अजमेर. स्वास्थ से जुड़ी समस्याओं में आज बात करते है स्लिप डिस्क की. स्लिप डिस्क के मरीजों में लगातार बढ़ोतरी हो रही है. स्लिप डिस्क एक ऐसी बीमारी है जिसमें रोगी को काफी दर्द सहना पड़ता है. एलोपैथी में स्लिप डिस्क का सर्जरी से इलाज होता है. जबकि होम्योपैथिक पद्धति में स्लिप डिस्क का दवाओं से कारगर इलाज संभव है. इसमें वक्त तो लगता है लेकिन रोगी को स्लिप डिस्क की समस्या से पूरी मुक्ति मिल जाती है. जानिए राजस्थान होम्योपैथिक विभाग के सेवानिवृत्त उपनिदेशक डॉ. एसएस तड़ागी से स्लिप डिस्क को लेकर हेल्थ टिप्स.
किसी भी उम्र में हो सकती है स्लिप डिस्कः स्वास्थ से जुड़ी समस्याओं में स्लिप डिस्क बड़ी समस्या के रूप में उभर कर सामने आ रही है. स्लिप डिस्क होने की कोई उम्र नहीं होती. यह किसी भी उम्र में हो सकती है. इसके कई कारण भी हो सकते हैं. सामान्यतः स्लिप डिस्क गलत पॉश्चर में उठने-बैठने से होती है. इसके अलावा वजन उठाने, ओवरवेट होने, ज्यादा सिटिंग करने, गिरने एवं हादसे में लम्बर रीजन ( कमर से नीचे वाली रीड की हड्डी ) पर दबाव पड़ने से भी स्लिप डिस्क की समस्या उभर आती है. आमतौर पर भाग दौड़ की जिंदगी में व्यायाम, योग से लोग दूर हो चुके है. अनियमित दिनचर्या भी स्लिप डिस्क का कारण हो सकता है.राजस्थान होम्योपैथिक विभाग के सेवानिवृत्त उपनिदेशक डॉ. एसएस तड़ागी ने बताया कि पाइनकोड तीन भागों में होता है. सर्वाइकल रीजन जो गर्दन का हिस्सा होता है, डोर्सल रीजन गर्दन से कमर तक और लंबर रीजन कमर से निचले भाग को कहते हैं. स्लिप डिस्क की समस्या लंबर रीजन में नस दबने से होती है. उन्होंने बताया कि स्लिप डिस्क में नर्व रूट्स पर सूजन आने सीमा से बाहर निकल आता है. साथ ही जगह कम होने लगती है. शरीर का वजन पड़ने से नर्व पर दबाव पड़ता है. ज्यादा खड़े रहने, सीढ़ियों पर चढ़ने, ज्यादा बैठने से तकलीफ और बढ़ती है.
रोगी को होता है दर्द और जलनः डॉ तड़ागी बताते है कि स्लिप डिस्क में रोगी को काफी दर्द रहता है. दर्द कमर से पैरों तक जाने लगता है. प्रारंभिक अवस्था में दबाव कम होता है तो सूजन और भारीपन अधिक होता है. ज्यादा दबाव पड़ने पर रोगी को जलन अधिक होने लगती है. डॉ तड़ागी बताते हैं कि जलन होने पर लेटने और बैठने से कोई स्थाई रूप से दर्द कम हो जाता है. उन्होंने बताया कि स्लिप डिस्क का बिना सर्जरी के इलाज संभव है. उन्होंने बताया कि यदि रोगी स्लिप डिस्क होने के तुरंत बाद होम्योपैथिक इलाज शुरू कर देता है तो वह 3 से 4 माह में ठीक हो जाता है. यदि स्लिप डिस्क का रोग पुराना है तो इसमें एक करीबन 6 से 8 महीने का समय लगता है.
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इन चीजों का रखें ध्यान और परहेज: रोगी को नियमित दवा लेने के साथ-साथ कुछ बातों का ध्यान रखना होता है. रोगी का पेट साफ रहे उसे कब्ज न रहे. इसके अलावा खट्टी चीजों और अचार के सेवन से वह बचे. उनका दावा है कि होम्योपैथिक में स्लिप डिस्क का कारगर इलाज है. उन्होंने बताया कि पहले महीने के बाद से ही रोगी को दर्द में राहत मिलनी शुरू होगी. स्लिप डिस्क में दर्द कमर से पैरों की ओर जाता है. जिससे पैरों में दर्द के साथ-साथ पैर सुन भी हो जाते हैं. यह दर्द दोनों पैरों में भी हो सकता है और एक पैर में भी हो सकता है. एक माह दवाई लेने के बाद दर्द पैरों से खत्म होने लगता है. और धीरे-धीरे स्लिप डिस्क के दर्द से पूरी तरह से निजात मिल जाती है. दवा के असर से लंबर रीजन से निकलने वाला मास भी खत्म हो जाता है.