंने बताया कि यह जीव जनित बीमारी नहीं है बल्कि आंतरिक बदलाव के कारण होती है. इसलिए झाईयों को लेकर कई महिलाएं परेशान हो जाती है और कई तरह का बिना विशेषज्ञ की सलाह से ईलाज लेना शुरू कर देते है जो उनके लिए और परेशानी का सबब बन जाता है.
इसे भी पढ़ें - Skin Care Tips : मुहांसे से परेशान हैं तो कोई भ्रम भूलकर भी न पालें, इन उपायों से मिलेगी जल्द राहत
झाइयां कोई बीमारी नही : डॉ. पुरोहित बताते हैं कि झाइयां कोई बीमारी नहीं है बल्कि कॉस्मेटिक समस्या है. यह समस्या हारमोंस के बदलाव के साथ ही वापस भी जाती है. उन्होंने बताया कि शुरुआत में यह गालों पर आती है पर फिर इसका प्रभाव क्षेत्र बढ़ने लगता है. इसको उपचार के माध्यम से बेहतर तरीके से नियंत्रित किया जा सकता है बशर्त इसमें में कुछ नियमों का पालन अवश्य करना होता है. मसलन सूर्य की किरणों, कंप्यूटर और मोबाइल स्क्रीन से निकलने वाली किरणों से बचाव जरूरी है. इनके प्रभाव में आकर यह समस्या और भी तेजी से बढ़ती है.
लोगों में है ये गलत धारणा : चर्म रोग विशेषज्ञ डॉ संजय पुरोहित बताते हैं कि अधिकांश लोग झाइयों को सन बर्न मानते हैं और उसके अनुसार घरेलू उपचार लेना शुरू कर देते हैं. कई लोग एक दूसरे की सलाह पर कॉस्मेटिक उत्पाद का भी उपयोग करने लगते हैं. इनसे तत्काल रुप से फायदा जरूर मिलता है लेकिन बाद में इसके दुष्परिणाम भी देखने को मिलते हैं. उन्होंने बताया कि झाइयों का बचाव ही उपचार का महत्वपूर्ण हिस्सा है.
बचाव के साथ कंप्यूटर लैपटॉप और मोबाइल का उपयोग किया जाना चाहिए. सीधे धूप के संपर्क में चेहरे को नहीं आने देना चाहिए. डॉ पुरोहित बताते है कि विटामिन सी से संबंधित फल गाना फायदेमंद रहता है. मसलन नींबू, संतरा, मौसमी, आंवला का सेवन करना चाहिए. उन्होंने बताया कि 72 प्रतिशत महिलाओं को जीवन में एक बार झाइयां जरूर होती है. झाइयां होने पर बिना विशेषज्ञ की सलाह के कोई भी वैकल्पिक उपचार नहीं लेना चाहिए.