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पुष्कर पशु मेला 14 नवंबर से होगा शुरू, यहां जानिए पूरी डिटेल - ईटीवी भारत राजस्थान न्यूज

अंतरराष्ट्रीय श्री पुष्कर मेला 2023 का कार्यक्रम पशुपालन विभाग ने जारी कर दिया है. मेला 14 से 27 नवंबर तक आयोजित होगा.

Animal Husbandry Department,  released the program of Pushkar Animal Fair
पुष्कर पशु मेला 14 नवंबर से होगा शुरू.
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By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : Nov 1, 2023, 5:33 PM IST

अजमेर. श्रीपुष्कर मेला 2023 इस बार भी भरेगा. चुनाव के कारण मेले की अवधि को प्रशासन ने कार्मिको की कमी का हवाला देते हुए कम कर दिया था. बाद में पुष्कर में पर्यटन उद्योग से जुड़े व्यापारियों के विरोध के बाद प्रशासन ने परंपरागत रूप से ही निश्चित अवधि के दौरान भरने वाले पुष्कर मेले की अनुमति दे दी है. बुधवार को प्रशासन ने पुष्कर मेले का कार्यक्रम जारी किया है. मेला कार्तिक शुक्ल एकम से कार्तिक शुक्ल पूर्णिमा यानी 14 से 27 नवंबर तक चलेगा.

यह रहेगा कार्यक्रमः मेला कार्यक्रम के अनुसार 14 नवंबर को कार्तिक शुक्ल एकम पर मेले में झंडा लगाया जाएगा. 16 नवंबर को कार्तिक शुक्ल तृतीया पर पशु मेले के अंतर्गत चौकियों की स्थापना होगी. 18 नवंबर को कार्तिक शुक्ल पंचमी को पुष्कर के मेला ग्राउंड में ध्वजारोहण होगा. इस दिन ही पशुपालन विभाग की ओर से पशुपालकों के लिए सफेद चिट्ठी दी जाएगी. 19 नवंबर को कार्तिक शुक्ल षष्ठी पर मेले में आने वाले पशु की खरीद पर रवन्ना और गीर गाय की प्रदर्शनी होगी. इसके अलावा पशु प्रतियोगिताएं भी आयोजित होंगी. 23 नवंबर के दिन मेला ग्राउंड पर सांस्कृतिक कार्यक्रम होंगे. इस दिन भी पशु प्रतियोगिताएं होंगी. 27 नवंबर को मेले का विधिवत समापन होगा. इस दिन पुरस्कार वितरण समारोह एवं मेला समापन कार्यक्रम आयोजित होंगे.

पढ़ेंः Special : पर्यटन उद्योग को फिर झटका ! इस बार अष्टमी तक भरेगा पुष्कर मेला, प्रशासन के फैसले से कारोबारियों की बढ़ी चिंता

मेले में पशुओं की होती है खरीद फरोख्तः पुष्कर पशु मेले में ऊंट, घोड़े, गधे, बकरी, भैंस और गौवंश आते हैं. इनमें ऊंट और घोड़े की संख्या ज्यादा होती है. देश के कोने-कोने से पशुपालक अपने पशुओं को बेचने और नुमाइश के लिए पुष्कर पशु मेले में लेकर आते हैं. इसी तरह से पुष्कर पशु मेले में आने वाले पशुओं की खरीद फरोख्त के लिए भी देश के कोने-कोने से व्यापारी आते हैं.

पुष्कर पशु मेला रहता है खास आकर्षणः तीर्थराज पुष्कर सभी तीर्थ का गुरु है. यहां विश्व का इकलौता जगत पिता ब्रह्मा का मंदिर है. यही वजह है कि सदियों से तीर्थ यात्री पुष्कर आते रहे हैं. तीर्थ यात्री अपने साथ पशु भी लाया करते थे. उस दौर में पशु ही धन हुआ करता था. ऐसे में पशुओं की खरीद फरोख्त पुष्कर में होने लगी. तब से पुष्कर में धार्मिक मेले के साथ पशु मेला भी आयोजित होने लगा. यह मेला विदेशी पर्यटकों को काफी लुभाता है.

अजमेर. श्रीपुष्कर मेला 2023 इस बार भी भरेगा. चुनाव के कारण मेले की अवधि को प्रशासन ने कार्मिको की कमी का हवाला देते हुए कम कर दिया था. बाद में पुष्कर में पर्यटन उद्योग से जुड़े व्यापारियों के विरोध के बाद प्रशासन ने परंपरागत रूप से ही निश्चित अवधि के दौरान भरने वाले पुष्कर मेले की अनुमति दे दी है. बुधवार को प्रशासन ने पुष्कर मेले का कार्यक्रम जारी किया है. मेला कार्तिक शुक्ल एकम से कार्तिक शुक्ल पूर्णिमा यानी 14 से 27 नवंबर तक चलेगा.

यह रहेगा कार्यक्रमः मेला कार्यक्रम के अनुसार 14 नवंबर को कार्तिक शुक्ल एकम पर मेले में झंडा लगाया जाएगा. 16 नवंबर को कार्तिक शुक्ल तृतीया पर पशु मेले के अंतर्गत चौकियों की स्थापना होगी. 18 नवंबर को कार्तिक शुक्ल पंचमी को पुष्कर के मेला ग्राउंड में ध्वजारोहण होगा. इस दिन ही पशुपालन विभाग की ओर से पशुपालकों के लिए सफेद चिट्ठी दी जाएगी. 19 नवंबर को कार्तिक शुक्ल षष्ठी पर मेले में आने वाले पशु की खरीद पर रवन्ना और गीर गाय की प्रदर्शनी होगी. इसके अलावा पशु प्रतियोगिताएं भी आयोजित होंगी. 23 नवंबर के दिन मेला ग्राउंड पर सांस्कृतिक कार्यक्रम होंगे. इस दिन भी पशु प्रतियोगिताएं होंगी. 27 नवंबर को मेले का विधिवत समापन होगा. इस दिन पुरस्कार वितरण समारोह एवं मेला समापन कार्यक्रम आयोजित होंगे.

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मेले में पशुओं की होती है खरीद फरोख्तः पुष्कर पशु मेले में ऊंट, घोड़े, गधे, बकरी, भैंस और गौवंश आते हैं. इनमें ऊंट और घोड़े की संख्या ज्यादा होती है. देश के कोने-कोने से पशुपालक अपने पशुओं को बेचने और नुमाइश के लिए पुष्कर पशु मेले में लेकर आते हैं. इसी तरह से पुष्कर पशु मेले में आने वाले पशुओं की खरीद फरोख्त के लिए भी देश के कोने-कोने से व्यापारी आते हैं.

पुष्कर पशु मेला रहता है खास आकर्षणः तीर्थराज पुष्कर सभी तीर्थ का गुरु है. यहां विश्व का इकलौता जगत पिता ब्रह्मा का मंदिर है. यही वजह है कि सदियों से तीर्थ यात्री पुष्कर आते रहे हैं. तीर्थ यात्री अपने साथ पशु भी लाया करते थे. उस दौर में पशु ही धन हुआ करता था. ऐसे में पशुओं की खरीद फरोख्त पुष्कर में होने लगी. तब से पुष्कर में धार्मिक मेले के साथ पशु मेला भी आयोजित होने लगा. यह मेला विदेशी पर्यटकों को काफी लुभाता है.

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